Yamuna Authority Draw Process : यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की आवासीय योजना का आज यानी शुक्रवार को सफलतापूर्वक ड्रा संपन्न हो गया। बड़ी संख्या में लोग ड्रॉ में पारदर्शिता और ईमानदारी देखने के लिए पहुंचे। कुछ लोगों को लगा कि उनकी शायद ड्रॉ में पर्ची शामिल नहीं है, लेकिन जब उन्होंने आवाज उठाई तो पर्ची बॉक्स में डालने से पहले उन्हें दिखा दी गई। इससे आवेदकों का प्राधिकरण के प्रति विश्वास कई गुना बढ़ गया। जिन आवेदकों ने अपनी पर्ची देखी उन्होंने अनाउंसमेंट की, हमें प्राधिकरण की इस प्रक्रिया पर पूरा विश्वास है। चलिए बताते हैं किस तरह से होता है यमुना प्राधिकरण का ड्रॉ…
ऐसे होता है ड्रॉ
जिस वक्त ड्रॉ होता है उस दौरान बड़ी बड़ी स्क्रीन लगाई जाती है और हर एक व्यक्ति जो ड्रॉ प्रक्रिया में शामिल है, उस पर कैमरा होता है। पूरे ड्रॉ की वीडियो रिकॉर्डिंग होती है। पर्चियां बॉक्स में डालने के बाद रिशफल समय समय पर की जाती है। किसी व्यक्ति को लगता है कि कुछ अनुचित हो रहा है तो तुरंत अपनी बात बता देता है।
पहले स्टेप पर प्राधिकरण की ओर से जितने भी आवेदन होते है उनकी पर्चियां बनाई जाती है, जो दर्जनों लिफाफे में सील पैक होती है। इसी बीच उस कैटेगरी यानी वर्ग मीटर के किसी भी आवेदक को बुलाया जाता है और यह सारी पैक पर्चियां दिखाई जाती है। आवेदकों बीच में से पांच छह लोगों को बुलाकर उनके फॉर्म नंबर पूछे जाते हैं जिसके बाद इन सील पैक लिफाफों में से उनकी पर्ची निकालकर उन्हें दिखाई जाती है। ताकि पता रहे सारी पर्चियां फॉर्म नंबर के हिसाब से लगी हुई और लिफाफे में है। जब पांच छह लोग संतुष्ट हो जाते है कि वाकई पर्ची जिस नंबर पर बताई उस नंबर पर है और देख ली गई है। तो वो अन्य बैठे आवेदकों को बताते हैं कि मुझे पूरा विश्वास है और मेरी पर्ची लिफाफे में निकल आई, फिर प्राधिकरण के अधिकारी और कर्मचारी मिलकर इन सभी लिफाफे से पर्चियां निकालकर बॉक्स में डालते है। उसको रिशफल कर देते हैं। स्कूली छात्र एक एक कर आवेदक की पर्ची निकालते हैं तो दूसरा छात्र भूखंड संख्या की पर्ची निकालता है। इन दोनों पर्चियों को मिलाकर सफल आवेदक का भूखंड नंबर नाम समेत प्राधिकरण अपनी लिस्ट में लिख लेता है। जिस वक्त पर्ची निकलती है उस दौरान वीडियो में और इन दोनों पर्चियों की फोटो भी खींची जाती है। ताकि किसी भी तरह का विवाद होने पर फोटो और वीडियो आवेदकों को दिखाई जा सके। इस पूरी प्रक्रिया पर निगरानी रखने के लिए प्राधिकरण के अफसरों के साथ साथ हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज भी बैठे होते हैं। बड़ी बड़ी स्क्रीन्स पर आवेदक इस पारदर्शी प्रक्रिया को ध्यान से देखते रहते हैं। इसी तरह से आवेदको का प्राधिकरण के प्रति अटूट विश्वास कायम है।
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