कहा जाता है कि जब किसी के साथ फ्रॉड होता है तो उस फ्रॉड में बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत होती है। लेकिन मिलीभगत पकड़ पाना पीड़ित के लिए तो बहुत मुश्किल होता है। पुलिस के लिए भी राह आसान नहीं होती। ऑनलाइन इस तरह से फ्रॉड होता है उसे आसानी से पकड़ना सबके बस की बात नही। नोएडा पुलिस ने साबित कर दिया कि बैंको में होने वाले फ्रॉड कही न कही बैंक कर्मचारियों का भी हाथ को सकता। पुलिस ने फ्रॉड करने वाले युवकों को खाते मुहैया कराने वाले बैंक कर्मचारी को गिरफ्तार किया। दरअसल, साइबर क्राइम पुलिस बैंक कर्मी को गिरफ्तार किया। एक डिजिटल अरेस्ट के केस में महिला से 84 लाख रुपये की ठगी की जांच करते पुलिस बैंक कर्मी तक जा पहुंची। उसकी पहचान सीतापुर के सोनू पाल के रूप में हुई है। आरोपी से मोबाइल और दस्तावेज बरामद किए गए। बता दें कि इसके तीन साथियों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। आरोपी साइबर ठगों को बैंक खाते मुहैया कराता था। जिस निजी बैंक में आरोपी काम करता है उसके प्रबंधन को मामले की जानकारी दी गई है।
ऐसे हुई थी ठगी की वारदात
मालूम हो कि पिछले साल महिला ने पुलिस से शिकायत की थी कि साइबर जालसाजों ने पार्सल में ड्रग्स होने का डर दिखाकर डिजिटल अरेस्ट कर 84 लाख रुपये की ठगी की है। ठगों ने महिला को 23 से 25 जून 2024 तक डिजिटल अरेस्ट रखा और जांच के नाम पर उसकी जमा पूंजी अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर करा ली थी। पुलिस ने आरोपी राम सिंह, नरेंद्र और अक्षय को गिरफ्तार किया था।
खाता खुलवा कर किट रखते थे अपने पास
पुलिस का दावा है कि सोनू ने ही राम सिंह का खाता खुलवाया था और किट अपने पास रख ली थी। इसी खाते में ठगी के 69 लाख रुपये कई बार में ट्रांसफर हुए थे। कमीशन के तौर पर सोनू ने कई लाख रुपये रख लिए थे। सोनू का मुख्य काम ठगों को बैंक खाते मुहैया कराना था। वह पहले भी ठगों को बैंक खाते उपलब्ध करा चुका है और करोड़ों का हेरफेर कर चुका है।