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डा. महेश शर्मा के सामने चुनाव लड़ाने को प्रत्याशी तलाश रहीं पार्टियां

नोएडा। लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर भाजपा समेत राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दलों ने मंथन शुरू कर दिया है। चुनाव में कैसे जीता जाए तथा विपक्षियों को पछाडऩे के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जातिगत आंकड़े लगाने पर जोर दिया है। यही कारण है कि भाजपा के नेताओं ने दलितों के घर रात्रि प्रवास तथा भोजन आदि शुरू किया है।
यूपी पर सभी दलों की नजर है, क्योंकि विधानसभा में 80 सीटों की पूर्ति केवल यही राज्य करता है। प्रदेश की सबसे हाईटेक एवं शिक्षित जनता का नेतृत्व करने में गौतम बुद्ध नगर सबसे आगे है। इस लोकसभा क्षेत्र में शहरी इलाका ज्यादा तथा ग्रामीण कम हैं। मौजूदा सांसद एवं केंद्रीय मंत्री डा. महेश शर्मा की क्षेत्रवासियों पर पकड़ को देखते हुए विपक्षियों ने जातिगत आंकड़े लगाने शुरू कर दिए हैं। कहने के लिए गुर्जर बहुल क्षेत्र है मगर ठाकुर, ब्राह्मण तथा मुस्लिम के साथ-साथ दलितों की संख्या कम नहीं है।
राजनीतिज्ञों के आंकड़ों की ओर ध्यान दिया जाए तो फिलहाल डा. महेश शर्मा को गौतम बुद्ध नगर में हराने वाला कोई दिखाई नहीं दे रहा है। एक-दो नाम हैं लेकिन उनके चुनावी मैदान में उतरने पर संशय बरकरार है। आंकड़ों की ओर ध्यान दिया जाए तो सपा-बसपा का गठबंधन हुआ तो ठाकुर प्रत्याशी सबसे जिताऊ साबित होगा।
इसके अलावा सांसद सुरेंद्र नगर का नाम चर्चाओं में सबसे अधिक है। डा. महेश शर्मा से टक्कर लेने वालों के नाम की सूची में सबसे ऊपर राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर का नाम शुमार है। फिलहाल तो लोकसभा चुनाव दूर है लेकिन अभी से ही मंथन शुरू हो चुका है।
माना जा रहा है कि गठबंधन से ठाकुर बिरादरी का प्रत्याशी चुनाव मैदान में होगा तो भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगा सकता है। गठबंधन को गुर्जर, यादव, मुस्लिम, दलित आदि समाज का वोट मिलना तय है। लेकिन प्रत्याशी ठाकुर बिरादरी से होगा तो बिरादरी के नाते वह भाजपा के वोट बैंक को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। यह वोट बैंक उसकी जीत सुनिश्चित कर सकेगा।
बहरहाल, चुनावी नतीजे कुछ भी हो और जातियों पर टिप्पणियां कैसी भी क्यों न हो, सामाजिक सौहार्द बनाए रखने में को सांप्रदायिकता फैलाने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। यदि माहौल सौहार्दपूर्ण से बना रहेगा तो क्षेत्र की तरक्की के साथ-साथ स्थानीय लोगों के पास उन्नति के कई विकल्प उपलब्ध होंगे।

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