Manipur : मैतेई उग्रवादी संगठनों पर प्रतिबंध बढ़ाने के फैसले पर होगा विचार
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Manipur : मैतेई उग्रवादी संगठनों पर प्रतिबंध बढ़ाने के फैसले पर होगा विचार

Manipur : नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मणिपुर में संचालित मैतेई उग्रवादी समूहों पर प्रतिबंध बढ़ाने के फैसले पर विचार करने के लिए न्यायाधिकरण का गठन किया है।

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ट्रिब्यूनल का गठन गौहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजय कुमार मेधी की सदस्यता में किया गया है. ट्रिब्यूनल यह तय करेगा कि क्या मणिपुर के मैतेई उग्रवादी संगठनों के साथ-साथ उनके गुटीय विंग और फ्रंट संगठनों को गैरकानूनी घोषित करने की वजह सही है की नहीं

गृह मंत्रालय ने किया न्यायाधिकरण का गठन
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, गृह मंत्रालय ने गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) न्यायाधिकरण का गठन किया है। गुवाहाटी हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार मेधी की सदस्यता में न्यायाधिकरण का गठन किया गया है। न्यायाधिकरण यह फैसला करेगा कि मणिपुर के मैतेई उग्रवादी संगठनों के साथ-साथ उनके गुटों, विंग और फ्रंट संगठनों को गैरकानूनी घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं।

पीपुल्स लिबरेशन पर कार्रवाई
आपको बता दें कि डेमोक्रेट पीपुल्स लिबरेशन आर्मी बड़े पैमाने पर सक्रिय है. इसमें रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट, यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट शामिल हैं. इसमें इसकी सशस्त्र शाखाएँ, पीपुल्स आर्मी, पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ़ कांगलेइपाक और सशस्त्र संगठन के साथ समन्वय समिति भी शामिल हैं.

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आपको बता दें कि गृह मंत्रालय ने 28 नवंबर की देर रात एक अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी थी कि मंत्रालय की ओर से यह फैसला 15 दिन बाद लिया गया है. इससे पहले, गृह मंत्रालय ने देश विरोधी गतिविधियों और सुरक्षा बलों पर घातक हमलों के लिए मैतेई उग्रवादी समूहों और उनके सहयोगियों पर पाबंदी को बढ़ा दिया गया था.

मैतेई उग्रवादी संगठनों पर लिया जाएगा फैसला
मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम, 1967 की धारा 5 की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए केंद्र सरकार ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार मेधी की सदस्यता में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) न्यायाधिकरण का गठन किया है। अधिसूचना के अनुसार, न्यायाधिकरण यह फैसला करेगा कि मणिपुर के मैतेई उग्रवादी संगठनों के साथ-साथ उनके गुटों, विंग और फ्रंट संगठनों को गैरकानूनी घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं।

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