उत्तर प्रदेश के आगरा पुलिस विभाग का बड़ा मामला सामने आया है। पुलिस की ओर से हाईकोर्ट में झूठी जानकारी प्रस्तुत करने का मामला उजागर हुआ है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को तलब किया और चार पुलिसकर्मियों को संस्पेड कर दिया। इस मामले ने पुलिस महकमे में खलबली मचाई है और प्रशासन के स्तर पर भी सख्त कदम उठाए गए हैं।
क्या है पूरा मामला?
ये मामला सदर थाने का है, जहां पर अंकुर शर्मा नामक एक व्यक्ति ने न्यायालय में मनोज नामक व्यक्ति के खिलाफ चेक बाउंस का मामला दर्ज किया था। मामले में न्यायालय से पुलिस को कई बार वारंट जारी किए गए थे, लेकिन आगरा पुलिस ने इन वारंटों को तामील नहीं किया। इसके बाद वादी अंकुर शर्मा ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की। दरअसल, हाईकोर्ट ने जब मामले की सुनवाई शुरू की, तो पुलिस से जवाब मांगा गया। इस पर सदर थाना पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उन्हें वारंट प्राप्त नहीं हुए हैं। इसके बाद पुलिस कमिश्नरेट के अधिकारियों ने भी यही जानकारी हाईकोर्ट में पेश की।
पुलिस की झूठी रिपोर्ट
हाईकोर्ट ने पुलिस की इस रिपोर्ट को गंभीरता से लिया और आगरा न्यायालय से आख्या (नोटिस) मांगी। न्यायालय ने तुरंत वारंट और गैर जमानती वारंट की प्रतियां हाईकोर्ट में भेजी, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि पुलिस ने गलत जानकारी दी थी।
चार पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई
बता दें कि आगरा पुलिस द्वारा झूठी रिपोर्ट भेजने के मामले में पुलिस कमिश्नर जे रविंद्र गौड़ सन्न रह गए। उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। निलंबित किए गए पुलिसकर्मियों में सदर इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार, पूर्व चौकी प्रभारी सीओडी सोनू कुमार और दो कांस्टेबल शामिल हैं।
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