ghaziabad news जीटी रोड रेलवे मोड स्थित विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा ने मंगलवार को रानी लक्ष्मी बाई की जयंती मनाई।
पीठाधीश्वर ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि रानी लक्ष्मीबाई प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महान सेनापति थी इनका बचपन का नाम मनु भाई भाई था इनका जन्म 19 नवंबर 1828 वाराणसी में हुआ झांसी के राजा गंगाधर राव के साथ विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मी बाई पड़ा लक्ष्मीबाई के पिता ब्राह्मण थे इनकी मां बहादुर व धार्मिक थी रानी की मां उन्हें मात्र 4 वर्ष की आयु में छोड़कर स्वर्ग सिधार गई रानी लक्ष्मीबाई ने बचपन में ही घुड़सवारी तलवार और बंदूक चलाना सीख लिया था विवाह के पश्चात 18 51 में रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया परंतु दुर्भाग्यवश वह मर गया उस समय उसकी उम्र मात्र 4 महीने थी फिर रानी ने एक पुत्र गोद लिया।
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उन्होंने कहा कि अनाना साहब और तात्या टोपे के साथ मिलकर रानी ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। महारानी लक्ष्मीबाई घुड़सवार की पोशाक में लड़ते-लड़ते 17 जून 1858 को शहीद हो गई यदि जीवाजी राव सिंधिया ने रानी लक्ष्मीबाई से छल नहीं किया होता तो भारत 100 वर्ष पहले अट्ठारह सौ सत्तावन में ही अंग्रेजों के आधिपत्य से स्वतंत्र हो गया होता।
इस अवसर पर विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय संयोजक अशोक भारतीय, संदीप त्यागी रसम, परमार्थ सेवा ट्रस्ट के चेयरमैन वी के अग्रवाल, राकेश अग्रवाल, मिलन मंडल, राजू राघव, अतुल कुमार, श्रीकांत मलिक, सपन सिकदर, केपी सरकार, संजय कुमार सिंह, नरेंद्र मेहता, दिलीप कुमार, प्रेमलता, संगीता वर्मा, रूबी, निशा चौधरी, वरिष्ठ समाज सेविका विनीता पाल मौजूद रहे।
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