Delhi News: आरक्षण का अर्थ ‘बुद्धुओं को बढ़ावा देना’ मानती है कांग्रेस
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Delhi News: आरक्षण का अर्थ ‘बुद्धुओं को बढ़ावा देना’ मानती है कांग्रेस

Delhi News: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसके नेता दिवंगत श्री राजीव गांधी आरक्षण को बुद्धुओं को बढ़ावा देना मानते थे। आम बजट 2024-25 में शिक्षा मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के तेजस्वी सूर्या ने यह आरोप लगाया। उन्होंने शिक्षण संस्थानों में दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों की उन्नति के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि मंडल आयोग की सिफारिशों को श्रीमती इंदिरा गांधी हों या श्री राजीव गांधी दोनों ने आने नहीं दीं। उन्हें ही अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछडा वर्ग (ओबीसी) से नफरत थी।

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श्री सूर्या ने कहा, “दिनांक तीन मार्च 1985 को नवभारत टाइम्स के संपादक आलोक मेहता ने श्री राजीव गांधी का इंटरव्यू प्रकाशित किया था जिसमें श्री गांधी ने कहा था कि आरक्षण के नाम पर बुद्धुओं को बढ़ावा नहीं दे सकते।” उन्होंने कहा कि आज सब देख रहे हैं कि कांग्रेस के कर्म उसे किस मोड़ पर ले आये हैं।

शिक्षा मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा में सत्तापक्ष ने दावा किया कि देश में शिक्षा संस्थानों का घनत्व बढ़ा है और नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति से दलित, आदिवासी, महिला, पिछड़े वर्गों का नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जबकि विपक्ष ने आरोप लगाया कि देश के शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के पद बड़ी संख्या में खाली होने के कारण पूरी शिक्षा व्यवस्था बर्बाद हो रही है।

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चर्चा आरंभ करते हुए बेंगलुरु से सांसद श्री सूर्या ने कहा कि बजट मेें चार करोड़ युवाओं के लिए कौशल विकास एवं रोज़गार का रोडमैप दिया गया है जिसके लिए वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में शिक्षा पर बजट 26750 करोड़ रुपए था जो अब 47619 करोड़ रुपए हो गया है जो 78 प्रतिशत हो गया है।

श्री सूर्या ने कहा कि देश में 18 से 35 वर्ष आयुवर्ग के लोगों की संख्या 65 करोड़ है जो अमेरिका की आबादी का दोगुना है। प्रधानमंत्री श्री मोदी की चार करोड़ युवाओं के लिए कौशल विकास एवं रोज़गार की योजनाएं अभूतपूर्व असर डालेंगी। उन्होंने कहा कि देश में शिक्षण संस्थानों का घनत्व करीब 20 प्रतिशत बढ़ा है। 43 हजार काॅलेज 56 उच्च शिक्षण संस्थान खुले हैं। सकल नामांकन अनुपात में इजाफा हुआ है। उच्च शिक्षा में नामांकन 3.42 करोड़ से 26 प्रतिशत बढ़कर 4.33 करोड़ हो गया है। महिलाओं का नामांकन 43 प्रतिशत बढ़ा है। दस साल में एससी का नामांकन 44 प्रतिशत, एससी महिला का 51 प्रतिशत, एसटी का नामांकन 65 प्रतिशत, एसटी महिला का 82 प्रतिशत, ओबीसी का 45 प्रतिशत एवं ओबीसी महिला का 49 प्रतिशत नामांकन बढ़ा है।

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उन्होंने कहा कि देश की शिक्षा नीति तीन दशकों से अपडेट नहीं हुई थी। उस नीति से देश में एक चूहादौड़ शुरू हो गयी थी। चौंतीस साल बाद नयी शिक्षा नीति आयी जिसमें तीन भाषा प्रणाली को बदल की छात्रों को मातृभाषा में पढ़ाने एवं कोई भी दो भारतीय भाषाएं पढ़ने का प्रावधान लाया गया है।

कांग्रेस के मोहम्मद जावेद ने विपक्ष की ओर से शुरुआत करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने देश में शिक्षा यानी तालीम की बुनियाद ही बरबाद कर दी है। संप्रग सरकार ने छह से 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का कानून बनाया था। भाजपा ने 18 साल तक आयुसीमा बढ़ाने का वादा किया था लेकिन पूरा नहीं किया। संप्रग के कार्यकाल में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.36 प्रतिशत शिक्षा पर व्यय होता था जिसे छह प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य था लेकिन आज मोदी सरकार ने इसे कम करके 2.9 प्रतिशत कर दिया है।

श्री जावेद ने कहा कि देश में 4.3 लाख शिक्षण संस्थानों में 43 करोड़ लोग पढ़ते हैं। इसके लिए एक लाख 48 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है जो प्रति छात्र दो सौ रुपए से भी कम है। चार लाख 80 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं। जवाहर नवोदय विद्यालय में 3271 पद खाली हैं। केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में 6180 पद खाली हैं। इससे छात्र कोचिंग में जाने को मजबूर हैं और कोचिंग के माहौल के कारण आत्महत्याओं की खबरें आम हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के खाली पदों में 42 प्रतिशत पद एससी, एसटी, ओबीसी के आरक्षित पद हैं। इससे भी साबित होता है कि सरकार दलितों, आदिवासियों एवं पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है।

सपा के शिवपाल सिंह पटेल ने कहा कि देश में कई लोग जाति के तानेबाने को बढावा दे रहे हैं और सत्ता पक्ष जातिवाद को ज्यादा बढ़ावा दे रहे हैं। उनका कहना था कि पहले जमाने में जाति के आधार पर शिक्षा दी जाती थी और इसका उदाहरण महाभारत काल है जबकि आचार्य द्रोण निम्न वर्ग के एकलव्य को शिक्षा देने से इनकार करते थे। आज संविधान के कारण सभी वर्गों को शिक्षा का अधिकार मिला है, लेकिन यह सबसे कष्ट का कारण है कि देश का कोई विश्वविद्यालय दुनिया के 100 विश्वविद्यालयों में शामिल नहीं है। उनका कहना था कि विश्वविदद्यालयों में वाइस चांसलरों की नियुक्ति आरक्षण के आधार पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक से दूसरे विभागों का काम उनसे कराया जाता है और इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।

तृणमल कांग्रेस की प्रतिमा मंडल ने कहा कि भारत में 50 हजार से ज्यादा कालेज तथा एक हजार से ज्यादा विश्वविद्यालय हैं, लेकिन बजट में शोध आदि गतिविधियों के लिए व्यवस्था नहीं की गई है जिसके कारण हमारे बच्चे दुनिया में और पिछड़ जाएंगे। उनका कहना था कि कई निजी शिक्षण संस्थान भ्रामक विज्ञापन देते हैं और बच्चों को गुमराह करते हैं ऐसे संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह चिंता की बात है कि शिक्षा क्षेत्र के लिए बजट प्रावधान बहुत कम किया गया है। सरकार को चाहिए कि वह सबके लिए शिक्षा सुनिश्चित करे और ऐसे संस्थानों में सभी जरूरी शिक्षण सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

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तेलुगु देशम पार्टी के श्रीभरत मत्तुकमिली ने कहा कि आंघ्र प्रदेश के विश्वविद्यालयों में बजट को बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि उच्च शिक्षा में महिलओं के नामांकन की संख्या बहुत तेजी से बढी है और खुशी की बात है कि उच्च शिक्षा में बड़े स्तर पर महिलाएं नामांकन कर रही हैं। उन्होंने निजी संस्थानों का उल्लेख किया और कहा कि इन संस्थानों में शिक्षा पर ध्यान दिया जाना चाहिए और वहां योग्य शिक्षकों की भर्ती पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। उनका कहना था कि वैश्विक संस्थानों में भारत के संस्थान 200 वाली सूची में शामिल हैं, लेकिन 100 शीर्ष संस्थाओं में कोई शामिल नहीं है और इस बारे में जरूर विचार किया जाना चाहिए।

जनता दल-यू के सुनील कुमार ने शिक्षा के लिए बजट में किये गये प्रावधानों की सराहना करते हुए कहा कि इन उपयों से साफ हो गया है कि मोदी सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के स्तर पर देश को आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि आआईटी में सीमित सीटें हैं और इन संस्थानों में पढने के इच्छुक बच्चों की संख्या लाखों में है इसलिए सरकार ने अगले पांच साल में इन प्रतिष्ठित संस्थानों की संख्या बढाने का प्रावधान करने की बजट में जो व्यवस्था की है वह सराहनीय है। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र बिहार के वाल्मीकिनगर में केंद्रीय विद्यदालय और नवोदय विद्यालय स्थापित करने की भी मांग की।

शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के संजय देशमुख ने शिक्षा के बजट 2024-25 के लिए शिक्षा मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि पेपर लीक एक गंभीर मामला है। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए क्योंकि इससे छात्रों का भारी नुकसान होता है और उनके भविष्य पर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने यवतमाल जिले में एक केंद्रीय विद्यालय की स्थापना करने की मांग की।

शिवसेना के नरेश गणपत म्हस्के ने कहा कि शिक्षा के अधिकार की आज हम बात करते जिसकी शुरुआत महाराष्ट्र में शाहूजी महाराज ने की थी। एक शिक्षक ही विकसित और आत्मनिर्भर भारत बना सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि मातृभाषा में शिक्षण ग्रहण सामाजिक न्याय का हिस्सा है इसके लिए हम उनका आभार प्रकट करते हैं। कांग्रेस के समय हर कक्षा में मुगलों के बारे में पढाया जाता था लेकिन छत्रपति शिवाजी के बारे में कुछ नहीं बताया जाता था, आज उस विचार को बदलने का काम प्रधानमंत्री ने किया है। श्री मोदी ने देश के सभी भाषाओं को बराबर सम्मान दिया है।

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उन्होंने कहा,“ विपक्ष के साथी नीट पर सवाल उठा रहे थे लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि इसमें सरकार ने कड़े कदम उठाये हैं। हमारी सरकार ने पिछले 10 सालों में शिक्षा के क्षेत्र में अनेक कदम उठाये हैं जिसका मकसद देश के युवाओं को वैश्विक स्तर की शिक्षा प्रदान करना है। यह गर्व की बात है कि इस वित्त वर्ष में अब तक का सबसे अधिक बजट का प्रावधान किया गया है।”

भाजपा के प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा,“ वैदिक काल में हमारी शिक्षा का दुनिया भर में नाम था। नारी शिक्षा के साथ साथ हर विषयों की शिक्षा दी जाती थी। ज्ञान विज्ञान का आविकष्कार भी वैदिक काल में हुआ। उस समय सभी को शिक्षा लेने का अधिकार था।” उन्होंने कहा कि जो भारत जोड़ों की बात करते हैं उन्हें बताना चाहिए कि देश का विभाजन किया था। जो लोग इस देश के आक्रांता के साथ अपना संबंध स्थापित करता है वह इस देश का नहीं है।

कांग्रेस के एंटो एंटनी ने कहा कि मौजूदा समय में भारत की शिक्षा गंभीर संकट में है। इस मुद्दे को बजट में सही ध्यान नहीं दिया गया। यह सरकार जीडीपी का छह प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने के अपने वादे से भी मुकर गयी है। वर्तमान में कुल बजट का 2.5 प्रतिशत का ही प्रावधान किया गया है। यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में भी कम है। उन्होंने कहा कि 2014 से आईआईटी एवं आईआईएम के बजट में लगातार कमी की गई है जो कि देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान है।

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राजेश वर्मा ने कहा कि जब शिक्षा की बात हो तो नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी 20 के समय नालंदा की विरासत को पूरे विश्व के सामने सम्मान देने का काम किया उसके लिए बिहार के लोग आभार प्रकट करते हैं। उऩ्होंने कहा कि एक शिक्षित भारत ही वैश्विक शक्ति बनने का सपना देख सकता है। आज भारत पूरी दुनिया को डाक्टर और इंजीनियर देने का काम कर रहा है। इस वर्ष शिक्षा रोजगार और कौशल प्रशिक्षण के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया। उऩ्होंने कहा कि बिहार में कुछ विश्वविद्यालय का सत्र तीन साल की जगह पांच साल में पूरा होता जिससे छात्रों का बड़ा नुकसान होता है। सरकार को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

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राष्ट्रीय जनता दल के सुधार सिंह ने कहा,“ यह बजट देश के शिक्षा के विकास के प्रति प्रतिबद्ध दिखाई नहीं दे रहा है। कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुमान से कम निवेश होने से हमारी शिक्षा प्रणाली को खतरे में डाल दिया है। शिक्षा में निवेश भारत को दुर्त गति से आगे ले जाएगा लेकिन देखा जा रहा है कि पिछले 10 वर्षों में लगातार शिक्षा का बजट कम किया जा रहा है।”

भाजपा के संबित पात्रा ने कहा कि आरक्षण के उपर जो लोग आंसू बहाते हैं उनको जवाब देना चाहिए कि केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय से कांग्रेस पार्टी ने एससी एसटी का आरक्षण खत्म कर दिया था। उन्होंने कहा कि पेपर लीक के बारे में विपक्ष को अपने गिरबान में झांकना चाहिए।नयी शिक्षा नीति से शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन किया गया है।

आईयूएमएल के एम पी अब्दुस्मद समदानी ने कहा कि इतिहास को सकारात्मकता के लिए इस्तेमाल करना चाहिए लेकिन समाज की शांति को भंग करने के लिए इतिहास का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इतिहास को मुसीबत नहीं बनाना चाहिए। इतिहास को बांटने से कोई फायदा नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि अल्पखंख्यकों के लिए बजट प्रावधान में कमी की गयी है जो सही नहीं है।

समाजवादी पार्टी की प्रिया सरोज ने कहा कि पेपर लीक की सस्यया बहुत गंभीर है इस पर ध्यान देने की जरूरत है। पेपर लीक से लाखो छात्र भविष्य अधर में लटक जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार के वादे भले ही बहुत बड़े होते हैं लेकिन वादा पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा है।

आम आदमी पार्टी के मलविंदर सिंह कंग ने मांग की कि इतिहास में गुरु नानक सहित सिख गुरुओं, बाबा बंदा बहादुर सिंह, करतार सिंह आदि सिख महापुरुषों का इतिहास पढ़ाया जाये।

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भाजपा की भारती पारधी ने मध्य प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था मजबूत होने का उल्लेख है। तृणमूल कांग्रेस के प्रो. सौगत राय ने कहा कि भारत में एक भी विश्व स्तरीय शिक्षा संस्थान नहीं बन पाया। उन्होंने कहा कि हर साल भारत से करीब 85 हजार छात्र विदेशी संस्थानों में पढ़ने जा रहे हैं। ये ब्रेन ड्रेन हो रहा है। इसे रोकने की जरूरत है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर शिक्षण संस्थानों में नियुक्तियों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया तो सत्ता पक्ष के लोगों ने इस पर हंगामा किया।

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शिवसेना के अनिल देसाई ने कहा कि 2023 में शिक्षक पात्रता परीक्षा में पेपर लीक होना एक बड़ा घोटाला था। उन्होंने महाराष्ट्र में मराठीभाषी स्कूलों के तेजी से बंद होने पर चिंता जताते हुए कहा कि नयी शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा पर जोर दिया है लेकिन जमीन पर स्थिति उलटी है।

भाजपा के अनिल फिरोजिया ने बाबा साहिब डाॅ. भीमराव अम्बेडकर और पंडित जवाहर लाल नेहरू के बीच संबंधों पर टिप्पणी की तो कांग्रेस के सदस्यों ने हंगामा किया।

राष्ट्रीय लोकदल के अभय कुमार सिन्हा ने बिहार में पुरातन शिक्षा व्यस्था का पुराना गौरव पुन: बहाल करने की मांग की। समाजवादी पार्टी के अफजाल अंसारी ने कहा कि यह दुख की बात है कि शिक्षा विभाग ने अनुदान में एससी एसटी एवं ओबीसी के लिए भारी कटौती की गयी है। इसकी 40 करोड़ रुपए की राशि घटा कर 30 करोड़ रुपए कर दी गयी है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के शिक्षा बजट में भारी कटौती की गयी है। ये सरकार की दूषित मानसिकता का प्रमाण है। उन्होंने गरीबों के लिए सरकारी स्कूलों की शिक्षा और प्राइवेट महंगे स्कूलों की शिक्षा की दोहरी नीति को समाप्त करें ताकि गरीबाें को समान अवसर पाने की क्षमता हासिल हो सके। एससी, एसटी, ओबीसी अल्पसंख्यकों के लिए पहले की तरह सुविधायें मिलती रहें।

राष्ट्रीय लोकदल के डॉ राजकुमार सांगवान ने कहा कि इस बजट में बेरोजगारी दूर करने के लिए शिक्षा एवं कौशल विकास के प्रावधान किये गये हैं। उन्होंने मेरठ में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग की।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) के सुदामा प्रसाद ने कहा कि गरीब बच्चों के विद्यालयों को बंद करके बच्चों को दूरस्थ स्कूलों में भेजा जा रहा है। शिक्षा महंगी की जा रही है। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग की। उन्होंने नीट परीक्षा में पेपर लीक के बाद भी परीक्षा को रद्द करने और शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने शिक्षा के भगवाकरण का भी आराेप लगाया।

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