एक्टिविस्ट्स की गिरफ्तारी मामला : पुलिस ने की प्रेस कांफ्रेंस करने पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुलिस को फटकारा

नई दिल्ली। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। महाराष्ट्र पुलिस को यह फटकार भीमा कोरगांव हिंसा के मामले में गिरफ्तार किए गए 5 सामाजिक कार्यकर्ताओं के संबंध में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के कारण लगी है।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस ने गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के पास से जब्त किए गए पत्रों से जुड़ी जानकारी मीडिया के साथ साझा की थी। जिस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने कड़ी आपत्ति की है।

जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस मृदुला भटकर की बेंच सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर गायकवाड़ द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में इस मामले की जांच एनआईए को सौंपने की भी मांग की गई है।
बेंच ने कहा कि पुलिस ऐसा कैसे कर सकती है! अभी मामला विचाराधीन है। जब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सीज किया हुआ है, ऐसे में सूचनाएं उजागर करना गलत है। पुलिस की तरफ से पब्लिक प्रोसिक्यूटर दीपक ठाकारे अदालत में पेश हुए। पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने अदालत को बताया कि वह अदालत की सलाह के बारे में संबंधित अधिकारियों को सूचित कर देंगे। बता दें कि बीती 28 अगस्त को कवि और माओवादी विचारक वारावरा राव, वकील सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फेरेरा, गौतम नवलखा और वेरनोन गोंजालवेस को देश के विभिन्न शहरों से गिरफ्तार किया गया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सभी गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को आगामी 6 सितंबर तक घर में ही नजरबंद रखने का आदेश दिया था।
याचिकाकर्ता की तरफ से अदालत में पेश हुए वकील नितिन सतपुते ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुणे पुलिस निष्पक्षतापूर्वक नहीं बल्कि राजनीति से प्रेरित होकर मामले की जांच कर रही है। पुलिस ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से कारवाई करते हुए समाज के बुद्धिजीवी लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए लोगों में सामाजिक कार्यकर्ता, वकील, मानवाधिकार कार्यकर्ता, कवि, लेखक और समाज के अन्य सम्मानित व्यक्ति शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिका में पुणे पुलिस के एसीपी शिवाजी पवार को बर्खास्त करने की मांग की गई है। अदालत अब इस मामले पर आगामी 7 सितंबर को सुनवाई करेगी।

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