राजनीति में ओमप्रकाश धनखड़ का रहा योगदान, जाने पूरी कहानी

 

ओमप्रकाश धनखड़…साधारण परिवार में जन्में असाधारण व्यक्ति होने का गौरव उन्हें प्राप्त है। उनके जीवन का एक ही लक्ष्य, जनसेवा के लिए समर्पण। अपने दल के लिए निष्ठावान रहकर हर किसी को ऐसी ही शिक्षा देना। एक शिक्षक के बाद राजनीति का ककहरा पढ़कर राजनीति में भी महारत हासिल करके आज उन्होंने अलग स्थान बनाया है। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी हरियाणा के मुखिया (प्रदेश अध्यक्ष) के नाते संगठन को मजबूत करने की जो शक्ति उनमें है, वह हर किसी में नहीं हो सकती।
23 अक्टूबर 1961 को तत्कालीन रोहतक जिला के ढाकला गांव में किसान परिवार (माता छोटो देवी एवं पिता वैद मोहब्बत सिंह) में जन्में ओमप्रकाश धनखड़ बचपन से ही विशेष प्रतिभा के धनी रहे। उनके दादा जी रघुवीर सिंह भारतीय रेलवे में स्टेशन मास्टर रहे। ओमप्रकाश धनखड़ के परदादा ने परोपकार का ऐसा पौधा लगाया जो, पीढ़ी दर पीढ़ी बड़ा होता चला गया। यूं कहें वह आज बरगद बनकर हर उस व्यक्ति को छाया दे रहा है, जो जीवन के सफर में वंचित है। परदादा ने परोपकार के काम की नींव रखते हुए अपने गांव ढाकला में पहला स्कूल बनाने में अहम योगदान दिया। उसी स्कूल से ही ओमप्रकाश धनखड़ ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा हासिल की। इसके बाद भिवानी के चरखी दादरी में पढ़े। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से उन्होंने परास्नातक और एम.एड की शिक्षा ली। शिक्षा की इसी सीढ़ी पर चढ़ते हुए उन्होंने अध्यापक का कार्य किया यानी वे शिक्षक बनें बच्चों में ज्ञान की लौ जलाने लगे।
वैसे छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देने लगे। वे छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य बनकर उनमें शामिल हुए और फिर हरियाणा प्रदेश मंत्री, प्रदेश उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आदि पदों तक पहुंचे। इस दौरान उन्होंने रचनात्मक कार्य करने के साथ आंदोलनों में भी भाग लेकर अपनी आवाज को बुलंद करना शुरू कर दिया। उन्होंने उस समय की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विफलता पर ब्लैक पेपर का प्रकाशन किया।
देश की एकता अखंडता के लिए 10 हजार छात्र-छात्राओं का नेतृत्व किया व तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को लाल चैक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए सौंपा। एसईआईएल प्रकल्प में जाकर नॉर्थ-ईस्ट के छात्रों के रहन-सहन, उनके शैक्षिक वातावरण का अध्ययन किया। भूटान में हिन्दू समाज को आ रही समस्याओं को लेकर वहां के राजा से भेंट कर समाधान की बात की।
श्री धनखड़ ने वर्ष 1996 में राजनीति में ऐसा कदम रखा आज वे राजनीति में पुरोधा बनकर खड़े हैं। उनकी हर बात, उनका हर कदम का और उनका हर निर्णय अहम होता है। भारतीय जनता पार्टी हरियाणा में वे जिला अध्यक्ष, प्रदेश महामंत्री, राष्ट्रीय मंत्री के साथ भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को सुशोभित कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्रों में से एक ओमप्रकाश धनखड़ की सोच सदा संगठन को मजबूत, जनता को सहूलियत देने की होती है। किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए किसानों की समस्याओं को उजागर करते हुए एक सशक्त किसान आंदोलन उन्होंने खड़ा किया। 2014 के चुनाव से पहले उन्होंने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल करवाया और सत्ता में आने पर लागू करवाने में अपना अहम योगदान दिया। इसी रिपोर्ट को लागू करने के लिए उन्होंने पूर्व की सरकारों में खूब आंदोलन किए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उन पर विश्वसनीयता का यह बड़ा उदाहरण है कि जब स्टेच्यू ऑफ यूनिटी बनाने का निर्णय हुआ तो उन्होंने ओमप्रकाश धनखड़ को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। देशभर के किसानों से लोहा संग्रह करके उन्होंने इस स्टेच्यू के निर्माण में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने देश भर के हर कोने में रहने वाले किसानों के खेत-खलिहान से खेती में उपयोग होने वाले यंत्रों को सम्मानपूर्वक एकत्रित किया। उनकी मेहनत का वही लोहा आज नर्मदा नदी के किनारे सरदार वल्लभ भाई पटेल की आदमकद प्रतिमा के रूप में देश और दुनिया को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
हरियाणा में वर्ष 2014 के चुनाव में बादली से विधायक चुने जाने के बाद ओमप्रकाश धनखड़ सरकार में कृषि, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, पशु पालन, मत्स्य पालन मंत्री बनें। इन विभागों में बतौर मंत्री उनका काम ऐतिहासिक रहा। कृषि मंत्री के नाते 50 प्रतिशत मुनाफे के साथ फसलों के लाभकारी दाम (स्वामीनाथन), हरियाणा में सब फसलों की खरीद, फसल बीमा, भावातंर भरपाई, फसलों का मुआवजा 6 हजार से 12 हजार अब 15 हजार रुपये एकड़, कृषि रत्न सम्मान, एग्री लीडरशिप सम्मिट करवाकर उन्होंने किसानों को सम्मान देने का काम किया।

देश में पहली बार हरियाणा को दी पढ़ी-लिखी पंचायत’

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री के नाते देश में पहली बार हरियाणा को शिक्षित पंचायतें देने कर श्रेय श्री धनखड़ को ही जाता है। पंचायतों के काम के आधार पर उनको स्टार रेटिंग देना, स्वच्छ व खुले में शौच मुक्त हरियाणा बनाना, गांव के विकास में युवाओं को जोडने के लिए ग्रवित-ग्रामीण विकास के लिये तरुण संगठन का निर्माण करना उनके ग्रामीण विकास के एजेंडे में प्रमुख कार्य रहे। पशु पालन एवं डेयरी में लोगों रुचि बढ़ाने के लिए पशु मेले, कैट वाक आदि आयोजन करवाना उनकी ग्राम्य जीवन से जुड़े रहने और गांव के हर व्यक्ति के विकास की सोच को प्रदर्शित करता है।

’मृदु स्वभावी व सरल व्यक्तित्व के धनी हैं धनखड़’

राजनीति एवं संगठनात्मक कार्य को नई परिभाषा गढने वाले ओमप्रकाश धनखड़ मृदु स्वभावी व सरल व्यक्तित्व के धनी हैं। वे उतना बोलते हैं जितनी जरूरत होती है। कम शब्दों में अपनी बात का दूसरों पर प्रभाव वे छोड़ते हैं। राजनीति, धर्म-कर्म और राष्ट्र भक्ति के ज्ञान को जो भंडार उनके पास है, उसे वह समय-समय पर कार्यशालाओं, सामाजिक कार्यों, राजनीतिक-धार्मिक समागमों में बांटते रहते हैं। उनके मुंह से निकला एक शब्द का भी बहुत बड़ा अर्थ होता है।

’गिव यूअर बेस्ट, टेक अदर्स बेस्ट’

कार्यकर्ताओं को गिव यूअर बेस्ट, टेक अदर्स बेस्ट का मूल मंत्र सही रूप में उन्होंने क्रियान्वित किया है। कार्यकर्ताओं के सम्मान में वे कहते हैं कि-कार्यकर्ता ही मेरी भक्ति की माला के मोती हैं, नजरों से गुजरते जाते हैं, इबादत होती जाती है। इस तरह से वे कार्यकर्ताओं में आध्यात्मिक दर्शन को देखते हुए उनमें भगवान का स्वरूप देखते हैं। गिव यूअर बेस्ट-टेक अदर्स बेस्ट पर अमल करते हुए वे खुद बेस्ट देते हैं और अपनी टीम से भी यही उम्मीद करते हैं। ओमप्रकाश धनखड़ की टीम के साथी कार्यकर्ताओं से नेता का सफर तय करते हैं, अकेले नहीं बढ़ते, बल्कि टीम को भो आगे बढ़ाते हैं। यही कारण है कि किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते इनकी टीम के साथियों में से 4 साथी मोदी सरकार में मंत्री हैं, 8 विधायक हैं। ओमप्रकाश धनखड़ को भारत की संस्कृति और भारत के गौरव पर अटूट श्रद्धा है। इसका आभास उस स्थिति को देखकर किया जा सकता है, जब धनखड़ आजादी के तीर्थों पर जा खड़े हुए। वे कहते हैं कि राजनीति का आधार अध्यात्म है। यह आध्यात्मिकता पर टिकी है।

डा. संजय शर्मा

’लेखक भारतीय जनता पार्टी हरियाणा के प्रदेश मीडिया प्रमुख हैं’

यहां से शेयर करें