इस्तांबुल: आत्मघाती हमले में 6 लोगों की मौत

इस्तांबुल में  इस्तिकलाल स्ट्रीट में हुए आत्मघाती हमले में कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई है। इस धमाके में 50 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर आ रही है। यह बेहद भीड़भाड़ वाला इलाका है। धमाके के बाद इस इलाके में अफरा-तफरी का माहौल है। मालूम हो कि सात साल पहले भी इसी इलाके में सीरियल ब्लास्ट हुए थे जिनमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ग्रुप ने ली थी।

मीडिया  ख़बरों के मुताबिक इस हमले के पीछे कुर्दों का हाथ हो सकता है। तुर्की और कुर्द लड़ाकों के बीच रंजिश कोई नई नहीं है। यह दुश्मनी 100 साल से ज्यादा पुरानी है। बताया यह भी जा रहा है कि इस हमले के पीछे आतंकी संगठन तास्किम का हाथ हो सकता है। यह गुट भी तुर्की से अलग होने की मांग करता रहता है। हमले के बाद घटनास्थल को सील कर दिया गया है और पत्रकारों को भी वहां जाने की अनुमति नहीं है।

 कुर्द का ये हैं इतिहास 
कुर्द मिडल ईस्ट के काफ़ी इलाक़ों फैले हुए हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा ऐसा समूह है जिनका कोई अपना देश नहीं है। ईराक, सीरिया और तुर्की में कुर्द रहते हैं। बताया जा रहा है कि इनकी आबादी 3.5 करोड़ के आसपास है। पहले विश्वयुद्ध के बाद जब ऑटोमन साम्राज्य बिखऱ गया तो कुर्दों को अलग देश का वादा किया गया था। हालांकि यह समझौता जल्द ही रद्द कर दिया गया। इसके बाद से ही कुर्द अपने अलग देश के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

तुर्की, सीरिया, ईराक, ईरान और आर्मेनिया में तुर्क रहते हैं। ईराक में 2005 में कुर्दिश क्षेत्र घोषित किया गया है। इसमें एक क्षेत्रीय सरकार भी बनाई गई है। वहीं ईरान में इन दिनों हिजाब को लेकर जो विरोध चल रहा है यह भी कुर्द इलाके से ही शुरू हुआ है। तुर्की में भी कुर्द लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। यहां कुर्द आबादी करीब 20 फीसदी है। पहले विश्व युद्ध के बाद यहां कुर्दों का दमन किया गया था। इसके बाद 1980 में कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी जिसे पीकेके के नाम से भी जाना जाता है, ने संघर्ष शुरू किया।

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