नोएडा के इस थाने की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने लगाई यूपी पुलिस को फटकार, कहा कानून का राज़ ध्वस्त

Supreme Court:

Supreme Court ne UP Police ko lagai Fatkar: सुप्रीम कोर्ट ने दीवानी मामले को आपराधिक कानून की श्रेणी में लबाये जाने को लेकर यूपी पुलिस को फटकार लगाई। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए नाराजगी जाहिर करते हुए कहा अदालत ने यूपी पुलिस की ओर से दीवानी मामलों में दर्ज की गईं प्राथमिकियों पर गौर करने से पता चलता है कि राज्य में कानून का शासन पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने यूपी के डीजीपी और गौतमबुद्ध नगर जिले के थाना सेक्टर 39 प्रभारी को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा कि एक दीवानी मामले में आपराधिक कानून क्यों लागू किया गया। पीठ ने अपनी नाराजगी उस वक्त जताई, जब पीड़ितों के वकील ने अदालत को बताया कि प्राथमिकी इसलिए दर्ज की गई, क्योंकि दीवानी विवादों के निपटारे में लंबा समय लगता है।

चीफ जस्टिस ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में कानून का शासन पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। दीवानी मामले को आपराधिक मामले में बदलना स्वीकार्य नहीं है। जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘यूपी में जो हो रहा है, वह गलत है. हर रोज दीवानी मामलों को आपराधिक मामलों में बदला जा रहा है। यह बेतुका है, केवल पैसे न देने को अपराध नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा, ‘हम जांच अधिकारी यानी आईओ को कठघरे में आने का निर्देश देंगे। आईओ गवाह के कठघरे में खड़े होकर आपराधिक मामला बनाएं…यह आरोपपत्र दाखिल करने का तरीका नहीं है। आईओ को सबक सीखने दें।

पीठ कहा, ‘सिर्फ इसलिए कि दीवानी मामलों में लंबा समय लगता है, आप प्राथमिकी दर्ज कर देंगे और आपराधिक कानून लगा देंगे?’ शीर्ष अदालत ने नोएडा के सेक्टर-39 स्थित संबंधित थाने के जांच अधिकारी को निचली अदालत में गवाह के रूप में उपस्थित होने और मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का औचित्य बताने का निर्देश दिया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रदद की थी याचिका
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट आरोपी देबू सिंह और दीपक सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। दोनों आरोपियों ने अपने खिलाफ दर्ज केस को खारिज करने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन वहां से उनकी अर्जी खारिज हो गई। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई।

आपराधिक कार्यवाही पर रोक
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा की निचली अदालत में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी। हालांकि यह भी कहा कि उनके खिलाफ चेक बाउंस का मामला जारी रहेगा। नोएडा में दोनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 506 (आपराधिक धमकी) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

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