Ghaziabad News:हरित पट्टियों में गंदगी के ढेर से स्वच्छता पर सवाल
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Ghaziabad News:हरित पट्टियों में गंदगी के ढेर से स्वच्छता पर सवाल

Ghaziabad News। शहर की हरित पट्टियों और सेंट्रल वर्ज में कूड़े के ढेर से शहर में स्वच्छता पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं, आसपास रहने वालों को दिक्कत हो रही है। इनमें लगी घास और पौधे देखरेख के अभाव में सूख गए हैं। इसके बाद भी इनपर जीडीए का कोई ध्यान नहीं है।
शहर में जीडीए की 35 किलोमीटर लंबी हरित पट्टी विकसित है। इसके अलावा सेंट्रल वर्ज, गोल चक्कर आदि है। इनकी देखरेख का जिम्मा उद्यान अनुभाग पर है, लेकिन करीब एक साल से इनका ठेका जारी नहीं हो सका है।

इस कारण इनकी हालत खराब हो रही है। इनमें गंदगी फैल रही है। जीडीए की हापुड़ रोड, शास्त्रीनगर, सिद्धार्थ विहार, वसुंधरा, आरडीसी, राजनगर, कविनगर, गोविंदपुरम, इंदिरापुरम, संजयनगर, स्वर्णजयंतीपुरम आदि क्षेत्रों की सड़कों के दोनों तरफ हरित पट्टियां विकसित हैं। यहां देखरेख सही से नहीं होने के कारण घास और पौधे सूखने लगे हैं। अधिकारी बताते हैं कि उद्यान अनुभाग लगातार हरित पट्टियों और गोल चक्कर की देखरेख कर रहा है।

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हरित पट्टी बनी कूड़ादान
गोविंदपुरम आवासीय योजना में प्रवेश के बाद डीडीपीएस स्कूल पर हरित पट्टी में कूड़ा डाला जा रहा है। इस योजना में कई जगह हरित पट्टियों में कूड़ा डाला जा रहा है। आई और डी ब्लॉक की हरित पट्टियों में भी मिट्टी और गंदगी नजर आई।

स्टाफ की कमी बन रही है बाधा
जीडीए अधिकारी बताते हैं कि उद्यान अनुभाग में स्टाफ की कमी है। इस कारण पार्क, हरित पट्टी, सेंट्रल वर्ज, गोलचक्कर की देखरेख नहीं हो रही है। प्राधिकरण के पास करीब 20 माली हैं। ऐसे में सभी पार्क, सेंट्रल वर्ज आदि की देखरेख करने संभव नहीं है। इसके लिए ही टेंडर जारी कर ठेकेदार को इनकी देखरेख की जिम्मेदारी दी जाती है। हालांकि जब तक टेंडर जारी नहीं हो रहे हैं, तब तक प्राधिकरण के माली व कर्मचारी ही इनकी देखरेख में लगे हैं। लेकिन स्टाफ की कमी के कारण कार्य प्रभावित हो रहा है। इसके लिए जल्द ही निविदा जारी की जाएंगी। ताकि टेंडर जारी कर ठेकेदार से इनकी सही से देखरेख कराई जा सके।

क्या कहते हैं अधिकारी
जीडीए उद्यान प्रभारी -एसके भारती का कहना है कि, जीडीए का उद्यान अनुभाग हरित पट्टियों की देखरेख कर रहा है। जल्द ही इन्हें सवारने के लिए निविदा डाली जाएंगी ताकि इनके टेंडर जारी कर सही से देखरेख हो सके।

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