News: दुनिया में हथियारों की खरीददारी में वृद्धि के कई कारण हो सकते हैं, जो वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा, राजनीति और आर्थिक कारक भी जुड़े हो सकते हैं।
भू-राजनीतिक तनाव और संघर्ष:
– रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता (विशेषकर दक्षिण चीन सागर और ताइवान को लेकर), और मध्य पूर्व में तनाव (जैसे इजरायल-ईरान) ने देशों को अपनी रक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए बाकी देशों को प्रेरित किया है। यूक्रेन ने 2015-2019 की तुलना में 2020-2024 में हथियारों की खरीद में 100 गुना वृद्धि की है ।
– पड़ोसी देशों से बढ़ते खराब संबंध और क्षेत्रीय विवाद, जैसे भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन सीमा तनाव, ने भी हथियारों की मांग में बढ़ोतरी लाई है।
रक्षा बजट में वृद्धि:
– नाटो देशों ने रक्षा खर्च को अपने जीडीपी का 2% या उससे अधिक खर्च करने का निर्णय लिया है, जिससे हथियारों, ड्रोन, मिसाइल और रडार सिस्टम की मांग बढ़ी है।
– वैश्विक स्तर पर सैन्य खर्च में वृद्धि देखी गई है, जैसे 2018 में 1917 बिलियन डॉलर का खर्च और 2021 में 592 अरब डॉलर की हथियारो बिक्री हुई है।
आत्मनिर्भरता और रक्षा का आधुनिकीकरण:
– देश अपनी सैन्य क्षमता को आधुनिक बनाने और आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए हथियार खरीद रहे हैं। भारत, उदाहरण के लिए, रूस, फ्रांस और इजरायल से हथियार आयात करता है, लेकिन अब स्वदेशी रक्षा उत्पादन की ओर भी जोर दे रहा है।
– यूरोपीय देशों में हथियार आयात में 155% की वृद्धि हुई, जो रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद सुरक्षा चिंताओं को दर्शाता है।
प्रमुख हथियार निर्यातकों का प्रभाव:
– अमेरिका वैश्विक हथियार बाजार में 40% हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ा निर्यातक है, जबकि रूस और चीन भी प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं। सऊदी अरब जैसे देशों ने अमेरिका से 142 अरब डॉलर के हथियार खरीदे।
– भारत और यूक्रेन जैसे देशों की भारी खरीदारी ने वैश्विक हथियार व्यापार को बढ़ावा दिया है। भारत 2020-2024 में दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक रहा था।
कुछ देश, जैसे पाकिस्तान, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता (जैसे IMF से ऋण) मिलने पर हथियारो की खरीद में वृद्धि कर रहा हैं।
– एशिया में चीन के सैन्य निर्माण ने पड़ोसी देशों को अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया है।
साइबर युद्ध, परमाणु हथियारों की दौड़ और कट्टर विचारधाराओं ने वैश्विक स्तर पर हथियारों की होड़ को एकदम बढ़ा दिया है।
– कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि शांति की बात करने वाले देश (जैसे अमेरिका) भी हथियार व्यापार में सक्रिय हैं, जो वैश्विक तनाव को और बढ़ाता है।
निष्कर्ष: हथियारों की खरीददारी में वृद्धि के पीछे क्षेत्रीय संघर्ष, रक्षा आधुनिकीकरण, भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और आर्थिक रणनीतियाँ प्रमुख कारण हो सकती हैं। हालांकि, भारत जैसे देश आयात के साथ-साथ स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भरता की दिशा में भी अपना कदम बढ़ा रहे हैं।
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