Khetiwadi News : कैसे होती है ग्वार की खेती, हो जाओगे माला-माल
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Khetiwadi News : कैसे होती है ग्वार की खेती, हो जाओगे माला-माल

Khetiwadi News :  ग्वार खरीफ के मौसम में की जाने वाली लेग्यूमिनेसी कुल की एक फसल है | इसका पौधा सीधा 30 से 90 CM लम्बा होता है, जिसमे अनेक शाखाएं निकलती है | इसके पौधों पर निकलने वाले फूलो का आकार छोटा और रंग गुलाबी होता है, तथा फलियों की ऊपरी सतह रोएंदार होती है | ग्वार के एक पौधे से 110 से 133 फलिया प्राप्त हो जाती है | इसकी ताज़ी फलियों को सब्जी और भर्ता बनाने के लिए इस्तेमाल में लाते है |

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ग्वार ज़मीन की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने में सहायक होने वाली एक महत्तवपूर्ण फलीदार फसल है।  ग्वार की बिजाई शुष्क और कम पानी वाली इलाकों में भी की जा सकती है। इस पर सूखे का बहुत प्रभाव नहीं पड़ता। ग्वाररे की फलियों में निकलने वाले चिपचिपे पदार्थ का प्रयोग उदयोगिक मंतवों के लिए किया जाता है। इससे तैयार होते गोंद का प्रयोग तेल निकालने वाले उदयोगों, खाना बनाने और भोजन पदार्थों के अलावा छपाई, कपड़ा और कागज़ उदयोगों में भी किया जाता है।
इसके अलावा सूखी हुई फलियों में नमक लगाकर रखने से अधिक समय में तक उपयोग में ला सकते है | ग्वार की फलियों की 100 GM की मात्रा में 81 GM पानी, 3.2 GM रेशा, 3.2 GM प्रोटीन, 10.8 GM कार्बोहाइड्रेट, 1.4 GM खनिज और 0.4 GM वसा पाया जाता है |
ग्वार के फसल की तुड़ाई जरूरत वाली उपज के अनुसार की जाती है | इस दौरान यदि आप हरी सब्जी के रूप में फसल प्राप्त करना चाहते है, तो उसके लिए आपको 55 से 70 दिनों में मुलायम फलियों की अवस्था में तुड़ाई करनी चाहिए | इन फलियों को 5 दिन के अंतराल में तोड़ते रहना होता है | इसके अतिरिक्त यदि आप चारे के रूप में फसल को प्राप्त करना चाहते है, तो उसके लिए 60 से 80 दिनों में पौधों पर फूल आने के दौरान उनकी कटाई कर ले | फसल से दानो को प्राप्त करने के लिए पूर्ण रूप से फसल के पक जाने पर ही तुड़ाई करे | Guar Cultivation:

मिट्टी:- इसे हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है। अच्छे निकास वाली रेतली दोमट मिट्टी में उगाने पर यह अच्छे परिणाम देती है।

फसल हेतु उपयुक्त भूमि (Crop Soil)
ग्वार की खेती उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी में करना चाहिए | इसकी फसल सिंचित और असिंचित दोनों ही जगहों पर आसानी से उगाई जा सकती है | 7.5 से 8.5 P.H. मान वाली लवणीय व् हल्की क्षारीय भूमि में ग्वार की खेती आसानी से कर सकते है |

बीजो की बुवाई का तरीका (Seeds Sowing Method)
ग्वार के बीजो को बीज के रूप में लगाया जाता है | बीजो को लगाने के लिए ड्रिल विधि या छिड़काव विधि का इस्तेमाल करते है | समतल विधि में बीजो को खेत में छिड़ककर हल्का पाटा लगाकर चला दिया जाता है | इससे बीज खेत की कुछ गहराई में चला जाता है | ड्रिल विधि में बीजो को पंक्तियो में लगाया जाता है | पंक्तियों में बीज से बीज के मध्य 10 से 15 CM की दूरी तथा पंक्ति के मध्य 40 से 45 CM की दूरी रखे | बुवाई के समय खेत में नमी होनी चाहिए, ताकि बीजो का जमाव ठीक तरह से हो सके | ग्वार के बीजो की रोपाई ग्रीष्मकालीन के मौसम में फ़रवरी से मार्च माह के मध्य की जाती है, तथा वर्षाऋतु में बीजो को जून से जुलाई के मध्य लगाया जाता है | Guar Cultivation:

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बीजो की मात्रा व् बीजोपचार (Seeds Quantity and Treatment)
यदि आप ग्वार की फसल दानो और हरी फलियों के लिए करना चाहते है, तो उसके लिए 15 से 18 KG बीज की जरूरत होती है, तथा हरी खाद फसल में 30 से 35 KG बीज लगते है | इसके अलावा हरे चारे के लिए 35 से 40 KG बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगते है | इन बीजो को खेत में लगाने से पहले उन्हें कैप्टान या बाविस्टिन की उचित मात्रा से उपचारित कर ले ताकि बीजो को आरम्भ में फफूंद जैसे रोग न लगे | पौधों में जड़ो की अधिक मात्रा में गांठ प्राप्त करने के लिए जीवाणु रोधक राइजोबियम उवर्रक से उपचारित कर लेना चाहिए | एक हेक्टेयर के खेत में 200 GM की मात्रा वाले दो पैकेट जीवाणु रोधक की जरूरत होती है |

फसल की सिंचाई (Crop Irrigation)
ग्वार की फसल को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती है | खरीफ के मौसम में की गयी रोपाई में सिंचाई की जरूरत नहीं होती है | यदि बारिश समय पर नहीं होती है, तो अधिकतम 3 सिंचाई ही करनी होती है | गर्मियों के मौसम में 6 से 7 दिन के अंतराल में पौधों को पानी दे | असिंचित जगहों पर खेत में बुवाई के 25 से 45 दिन पश्चात् थायोयूरिया की उचित मात्रा का छिड़काव करना होता है, ताकि उपज में ठीक तरह से बढ़ोतरी हो सके | Guar Cultivation:

फसल में खरपतवार नियंत्रण (Crop Weed Control)
ग्वार की फसल में खरपतवार नियंत्रण की अधिक जरूरत होती है | इसलिए खेत में समय-समय पर निराई – गुड़ाई करना होता है, ताकि पौधों की जड़ो का विकास ठीक तरह से हो सके और जड़ो में ताज़ी हवा भी पहुंच सके | इसके अलावा रासायनिक तरीके से खरपतवार को रोकने के लिए 1 KG बेसालिन की मात्रा का छिड़काव प्रति हेक्टेयर के खेत में करे |

ग्वार की फसल रोग एवं रोकथाम (Guar Crop Diseases and Prevention)
दीमक : – ग्वार की फसल में इस क़िस्म का रोग पौधों की जड़ो पर आक्रमण करता है | इस रोग से बचाव के लिए क्लोपाइरीफॉस पॉउडर की 20 से 25 KG मात्रा या क्यूनलफोस 1.5 प्रतिशत का छिड़काव प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत की आखरी जुताई के समय करना होता है | Guar Cultivation:

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ग्वार की पैदावार और कीमत (Guar Yield and Price)
ग्वार की उन्नत किस्मो से 250 से 300 क्विंटल का प्रति हेक्टेयर उत्पादन हरे चारे के रूप में प्राप्त हो जाता है | इसके अलावा 70 से 120 क्विंटल तक हरी फलिया और 12 से 18 क्विंटल दानो का उत्पादन प्रति हेक्टेयर की फसल से मिल जाता है | ग्वार की बाज़ारी कीमत क़िस्म के आधार पर 5000 से 6000 हज़ार रूपए प्रति क्विंटल होती है | जिस हिसाब से किसान भाई ग्वार की एक बार की फसल से अच्छी खासी कमाई कर सकते है|

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