असम में हिमंत बिस्वा सरमा सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। अब उत्तराखंड की तर्ज पर यूसीसी यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code ) लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा के कैबिनेट ने असम में मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 को रद्द करने का फैसला लिया। शुक्रवार रात हुई मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया. ऐसा माना जा रहा है कि सीएम हिमंत बिस्वा सरमा का ये कदम राज्य में यूसीसी की दिशा में उठाया गया पहला कदम है। बता दें कि उत्तराखंड में इस महीने के शुरू में ही यूसीसी को लागू किया गया।
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इसके बाद उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गयाअसम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस बारे में शुक्रवार-शनिवार की रात अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट एक्प पर एक पोस्ट किया। जिसमें लिखा, 23.22024 को असम कैबिनेट ने सदियों पुराने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को निरस्त करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. इस अधिनियम में विवाह पंजीकरण की अनुमति देने वाले प्रावधान शामिल थे, भले ही दूल्हा और दुल्हन 18 और 21 वर्ष की कानूनी उम्र तक नहीं पहुंचे हों, जैसा कि कानून द्वारा आवश्यक है। यह कदम असम में बाल विवाह पर रोक लगाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। इसके बाद कैबिनेट मंत्री जयंत मल्लबारुआ ने कहा कि ये समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि आगे चलकर मुस्लिम विवाह और तलाक से संबंधित सभी मामले विशेष विवाह अधिनियम द्वारा शासित होंगे। मीडिया से बातचीत के दौरान जयंत ने कहा कि, जिला आयुक्त और जिला रजिस्ट्रार अब नई संरचना के तहत मुस्लिम विवाह और तलाक को पंजीकृत करने के प्रभारी होंगे। निरस्त अधिनियम के तहत कार्यरत 94 मुस्लिम रजिस्ट्रारों को भी उनके पदों से मुक्त कर दिया जाएगा। साथ ही उन्हें एकमुश्त 2 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा।