Natural Treatment PCOS: भारत में महिलाओं पर घर और बाहर के काम को संभालने का इतना ज्यादा बोझ है कि वो अपनी हेल्थ के बारे में सोच ही नहीं पाती। लंबे समय तक हेल्थ को इग्नोर करना मतलब कई तरह की समस्याओं को दावत देना। टाइम से खाना न खाना, सोने-उठने का समय न होना, फिजिकल एक्टिविटी की कमी के चलते अब बीमारियों उम्र बढ़ने का इंतजार नहीं कर रही।
अनहेल्दी लाइफ़स्टाइल, इरेगुलर पीरियड, हाय इंसुलिन, जेनेटिक्स, और एण्ड्रोजन (मेल हार्मोन) की अधिकता इस समस्या का कारण हो सकती हैं। इसे संभालना कितना मुश्किल है, यह तो केवल पीसीओएस से ग्रसित महिला ही बता सकती है। लेकिन अगर आप पीसीओएस के इलाज के सामान्य सवालों से परेशान हैं, तो चलिए इसके बारे में जानते हैं।
Natural Treatment PCOS:
पीसीओेएस एक एंडोक्राइन डिसऑर्डर है, जिसे क्रॉनिक एनोव्यूलेशन के रूप में जाना जाता है। यह कई कारणों से होता है। इसे अनियमित माहवारी और वजन बढ़ने के रूप में समझा जा सकता है। एक अनुमान के अनुसार भारत में 3.7% से 22.5% महिलाएं इस समस्या से पीड़ित हैं। हालांकि, एक अच्छी खबर ये है कि पीसीओएस लाइफस्टाइल से जुड़ी एक समस्या है, तो आप लाइफस्टाइल में जरूरी बदलावों से इस समस्या को आसानी से मैनेज कर एक हेल्दी लाइफ जी सकती हैं। जान लें इसके बारे में।
Natural Treatment PCOS:
पहले जानें पीसीओएस में नजर आने वाले कुछ सामान्य लक्षणों के बारे में
अनियमित पीरियड (पीरियड में अधिक खून आना, सामान्य रूप से कम अवधि होना, काफी कम खून आना और समय से पीरियड का न आना) एक्ने, मोटापा, ऑइली स्किन, शरीर पर हेयर ग्रोथ बढ़ जाना (खासकर त्वचा पर)
सोच-समझकर खाएं
जब बात पीसीओएस को नियंत्रित करने की आती है तो अपने भोजन पर ध्यान देना बेहद जरूरी होता है। कार्बोहाइड्रेट और फैट्स वाली डाइट से इसकी शुरूआत करें। पीसीओएस में अक्सर इंसुलिन प्रतिरोधकता शामिल होती है, जोकि बहुत ज्यादा शुगर और कार्बोहाइड्रेट से और बिगड़ सकती है। इसकी जगह, ओट्स, किनुआ, ब्राउन राइस और प्राचीन अनाज जैसे ज्वार और बाजरा जैसे कॉम्प्लैक्स कार्बोहाइड्रेट को अपने भोजन में शामिल करें। साबुत अनाज और ओमेगा-3 के स्रोत जैसे अखरोट, बादाम और अलसी के बीज को डाइट में लें। इससे ब्लड शुगर लेवल को स्थिर बनाए रखने, इंसुलिन का स्तर अचानक बढ़ने के खतरे को कम करने में मदद मिलती है।
पीसीओएस में होने वाली मुंहासों की समस्या को करें कंट्रोल
इसके साथ ही पीसीओएस में होने वाली मुंहासों की समस्या को विटामिन ई और सी से कंट्रोल करें। साथ ही ऑलिव ऑयल, नट्स, एवोकाडो और राइस ब्रान ऑयल में पाए जाने वाले हेल्दी फैट्स लें। इसमें पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (पूफा) होते हैं, जोकि सूजन को कम करते हैं, प्रजनन को बेहतर बनाते हैं और टेस्टोस्टेरोन के अतिरिक्त स्तर को कम करते हैं। फल, हरी सब्जियां और क्रूसिफेरस सब्जियां, प्रोटीन रिच फूड्स और ब्रोकली, गोभी, ब्रसेल्स, स्प्राउट्स, बीन्स, दालों, बादाम, बेरीज, शकरकंद, कद्दू से भरपूर आहार लेने से पीसीओएस को कंट्रोल करने में बहुत मदद मिलती है।
नियमित रूप से फिजिकल एक्टिविटीज करें
पीसीओएस को कंट्रोल करना मुश्किल नहीं है। हर हफ्ते कम से कम 30 मिनट का नॉर्मल फिजिकल एक्टिविटी करें। फिर चाहे वो पार्क में ब्रिस्क वॉक हो, साइकिल चलाना या फिर स्वीमिंग। इस तरह की एक्टिविटीज से ना सिर्फ इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ती है, बल्कि पीसीओएस से जुड़ी आम समस्या, बढ़ते वजन को भी कम करने में मदद मिलती है।
सोने- उठने का समय फिक्स करें
हॉर्मोनल संतुलन बनाए रखने में अच्छी नींद बहुत जरूरी है, खासकर पीसीओएस के मामले हैं। हर दिन एक ही समय पर सोने और उठने की कोशिश करें। 7 से 8 घंटे की नींद लें। सोने का एक सही माहौल बनाने से पीसीओएस की समस्या पर काफी प्रभाव पड़ सकता है।
तनाव से दूर रहें
तनाव और पीसीओएस के बीच काफी गहरा कनेक्शन है जिस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। पीसीओएस में शामिल कोर्टिसोल तनाव बढ़ाने का काम करता है। हालांकि, पीसीओएस में शरीर में होने वाले बदलाव में इसकी भूमिका को अभी भी पूरी तरह समझा नहीं गया है। तनाव दूर करने के लिए ध्यान, योग, डीप ब्रीदिंग या माइंडफुलनेस जैसे प्रैक्टिस को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज, किसी भी वक्त किया जा सकता है।
प्लांट बेस्ड न्यूट्रिशन लें
कुछ खास तरह के सप्लीमेंट्स भी आपको पीसीओएस से लड़ने में मदद कर सकते हैं और हॉर्मोनल संतुलन को बेहतर बना सकते हैं। आयुर्वेदिक हर्ब्स पीसीओएस के लक्षणों को कम करने में प्रभावी माने जाते हैं। इनमें शतावरी, चेस्टबेरी, गोखरू, अलसी के बीज, अशोक और एलोवेरा शामिल हैं। ये हर्ब्स, ओव्यूलेशन को नियंत्रित करते हैं और हॉर्मोनल बैलेंस को बनाए रखते हैं।
ज्यादा स्ट्रेस न लें
तनाव अनियमित पीरियड्स का एक सबसे बड़ा कारण है। काम के दबाव और निजी जीवन की अराजकता के कारण, आपके मानसिक स्वास्थ्य पर दबाव पड़ता है, जो पीरियड्स को अनियमित कर सकता है।
कई बार पीसीओएस का कारण आपका तनाव भी होता है। इसलिए, अपने तनाव के स्तर को कम करने के लिए, एक उचित डाइट, नियमित रूप से व्यायाम और सबसे महत्वपूर्ण योग और बरीथिंग एक्सरसाइज का अभ्यास करें।
दालचीनी को अपने आहार में शामिल करें
यह इंसुलिन रिसेप्टर्स के कार्य को बढ़ाता है, जो पीसीओएस महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। वहीं विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, इरेगुलर पीरियड्स को प्रबंधित करने के लिए दालचीनी कारगर मानी जाती है। इसे चाय में शामिल करने का प्रयास करें और विशेषज्ञ द्वारा सुझाई गई मात्रा में ही लें।
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