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यूक्रेन को तबाह करने की रूस ने ऐसे की थी प्लानिंग

रूस-यूक्रेन युद्ध के दूसरे राउंड में यूक्रेन के हाथों पिट रहे रूस ने अब अपनी रणनीति बदल दी है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हार को जीत में बदलने के लिए भारत की उस प्राचीन ’चाणक्य नीति’ का सहारा लिया, जिससे सैकड़ों साल बाद आज भी दुनिया के तमाम देश खौफ खाते हैं. इसी रणनीति पर काम करते हुए रूस ने शुक्रवार को यूक्रेन के 4 राज्य अपने में मिला लिए और पश्चिमी देश अपने दांत भींचने के अलावा कुछ नहीं कर पाए. ऐसे में आज इस बात को जानना जरूरी हो जाता है कि वह खतरनाक ’चाणक्य नीति’ आखिर क्या है, जिसका इस्तेमाल कर पुतिन ने युद्ध का पासा पलट दिया है.

क्या है भारत की खतरनाक ’चाणक्य नीति’?
असल में प्राचीन काल में आचार्य चाणक्य ने मगध के राजा के हाथों हुए अपने अपमान का बदला लेने के लिए अपने सहयोगी चंद्रगुप्त मौर्य की मदद से सीधे मगध पर हमला कर दिया था. नतीजा ये हुआ कि इस युद्ध में चाणक्य और चंद्रगुप्त की करारी हार हुई. इसके बाद उन्होंने रणनीति बदली. पहले धीरे-धीरे मगध की बाहरी सीमाओं को जीता. इससे ना केवल उनकी शक्ति बढ़ी बल्कि मगध की सत्ता भी कमजोर हुई. इसके बाद चाणक्य और चंद्रगुप्त मौर्य ने सीधे मगध के केंद्र पर हमला किया और मगध पर कब्जा कर लिया. ऐसा ही कुछ पुतिन ने भी रूस-यूक्रेन युद्ध में किया है.

रूस-यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए 7 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक इस युद्ध का कोई नतीजा नहीं निकला है. जहां एक ओर रूस को बहुत ज्यादा नुकसान हो चुका है वही दूसरी ओर यूक्रेन भी हार मानने को तैयार नहीं है.

रूस ने यूक्रेन के 4 राज्य अपने में मिलाए
ऐसे में रूस ने अब यूक्रेनके 4 राज्यों को अपने देश में मिलाने का ऐलान कर दिया है. ये चार राज्य यूक्रेन के कुल क्षेत्रफल का करीब 15 प्रतिशत हैं. इस तरीके से रूस ना केवल यूक्रेन को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है बल्कि इस युद्ध में अभी तक जो हार मिली है उसका बदला भी ले ले रहा है.

यूक्रेन के चारों राज्यों को मिलाने के लिए रूस में आज भव्य समारोह का आयोजन किया गया है . जिसमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने लोगों को संबोधित किया . इस दौरान पुतिन ने पश्चिमी देशों पर जमकर हमला बोला. पुतिन ने कहा, आज पश्चिमी देशों में रूसोफोबिया हो चुका है और उन्होंने रूस को नुकसान पहुंचाने की कई बार कोशिशें की हैं. पुतिन ने कहा कि पश्चिमी देश रूस को एक कॉलोनी बनाना चाहते हैं और रूस के लोगों को अपना गुलाम. लेकिन वो ऐसा होने नहीं देंगे. पश्चिमी देशों के नियमों के मुताबिक रूस फैसले नहीं लेगा.’

यूक्रेन के 4 राज्यों ने रूस में मिलने का फैसला किया है और उसे रूस में मिला लिया गया है. हालांकि आज पुतिन ने ये भी कहा कि वो यूक्रेन से बातचीत को तैयार है लेकिन इन 4 राज्यों पर अब यूक्रेन से बातचीत नहीं होगी. अब आपको समझाते हैं कि रूस ने यूक्रेन के किन 4 राज्यों को, किस तरीके से अपने देश में मिलाया है.

दुनिया के नक्शने पर और फैल गया रूस
यूक्रेन के जिन चार राज्यों को अपने देश में मिलाया है, वे हैं डोनेत्स्क, लुहांस्क, जेपोरीजिया और खेरसॉन. यूक्रेन के ये चारों राज्य पूर्व में है और रूस की पश्चिमी सीमा से जुड़े हैं. यानी सीधे तौर पर रूस की सीमा का और विस्तार हो गया है. क्षेत्रफल के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा देश रूस और भी बड़ा हो गया है. इस मैप में एक और यूक्रेनी क्षेत्र क्राइमिया को आप देख सकते हैं. जो पहले यूक्रेन का हिस्सा था लेकिन 2014 में रूस ने इसे भी अपने देश में मिला लिया था.

चार चरणों में चलाया गया अभियान
क्राइमिया को मिलाने के लिए रूस ने जो रणनीति अपनाई थी, कमोबेश वही रणनीति यूक्रेन के इन चारों राज्यों को मिलाने के लिए अपनाई है. इन चारों राज्यों को मिलाने के लिए रूस ने 4 चरणों में काम किया. पहले चरण में इन चारों राज्यों पर जोरदार हमले किए, यूक्रेनी सेना को कमजोर किया और लगातार ये बताया कि इस क्षेत्र के लोग यूक्रेन के साथ खुश नहीं है बल्कि वो रूस में मिलना चाहते हैं.

दूसरे चरण में इन चारों राज्यों को यूक्रेन से अलग स्वतंत्रता की मान्यता दे दी. तीसरे चरण में इन सभी राज्यों में जनमत संग्रह करवाया और ये बताया कि जनमत संग्रह में लोगों ने रूस में शामिल होने के पक्ष में मतदान किया है. चौथे और आखिरी चरण में इन सभी राज्यों को रूस में मिला लिया गया.

पश्चिमी देशों की धमकी का कोई असर नहीं
रूस ने 23-27 सितंबर के बीच डोनेत्स्क, लुहांस्क, जेपोरीजिया और खेरसॉन में जनमत संग्रह करवाया था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने ये दावा किया कि डोनेत्स्क में 99.2 प्रतिशत, लुहांस्क में 98.4 प्रतिशत, जेपोरीजिया में 93.1 प्रतिशत और खेरसॉन में 87 प्रतिशत लोगों ने रूस के साथ जाने के पक्ष में वोट डाला है . यूक्रेन, अमेरिक और यूरोपीय देशों ने रूस के जनमत संग्रह का कड़ा विरोध किया था और रूस पर नए प्रतिबंध लगाने की चेतावनी भी दी थी . लेकिन रूस पर इस विरोध का कोई असर नहीं हुआ है.

रूस के इस फैसले के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने अपने उच्च रक्षा अधिकारियों और राजनेताओं के साथ एक आपात बैठक की है. ये बैठक यूक्रेन के राज्यों को रूस में मिलाने के ऐलान के बाद हुई. इसके साथ ही जेलेंस्की ने अब कहा है कि नैटो में शामिल होने के लिए फिर से नया आवेदन देंगे. वहीं ऐसा माना जा रहा है कि इन राज्यों को रूस में मिलाने के बाद पुतिन अगले हफ्ते रूस की संसद को संबोधित करेंगे. अगले हफ्ते ही 7 अक्टूबर को पुतिन का जन्मदिन भी है.

पुतिन ने अमेरिकी धमकी पर किया पलटवार
रूस के फैसले के बाद अमेरिका ने रूस के 1000 से ज्यादा फर्मों पर प्रतिबंध लगा दिया है. अमेरिका ने ये भी कह दिया है कि वो रूस के कब्जे को मान्यता नहीं देगा. साथ ही यूक्रेन को और हथियार देने का भी अमेरिका ने ऐलान कर दिया है. अमेरिका के ऐलान के जवाब में आज पुतिन ने भी ये साफ कर दिया है अपनी जमीन की रक्षा के लिए कुछ भी कर सकते हैं और ये चारों राज्य अब उनके क्षेत्र हैं.

यानी सीधे तौर पर पुतिन ने आज पश्चिमी देशों को भी चेतावनी भी दे दी है कि अगर इन राज्यों पर पश्चिमी देश कोई कार्रवाई करेंगे तो रूस इसे खुद पर हमला मानेगा. हालांकि यूक्रेन ने आने वाले दिनों में इन चारों राज्यों में हमले तेज करने की बात कही है. इससे तो ये लगता है ये रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म होने के बजाय और भीषण होने वाला है

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