Mathura Lok Sabha: हेमा मालिनी का जादू कम करने को मायावती ने चला जाट कार्ड, कांग्रेस भी लाई सेलिब्रिटी
Mathura Lok Sabha:मथुरा लोकसभा क्षेत्र में चुनाव का रण इस बार रोचक होगा। लगातार दो बार की सांसद और भाजपा प्रत्याशी फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी को चुनावी मुकाबले में घेरने के लिए सुश्री मायावती और कांग्रेस ने भी जाट कार्ड खेला है। कांग्रेस से अंतराष्ट्रीय मुक्केबाज विजेंदर सिंह प्रत्याशी होंगे, तो बसपा ने पूर्व आईआरएस अधिकारी सुरेश सिंह पर दांव लगाया है। इस बार दो-दो सेलिब्रिटी के मैदान में आने से चुनावी मुकाबला काफी रोचक होगा।मथुरा लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक साढ़े चार लाख जाट वोट है। ऐसे में हर राजनीतिक दल की नजर जाट वोट बैंक पर टिकी है। दो बार से भाजपा की हेमा मालिनी चुनाव जीत रही हैं। इस बार भाजपा को रालोद का साथ भी मिल गया है। ऐसे में भाजपा राजनीतिक रूप से मजबूत मानी जा रही है। 2009 के बाद जिले में राजनीतिक पराभव झेल रही कांग्रेस ने हेमा को घेरने के लिए सेलिब्रिटी विजेंदर सिंह पर दांव लगाया है। ओलंपिक पदक विजेता विजेंदर सिंह भी मथुरा से चुनाव लड़ना चाहते हैं।
विजेंद्र ने एक्स ये लिखा
विजेन्द्र सिंह अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि पार्टी जहां से कहेगी, वहां से चुनाव लड़ूंगा। पार्टी हाई कमान ने भी उनके नाम पर शनिवार को मुहर लगा दी। अब केवल अधिकृत घोषणा होना बाकी है। हरियाणा के भिवानी के निवासी विजेंदर सिंह वर्ष 2019 में कांग्रेस में आए और दिल्ली से चुनाव लड़ा। लेकिन हार गए। वर्ष 2019 के चुनाव में महज 28084 मत हासिल करने वाली कांग्रेस द्वारा 38 वर्षीय विजेंदर सिंह पर दांव लगाने के पीछे सधी हुई रणनीति है।
चर्चा हो रही, अब निगाहे टिकी
हेमा के मुकाबले एक तो वह सेलिब्रिटी उतारना चाहते हैं, दूसरा हरियाणा के काफी जाटों की रिश्तेदारी मथुरा में है। विजेंदर बेनीवाल जाट हैं, इनकी संख्या भी यहां काफी है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष भगवान सिंह वर्मा ने बताया कि पार्टी हाई कमान ने विजेंदर सिंह के नाम पर मुहर लगा दी है, अब केवल अधिकृत घोषणा होना बाकी है।
बसपा ने आखिरी वक्त पर बदला प्रत्याशी
बसपा ने सात दिन में ही अपना प्रत्याशी बदलकर पूर्व आइआरएस अधिकारी सुरेश सिंह को प्रत्याशी बनाया है। 62 वर्षीय सुरेश सिंह भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी रहे हैं वह प्रवर्तन निदेशालय में सहायक निदेशक रहे और कुछ दिन सीबीआइ में भी तैनात रहे। वर्ष 2004 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले सुरेश सिंह की पृष्ठभूमि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की रही और संघ में भी उनकी काफी मजबूत पकड़ रही। विहिप के भी वह पदाधिकारी रहे। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव में भाजपा से टिकट उनकी ऐनवक्त कटी थी।