Abkari Vibhag ne Container me Licence Kaise Dyia: ग्रेटर नोएडा। आम तौर पर जब कोई भी व्यक्ति या कंपनी आबकारी विभाग से लाइसेंस लेने जाती है तो कई प्रकार की फॉर्मैलिटीज़ बता दी जाती है। फायर और प्राधिकरण की एनओसी लेना अनिवार्य रहता है, लेकिन आबकारी विभाग ने इस बार कई नियमों को दरकिनार करते हुए शराब के ठेके आवंटित करने में खेल किया है। ऐसे में इन आवंटनों की जांच की मांग भी उठने लगी है। बताया जा रहा है कि आबकारी री विभाग की नई नीति के तहत ई लॉटरी सिस्टम से गौतम बुद्ध नगर में 501 शराब की दुकानों का आवंटन किया गया। 1 अप्रैल से सभी दुकानों को चालू होना था लेकिन कुछ जगह लाइसेंस धारकों को दुकानें नहीं मिली। अब ये लाइसेंस धारक सड़क के किनारे कंटेनर रखकर शराब बेच रहे हैं। इतना ही नहीं कुछ ऐसे स्थान हैं जहाँ प्राधिकरण के नियोजन में दिक्कतें आ रही है और यातायात व्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ रहा। बताया जा रहा है कि ऐसा इसलिए हो रहा तााकि मंहगी दुकानों का किराया बच सके। कंटेनर सस्ता रहता है जबकि दुकान का किराया काफी ज्यादा होता है।
प्राधिकरण की अनुमति के बिना ही आवंटित हुए ठेके
बता दें कि आबकारी विभाग ने प्राधिकरण की अनुमति के बिना ही आबकारी पॉलिसी के नियमों को लागू कर दिया। काफी लाइसेंस धारकों को कंटेनर में सड़कों के किनारे दुकानें खोलने की अनुमति दे दी गई। इनमें काफी कंटेनर ऐसे हैं, जहां दुकान उपलब्ध हैं, लेकिन मुनाफा नहीं होने पर लाइसेंस धारक ने विभाग की मदद से सड़क किनारे कंटेनर रख दिया, जबकि संबंधित प्राधिकरण ने एनओसी नहीं दी है। आबकारी विभाग की अनदेखी से शहर में अतिक्रमण को बढ़ावा मिल रहा है। वहीं दुकानों से लोगों को परेशानी हो रही है।
इन स्थानों पर दुकानें पर कंटेनर में चल रहे ठेके
बताया जा रहा है कि ग्रेटर नोएडा के सेक्टर डेल्टा वन, ओमीक्रॉन आदि जगहों पर कंटेनर में शराब बेची जा रही है, जबकि यहां आसपास दुकानें उपलब्ध है। शहर की मुख्य सड़क व कॉमर्शियल बेल्ट में कंटेनर रखे गए हैं। गांव, सेक्टर के अलावा धारकों को कम मुनाफा होने के कारण आबकारी विभाग ने उनको कंटेनर में दुकान खोलने की अनुमति दे दी है।
क्या कहते है जिला आबकारी अधिकारी
जिला आबकारी अधिकारी सुबोध कुमार ने कहा कि पॉलिसी में अगर स्थायी दुकान नहीं मिलती है तो हे तो प्री-फैब्रिकेटेड स्ट्रक्चर में शराब का ठेका शुरू किया जा सकता है। कुछ लाइसेंस धाराको दुकानें नहीं मिली हैं। वहां कंटेनर में दुकानें चल रहे हैं। इस संबंध में लाइसेंस धारक को प्राधिकरण से अनुमति होगी। प्राधिकरण की और से आपत्ति आती है तो दुकानों को शिफ्ट किया गया है। हालांकि सवाल उठ रहे है कि प्राधिकरण की अनुमति के बिना लाइसेंस जारी कैसे किये गए।
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