यूपी के ग्रेटर नोएडा में अवैध कालोनियों की भरमार है। ये कैसे बसीं है उसके किस्से लखनऊ तक पहुंच रहे है। यही कारण है कि प्राधिकरण अफसरों की नींद उड़ रही है। पता चला है कि प्राधिकरण की मुआवजा उठाई जमीन पर कॉलोनाइजर द्वारा कॉलोनी काटने का मामला लखनऊ में सीएम के कानों तक पहुंचा है। अब औद्योगिक विकास आयुक्त यानी आईडीसी मनोज सिंह ने बिसरख, जलपुरा व हैबतपुरा में प्राधिकरण की करीब दो लाख वर्ग मीटर जमीन पर काटी गईं अवैध कॉलोनियों को लेकर मामले की पूरा रिपोर्ट मांगी है। इस जमीन की बाजार कीमत लगभग दो हजार करोड़ रुपये है।
कॉलोनाइजर पर लगेगा गैंगस्टर
बता दें कि प्राधिकरण ने सुभाष यादव समेत 20 कॉलोनाइजर को चिह्नित किया है। इन सभी की कुंडली खंगाली जा रही है। प्राधिकरण के मुताबिक, इन कॉलोनाइजर द्वारा खरीदी गई अन्य संपत्तियों की भी जानकारी जुटाई जा रही है। इन पर गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है। इन तीन गांवों में कॉलोनाइजर ने वर्ष 2016 से 2023 के बीच जमीन खरीदी है। इस समयावधि के दौरान प्राधिकरण में कार्यरत अधिकारियों की भी जांच की जा रही है।
मालूम हो कि ग्रेनो वेस्ट के विकास की रफ्तार वर्ष 2016 से शुरू हुआ था। कई बिल्डर सोसाइटियां, संस्थान, कमर्शियल प्रोजेक्ट्स ने पैर जमाने शुरू कर दिए थे। 2016 के बाद से ही बसावट भी तेजी से होने लगी। जमीन की कीमत लगातार बढ़ने लगी। जमीन की बढ़ती कीमत को देखते हुए कॉलोनाइजर भी सक्रिय हो गए और जमीन कब्जाने की शुरुआत होने लगी।
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बताया जाता है कि 2016 से 2023 के बीच धड़ल्ले से अवैध कॉलोनियां कटने लगीं। बिसरख के डूब क्षेत्र, हैबतपुर और जलपुरा में करीब दो लाख वर्ष मीटर जमीन पर अवैध कब्जा तक मकान और विला बनने लगे। ताज्जुब की बात ये है कि इस जमीन का प्राधिकरण मुआवजा भी दे चुकी है। वहीं कुछ जमीन पर प्राधिकरण 64 प्रतिशत का अतिरिक्त मुआवजा भी दे चुकी है। प्राधिकरण के अधिकारियों और कर्मचारी आंख मूंदे रहे। अब इन आठ वर्षों के दौरान तैनात अधिकारी और कर्मचारी भी जांच के दायरे में आ गए हैं।
किसकी शह पर बसीं कालोनियां
अवैध कानोनियों को लेकर कई सवाल उठ रहे है। प्राधिकरण की अधिग्रहित और मुआवजा उठी जमीन का निगरानी के लिए प्राधिकरण के अफसरों और कर्मचारियों से पास जिम्मेदारी होती है। विकास परियोजनाओं के लिए खरीदी गई जमीन पर अवैध कब्जा न हो इसके लिए नियमित तौर पर मौके पर निरीक्षण करना होता है। बावजूद इसके इतनी बड़ी जमीन पर अवैध कॉलोनियां बस गईं। ऐसे में 2016 से 2023 के बीच वर्क सर्किल समेत प्राधिकरण कार्यालय पर तैनात अधिकारी व कर्मचारी सवालों के घेरे में आ गए हैं। उधर अब प्राधिकरण ने कालोनाइजर को चिह्नित कर लिया है। इसकी सूची जल्द शासन को भी भेजी जाएगी।
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नोएडा में भी प्राधिकरण की जमीन पर हो रहे कब्जे
ग्रेटर नोएडा ही नही नोएडा में जमीन पर भी अवैध कब्जों की भरमार है। अफसरों से लोग शिकयते करते है लेकिन वे उनको अनसुना करते रहते है। जिसके चलते करोड़ और अरबों रुपये की जमीन प्राधिकरण के हाथ से निकल जाती है। या फिर वापस लेने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है।