Pahalgam Attack: प्रोपेगैंडा थ्योरी के बीच एक हकीकत, नाम एक लेकिन एक बना फरीस्ता तो दूसरे बना हैवान

Pahalgam Attack:  कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद तेल भर में प्रोपेगैंडा थ्योरी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही हैं लेकिन यह ऐसा वक्त है जब पूरा देश एक हो चुका है। कहा जाता था पहले आतंकी हमलों के बाद कश्मीर विरोध नहीं करता था लेकिन अब कश्मीर में भी जमकर विरोध दर्ज कराया है। हमले के विरोध में दुकानें बंद की है और लोगों की जान भी बचाई। इस सबके बीच पहलगाम हमले के बाद एक जैसे नाम वाले दो किरदार सोशल मीडिया पर सुर्खियों बटोर रहे है। एक तरफ है वो खुखार आदिल वो खूंखार हमलावर है, जिसने कश्मीर घूमने पहुंचे पर्यटकों पर गोलियां बरसाईं। तो दूसरे आदिल ने टूरिस्ट को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी और आखिर में सीने पर तीन गोलियां खाकर अपनी जान भी गंवा दी।

इन दोनों के जीवन की कहानी और फितरत एक दूसरे से एकदम जुदा हैं, एक फरार हत्यारा है और दूसरा रियल लाइफ का हीरो बन चुका है। इनके नाम एक है और उच्चारण एक जैसा है लेकिन सुरक्षा एजेंसियां अंग्रेजी में इन्हें थोड़ा अलग-अलग तरह से लिख रही हैं। आदिल (AAdil) ठोकार उर्फ आदिल गुरी लश्करे तैयबा का सदस्य है, और आतंकी हमले में शामिल होने के कारण उसका घर शुक्रवार को बम से उड़ा दिया गया। वहीं, आदिल (Adil) हुसैन शाह एक गरीब और बहादुर टट्टू वाला था।
अफसरों ने बताया कि दक्षिणी कश्मीर के बिजबेहरा के गुरी गांव निवासी आदिल गुरी उम्र के तीसरे दशक के अंतिम पड़ाव पर है और आदिल हुसैन (30) उससे थोड़ा ही बड़ा था। आदिल हुसैन अपने परिवार का एकमात्र कमाऊ सदस्य था। वह आजीविका के लिए पहलगाम के पर्यटकों को टट्टू पर बैठाकर आसपास की दर्शनीय जगहों पर ले जाता था। आदिल एकमात्र कश्मीरी था, जिसे हथियारबंद बंदूकधारियों ने मारा। उसकी मौत से परिजन आहत तो हैं लेकिन उनकी वीरता पर गर्व भी कर रहे हैं।
आदिल हुसैन की बहन अस्मा ने बताया, सुबह से ऐसा लग रहा था कि जैसे कुछ बुरा होने वाला है। मैंने उसे जाने से मना भी किया। लेकिन वह चला गया। अस्मा ने बताया कि भाई हमेशा लोगों की मदद के लिए तैयार रहता था। पिता सैयद हैदर शाह कहते है आतंकियों ने मेरे बेटे को सिर्फ इसलिए मार डाला क्योंकि उसने उनका सामना किया। उन्हें पर्यटकों को नुकसान न पहुंचाने को कहा। भाई नौशाद ने भी आदिल की बहादुरी पर गर्व जताया।
वही फरार हमलावरों में शामिल आदिल गुरी 2018 में वैध यात्रा दस्तावेज पर पाकिस्तान गया था और उसके बाद गायब हो गया था। बाद में ऐसी खबरें आईं कि प्रतिबंधित आतंकी समूह लश्कर में शामिल हो गया। अधिकारियों के मुताबिक, वह 2024 में नियंत्रण रेखा के रास्ते भारत लौट आया। वह जम्मू क्षेत्र के डोडा और किश्तवाड़ इलाकों में सक्रिय था। पहलगाम हमले में मारे गए लोगों में से एक की पत्नी ने आदिल गुरी की पहचान हमलावर के तौर पर की है।

 

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