गर्मियों में रूह भी तरोताजा कर देता है रूह अफजा आखिर बाबा रामदेव क्यों चला रहे हैं प्रोपेगंडा

Rooh Afza Controversy:  हम दर्द के सबसे पुराने प्रोड के रूप में रूह अफजा को जाना जाता है ये ऐसा सर बात है क्यों चिलचिलाती गर्मी में शशी लोगों की रूह को भी तरोताजा कर देता आज कल बाबा रामदेव अपने कारनामे तो छुपाते हैं और दूसरों के खिलाफ़ प्रोपगेंडा चलाते हैं। सुप्रीम कोर्ट में माफी तक मांगनी पड़ी। कोरोना काल में किट बनाई जिस को लेकर तरह तरह के दावे किये गए।

चलिए बताते है रूह आफजा का इतिहास
बता दें कि 118 साल पुराना एक ठंडक देकर रूह वाला शरबत, जिसे हर घर में गर्मियों का राजा कहा जाता है। गर्मियों की तपिश में जब शरीर थक जाता है और गला सूखने लगता है, तब राहत देने वाले पेयों में सबसे पहले जिस नाम का जिक्र होता है, वो है रूह अफजा। मंदिर में शरबत बांटना हो या मस्जिद में सबील लगानी हो, गुरूद्वारे में शरबत बांटना हो तो रूह आफजा ही बांटा जाता है। यह गुलाबी रंग का मीठा शरबत न केवल स्वाद में खास है, बल्कि इसके पीछे एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत भी छुपी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस शरबत का नाम किसने रखा और इसका मतलब क्या है?

1906 में दिल्ली के लाल कुआं से हुई शरूआत
दिल्ली के लाल कुआं इलाके में 1906 में एक यूनानी चिकित्सा केंद्र हमदर्द दवाखाना की नींव हकीम हाफिज अब्दुल मजीद ने रखी थी। उन्होंने गर्मी से राहत देने वाले एक खास शरबत को तैयार किया, जो प्राकृतिक जड़ी-बूटियों पर आधारित था। इस पेय को एक उपयुक्त नाम देने की जरूरत थी, और यह नाम सुझाया उनके करीबी और प्रसिद्ध फारसी-उर्दू कवि नजीर अहमद ने  “रूह अफजा”। फारसी में इसका मतलब होता है ष्आत्मा को ताजगी देने वालाष्। यह न केवल पेय के प्रभाव को दर्शाता है, बल्कि इसमें एक शायराना गहराई भी है। रूह अफजा केवल स्वाद के लिए नहीं, बल्कि इसमें मौजूद तत्व भी इसे खास बनाते हैं। इसमें चंदन, गुलाब जल, केवड़ा, पुदीना, नींबू, खरबूजे के बीज जैसे प्राकृतिक घटक होते हैं, जो शरीर को ठंडक पहुंचाते हैं। इसे पानी, दूध या आइसक्रीम के साथ मिलाकर पिया जा सकता है और यह गर्मी के मौसम में लू और डिहाइड्रेशन से राहत दिलाता है।

 

Rooh Afza Controversy:
हकीम अब्दुल मजीद के उनके बेटों ने संभाला
हकीम अब्दुल मजीद के निधन के बाद उनके बेटों ने हमदर्द की विरासत को आगे बढ़ाया। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय हमदर्द दो हिस्सों में बंट गया दृ भारत में इसे हकीम अब्दुल हमीद ने ट्रस्ट बना दिया जबकि पाकिस्तान में हकीम मोहम्मद सईद ने इसका नेतृत्व संभाला। दोनों देशों में रूह अफजा का उत्पादन हुआ और यह पूरे दक्षिण एशिया में लोकप्रियता हासिल करता गया।

अब अफजा का निर्माण कौन करता है?

बता दें कि भारत में रूह अफजा का निर्माण हमदर्द लैबोरेट्रीज इंडिया करती है, जो एफएमसीजी और हेल्थकेयर सेगमेंट में अग्रणी भूमिका निभाती है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में कंपनी ने ₹1,843 करोड़ का शुद्ध लाभ कमाया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 7.9ः% अधिक है। कंपनी अब वेलनेस और कॉस्मेटिक्स सेगमेंट में भी अपना दायरा बढ़ाने की रणनीति तैयार कर रही है।

 

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