Politics News: क्या आप जानते है पनौती और पप्पू कौन है, राजनीति में कौन कर रहा किस पर वार
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Politics News: क्या आप जानते है पनौती और पप्पू कौन है, राजनीति में कौन कर रहा किस पर वार

Politics News: मुद्दों की नहीं बल्कि शब्दों की राजनीति शुरू हो गई। पप्पू बनाम पनौती शब्द आजकल सोशल मीडिया पर काफी प्रचलित हो रहे हैं। पप्पू कौन है और पनौती कौन है इस बारे में जो लोग देख रहे हैं वही डिसाइड कर ले। लेकिन राजनीति दिन पर दिन आमर्यादित होती जा रही है। ऐसा नहीं कि केवल कांग्रेस पर ही शब्दों के बाड़ चलाए जाते है बल्कि कांग्रेस भी भाजपा पर शब्दों से हमला करती है। इस सब के बीच आम जनता का ही नुकसान है। आप सोच रहे होंगे कैसे नुकसान। दरअसल मुद्दों की राजनीति होगी तो आपकी समस्याओं का निस्तारण होगा समाधान होगा और समग्र विकास की ओर सोच बढ़ेगी, लेकिन पप्पू और पनौती में ही राजनीति अटकी है। तो होगा उपर वाला ही मालिक है। आपको सुनने में बड़ा मजा आता है लेकिन नुकसान आप ही का है। इस वीडियो को आखिरी तक देखिए तो आपको पप्पू और पनौती दोनों का मतलब पता चलेगा और कौन-कौन इन शब्दों से पुकारे जाते हैं। यह भी आपको पता चल जाएगा।

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एक वक्त था जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद को सोशल मीडिया पर भाजपा की आईटी सेल पप्पू नाम से ही संबोधित करती थी लेकिन अब क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की हार के बाद कांग्रेस भी देश के लोकप्रिय एवं जनप्रिय नेता को पनौती कहकर संबोधित कर रही है। राहुल गांधी ने अपनी जनसभा में बता दिया कि दो जेब कतरे किस तरह से काम करते थे।

खैर लौटते हैं पप्पू और पनौती पर। बहुत ज्यादा सर्च करने पर पप्पू का मतलब मिला। एक ऐसा व्यक्ति जो स्वभाव में भोला भाला है और बेहद स्वीट है और पनौती का मतलब मिला कि एक व्यक्ति जो अपने आसपास रहने वालों के लिए हमेशा बेड न्यूज लाता है। हालांकि पनौती नेपाल में एक स्थान का नाम है और उत्तर प्रदेश में एक गांव का नाम। ये गांव चित्रकूट जिले में है। नेपाल का पनौती रिलिजियस प्लेस के रूप में जाना जाता है। जिस तरह से भाजपा लगातार राहुल गांधी को पप्पू कहकर जनता के बीच सोशल मीडिया के जरिए फैलाकर अपनी पीठ थपथपाती है। ठीक उसी तरह कांग्रेस ने भी रवैया अपना लिया जो कि गलत है। यदि एक व्यक्ति किसी को चांटा मारता है और दूसरा व्यक्ति उसे दो चांटे करने पर अमादा हो जाए तो ये सोच गांधीवादी सोच के विपरीत है। उसे सभ्यता के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए। राहुल गांधी को सुना होगा कि किस तरह से अपनी जनसभा में सीधे प्रधानमंत्री को टारगेट किया और बताया कि भारतीय टीम वर्ल्ड कप में किस लिये हारी है और उन्होंने जनता की तालियां बटोरने के लिए पीएम के लिए पनौती शब्द का इस्तेमाल भी कर दिया। इससे पहले राहुल गांधी मुद्दों की राजनीति कर रहे थे और आमजन के मुद्दों को लेकर ही बोलते थे। मगर अब राजनीति में किस तरह से एक दूसरे से बदला लेने की होड़ मच गई है। छत्तीसगढ़ में महादेव और के जरिए हुई धोखाधड़ी या ठगी के मामले में सीएम भूपेश सिंह बघेल पर सीधे निशान साधा गया। हालांकि जो व्यक्ति आरोप लगा रहा है वह अब कह रहा है कि मैं कभी भूपेश सिंह बघेल से नहीं मिला और नहीं मेरा उनसे कोई वास्ता है।

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ईडी ने जो पैसा पड़ा है वह मैं अपने बिजनेस के लिए लाया था मामला कोर्ट पहुंच गया है लेकिन तत्परता देखिए एक तरफ आरोप लगाते हैं तो दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देती है। अपना बयान जारी कर देती है। प्रधानमंत्री भी इस मामले को अपने भाषण का हिस्सा बना लेते हैं। इस सबमें ईडी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होने लगे हैं। ईडी सीबीआई और आयकर विभाग लगातार उन नेताओं पर शिकंजा कसती दिखाई देते हैं, जो विपक्षी खेमें में शामिल है। ऐसा लगने लगा है कि केवल यही भ्रष्ट है। यदि इनमें से कोई नेता अपनी पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल होगा तो मानो वह भ्रष्टाचार साफ करने वाली मशीन में धुल जाएगा। लौटते हैं पप्पू और पनौती की ओर एक वक्त था जब राहुल गांधी को भाजपा की ओर से पप्पू साबित करने में सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल किया गया। अब कांग्रेस ने पीएम मोदी को सीधे जवाब देते हुए पनौती ठहरने पर जुट गई है। खेल में जीत हार हमेशा लगी रहती है। ऐसा नहीं की कोई आएगा तभी टीम जीतेगी कोई नहीं आएगा तो टीम हार जाएगी या किसी के आने से टीम हार जाएगी, किसी

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