कोविड के समय में हम सबने देखा कैसे प्रकृति को ईश्वर ने नियंत्रण अपने हाथ लियाः दादाश्री
1 min read

कोविड के समय में हम सबने देखा कैसे प्रकृति को ईश्वर ने नियंत्रण अपने हाथ लियाः दादाश्री

हमारी पृथ्वी बदल रही है, तापमान बढ़ रहा है। दुनिया में आपदाएं बढ़ रही हैं। कोविड के समय में हम सबने देखा कैसे प्रकृति ने, ईश्वर ने नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था। एक तरह से देखें तो मनुष्य ने इस परिस्थिति को स्वाभाविक तौर से स्वीकार लिया है। पर वो दिन दूर नहीं जब प्रकृति, ईश्वर या हम दैविकता को जिस भी रूप में मानते हैं, वापस से इस विश्व का नियंत्रण अपने हाथ में ले लेंगे। तो फिर अब समाधान क्या है?

 

 

दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में, एक भव्य समारोह ट्रांसफॉर्म विद मैत्रेय चलें परिवर्तन की ओर में मैत्रीबोध परिवार के मार्गदर्शक मैत्रेय दादाश्रीजी ने 5000 से ज्यादा उपस्थित दर्शकों, 300़ वीआईपी और इनफ्लूएंसर्स को आंतरिक परिवर्तन की राह दिखाई। मैत्रेय दादाश्रीजी ने सभी साधकों को अपने आप को परिवर्तित करते हुए, निर्भय बनने और अपने आप को उन्नत करने और सक्षम बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा सक्षम लोग ही एक सक्षम देश बनाएंगे। पहले भी पूरे विश्व का मार्गदर्शन भारत देश ने ही किया है। बड़े-बड़े संत जैसे कबीर जी,गुरु नानक जी, आदि शंकराचार्य जी आदि ने भारत की धरती से ही विश्व का मार्गदर्शन किया था। भगवद गीता, वेद और गुरु ग्रंथ साहिब जी जैसे इतने महान ग्रंथों का जन्म भी भारत में ही हुआ। और आगे भी विश्व गुरु के रूप में भारत ही है जो पूरे विश्व को सही दिशा में लेकर जाएगा।

वैश्विक परिवर्तन के इसी प्रयास में मैत्रीदूत मूवमेंट की घोषणा करते हुए, मैत्रेय दादाश्रीजी ने सभी साधकों को एक आवाज, एक विश्व, एक विचार और एक परिवार के रूप में एकजुट होने के लिए प्रार्थना की। एक मैत्रीदूत को सभी लोगों को अपने मित्र के रूप में देखना चाहिए, अपने ह्रदय से सत्य का साथ देना है और हमेशा सत्य के लिए कार्य करना है। प्रेम और पूरी निष्ठा के साथ हर कर्तव्य का पालन करते हुए, अपने और दूसरों के लिए सत्य के साथ खड़े होना है, हमेशा सेवा के लिए तत्पर रहते हुए, सभी के लिए करुणा का भाव रखना है और गौशालाओं को सहारा देना है और गायों की रक्षा करनी है। एक मैत्रीदूत को इस भावना में रहना चाहिए कि उनके पास जो भी है वह ईश्वर का है और ईश्वर को समर्पित है।

अगर आप भी इस वैश्विक परिवर्तन का भाग बनना चाहते हैं या इस देश में सुधार लाना चाहते हैं तो आप भी मैत्रीदूत बन सकते हैं। बदलेंगे आप तो बदलेगा देश। मैत्रेय दादाश्रीजी कहते हैं, मेरे से पहले कई लोगों ने आपके मोक्ष और मुक्ति के लिए शिक्षाएं और विधियां दी होंगी। मैं उन्हें दोहराने नहीं आया हूं। मैं उस अनुभव को आप के ह्रदय में पहुंचाने और उसे आपका सत्य बनाने आया हूं।

यहां से शेयर करें