डीसीपी सुनीति की बढ सकती है मुश्किलें, पुलिस कस्टडी में हुई मौत के मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला
गौतमबुद्ध नगर में तैनात डीसीपी सुनीति की मुश्किलेें बढ सकती है। कानपुर देहात जिला एवं सत्र न्यायालय का ने पुलिस कस्टडी में हुई मौत के मामले में फैसला सुनाया है। मामला वर्ष 2022 में उस वक्त हुआ जब कानपुर देहात में पुलिस अधीक्षक के पद पर सुनीति कार्यरत थी। उस दौरान एक बलवंत नामक व्यक्ति की पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले में कोर्ट ने दो पुलिस अधिकारियों को दोषी करार देते हुए 5-5 साल की सजा सुनाई है। इस मामले में न्यायाधीश पूनम सिंह ने आदेश दिया है कि मृतक बलवंत सिंह के परिवार को दी गई 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता की राशि तत्कालीन एसपी सुनीति और उनके मातहत रहे अन्य अधिकारियों के वेतन से वसूली जाएगी।
ये है पूरा मामला
बता दें कि 12 दिसंबर 2022 को कानपुर देहात में लूट के एक केस में बलवंत सिंह को हिरासत में लिया गया था। आरोप है कि हिरासत के दौरान बलवंत सिंह को इतनी पीटाई कि गई कि उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद कानपुर देहात में जनता में आक्रोश फैल गया था। नौ पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इस मामले में आरोपी तत्कालीन शिवली थाने के एसएचओ राजेश कुमार सिंह और मैथा चैकी इंचार्ज ज्ञान प्रकाश पांडेय को अदालत ने धारा 304 (2) आईपीसी के तहत दोषी ठहराया। इस धारा के अंतर्गत अधिकतम सजा 10 साल होती है। अदालत ने दोनों अधिकारियों को 5-5 साल की कैद और 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। आगे कोर्ट ने कई अफसरों पर सवाल भी उठाए।
अफसरों के बारे में दिये बयान
अदालत में दोषी ठहराए गए इंस्पेक्टर राजेश कुमार सिंह और सब-इंस्पेक्टर ज्ञान प्रकाश पांडेय ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के निर्देशों का पालन किया। उनका कहना था कि उनकी बलवंत सिंह से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी और उनकी मंशा बलवंत को नुकसान पहुंचाने की नहीं थी, बल्कि वे अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे थे।
जांच में वरिष्ठ अफसर सवालों में घिरे
मालूम हो कि बलवंत सिंह की मौत के मामले की जांच कन्नौज के तत्कालीन एसपी कुंवर अनुपम सिंह के नेतृत्व में की गई थी। जांच में पाया गया कि कानपुर देहात के तत्कालीन एसपी सुनीति सिंह, रसूलाबाद के सीओ आशाराम पाल सिंह, अकबरपुर के सीओ प्रभात कुमार और रनिया थाने के एसएचओ शिवप्रकाश सिंह ने अपने पदों का दुरुपयोग किया और उचित कर्तव्यों का पालन नहीं किया। अदालत ने इनके खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया कि बलवंत सिंह की पत्नी को दिए गए 10 लाख रुपये का मुआवजा इन अफसरों के वेतन से काटा जाए।