JHJ Exclusive:आजकल एक ऐसी परेशानी है जिससे जनता जूझ रही है यानी प्रदूषण प्रदूषण से। भारत से पहले प्रदूषण किस देश में था और उस पर किस देश में किस तरह से काबू पाया गया। क्या केवल प्रदूषण दिल्ली एनसीआर की ही समस्या है या अन्य देशों में भी प्रदूषण सरकारों के एक जटिल समस्या बनी हुई है। वैसे तो प्रदूषण का जिक्र वेदों में भी मिला है। तैत्तिरीय आरण्यक ग्रंथ में इसका उल्लेख मिलता है। इस ग्रंथ में प्रदूषण को वायुमंडलीय प्रदूषण के रूप में वर्णित किया गया। जिसे शहरी क्षेत्र के बारे में कहा जा सकता है। खैर 1952 में लंदन प्रदूषण से जूझ रहा था उस वक्त शायद भारत में लोग प्रदूषण जैसे शब्दों से चित परिचित हो। इस वीडियो को आखिरी तक देखिए तो आपको प्रदूषण के कारण और क्यों होता है पहले कौन-कौन से देश इससे जूझ रहे थे यह सब जानकारी मिलने वाली है।
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शुरुआत करते हैं प्रदूषण क्या है। किसके कहा जा सकता है। प्रदूषण का अर्थ होता है वायु, जल एवं मृदा के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणों में होने वाला ऐसा अवांछित परिवर्तन जो मनुष्य के साथ ही सम्पूर्ण परिवेश के प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक तत्वों को हानि पहुँचाता है उसे प्रदूषण कहते है। प्रदूषण कई प्रकार का हो सकता है, जैसे कि वायु, जल, और ध्वनि प्रदूषण। आइए इनमें से कुछ को विस्तार से देखें। दरअसल प्रदूषण का कारण केवल सड़कों पर दौड़ रहे हैं वाहन ही नहीं है बल्कि औद्योगिक गतिविधियां भी है बढ़ती उद्योगों की संख्या और उनका विकास वायुमंडलीय प्रदूषण को बढ़ा रहा है। जैसे फैक्ट्री से धुआं निकलता, आवाज निकलती है और केमिकल युक्त पदार्थ भी यहां से निकलते हैं वाहनों का प्रयोग करने से भी प्रदूषण काम नहीं होता ज्यादा ही होता है वाहनों से ओजोन नाइट्रेट ऑक्साइड सल्फर डाइऑक्साइड आदि पदार्थ निकलते हैं जो हमारे शरीर के लिए बेहद हानिकारक है। उद्योग और वाहन ही प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नहीं है। कृषि गतिविधियां भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। आप सोच रहे होंगे कृषि आखिर कैसे जिम्मेदार है दरअसल खेती के लिए उपयोग में आने वाले उर्वरकों को और पेस्टिसाइड्स का अधिक उपयोग भूमि और जल को दोनों को ही प्रदूषित करता है। यदि आपके घर से निकलने वाले कूड़े का मैनेजमेंट सही ना हो तो भी प्रदूषण होता है। वन्य जीवों की हत्या करने से भी प्रदूषण होता है। क्योंकि वन्य जीव एक दूसरे पर डिपेंडेंट होते हैं। यदि उनकी चेन टूटेगी तो प्रदूषण का कारण बढता चला जाता हैं। चलते है उन देशों की ओर जहां प्रदूषण से उनके नागरिक जूझ रहे हैं।
भारत जहां वायुमंडलीय प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण से लोग जूझ रहे हैं। चीन में एक ऐसा वक्त आया था जब वह प्रदूषण से लड़ने के लिए आर्टिफिशियल रैन तक करने को मजबूर हो गया था। चीन के उद्योग भारी मात्रा में जल संसाधनों का उपयोग करते हैं और उसे प्रदूषित करते हैं। अमेरिका जिसे विकसित राष्ट्र माना जाता है। वह भी प्रदूषण से जुड़ता दिखाई देता है। यहां प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है ओजोन लेयर में छेद होना और ग्लोबल वार्मिंग के साथ-साथ साउंड पॉल्यूशन एक अहम कारण है। ब्राजील भी प्रदूषण से जुड़ता है। दरअसल, ब्राजील में कोई उद्योग या वाहन नहीं है बल्कि वन्य जीवों की हत्या कारण है। हत्या के कारण ही यहां सामूहिक प्रदूषण का सामना करने को लोग मजबूर है। बढ़ते प्रदूषण के कारण धरती पर कई समस्याएं पैदा हो रही है। विभिन्न देशों सरकारें सोच रही है इनका सामना कैसे किया जाए और इनका निस्तारण कैसे हो। इस पर गहनता से विचार हो रहा है, लेकिन असर नहीं दिखाई दें रहा है।
एनवायरमेंट परफॉर्मेंस इंडेक्स के अनुसार भारत 180 देशों के इंडेक्स में 180 वे स्थान पर है। आप सोच रहे होंगे कि पहले स्थान पर कौन सा देश है। पहले स्थान पर डेनर्माक में, हवा के मामले में देखे तो आस्टेलिया पहले स्थान पर है। ईपीआई एक वैश्विक रेटिंग प्रणाली है जो राष्ट्रों को उनके पर्यावरणीय स्वास्थ्य के आधार पर रैंक करती है।
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अब बतातें है प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के बारे में
रिसर्च के अनुसार, शरीर की लगभग सभी बीमारियाँ जैसे- हृदय और फेफड़ों की बीमारी, मधुमेह और मनोभ्रंश, यकृत की समस्याएँ, मस्तिष्क, पेट के अंगों, प्रजनन और मूत्राशय के कैंसर से लेकर भंगुर हड्डियों तक सभी कहीं न कहीं वायु प्रदूषण के ही कारण हैं। विषैली हवा से प्रजनन क्षमता, भ्रूण और बच्चे भी प्रभावित होते हैं।