यमुना एक्सप्रेसवे। यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) समय-समय पर आवासीय योजनाएँ लाकर आम लोगों को घर का सपना दिखाता है, लेकिन हकीकत यह है कि जिन क्षेत्रों में ये योजनाएँ घोषित की गईं, वहाँ अब तक बुनियादी विकास कार्य पूरे नहीं हो सके हैं। इसका खामियाजा उन हजारों आवंटियों को भुगतना पड़ रहा है, जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई इन योजनाओं में लगाई। हालांकि प्राधिकरण की और से कुछ सख्ती दिखाई जाती है लेकिन निर्माण कार्य का टाईम एक्सटेशन देकर यहां की बसावट रुक रही है।
स्कीम होती है लॉन्च, लेकिन जमीनी हालात जस के तस
बता दें कि प्राधिकरण द्वारा जिन सेक्टरों में आवासीय प्लॉट और फ्लैट योजनाएँ लाई गईं, वहाँ सड़क, सीवर, जलापूर्ति, स्ट्रीट लाइट और ड्रेनेज जैसी मूलभूत सुविधाएँ आज भी अधूरी हैं। कई जगहों पर तो हालात ऐसे हैं कि बारिश के मौसम में क्षेत्र तालाब में तब्दील हो जाता है। आवंटी नाम न छापने की शर्त पर बताते है कि योजना शुरू हुए कई साल बीत चुके हैं, लेकिन अब तक न तो कब्जा मिल पाया और न ही रहने लायक माहौल बन सका।
केवल फाइनेसरों ने ही कृत्रित रेट बढाए
प्राधिकरण क्षेत्र में लोग ये सोचकर प्लाॅट ले रहे है कि रेट तेजी से बढ रहे है। लेकिन जमीनी हकीकत है कि यहां ज्यादातर प्लाॅट फाइनेसरों ने लिए हुए है वही अपने अधिक मुनाफे के चक्कर में कृत्रिम रुप से रेट बढा रहे है।
आवंटियों की बढ़ती परेशानी
यमुना प्राधिकरण की योजनाओं में निवेश करने वाले अधिकतर लोग मध्यम वर्ग से आते हैं, जिन्होंने भविष्य सुरक्षित करने के उद्देश्य से प्लॉट या फ्लैट बुक कराए थे। ईएमआई का बोझ लगातार बढ़ रहा है। किराये और किस्त दोनों का दबाव है। विकास न होने से प्रोपर्टी की कीमत में ठहराव आ चुका है। नोएडा इंटरनेशल एयरपोर्ट के शुभारंभ की तिथि नजदीक है।
कागजों में विकास, जमीन पर सन्नाटा
योजना दस्तावेजों और बैठकों में विकास की समय-सीमा तय की जाती है, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां करती है। कई सेक्टरों में सिर्फ नाम मात्र की सड़कें बनी हैं, जबकि सीवर और पानी की लाइनें अधूरी पड़ी हैं। स्ट्रीट लाइटें या तो लगी ही नहीं हैं या महीनों से बंद हैं।
प्राधिकरण की दलीलें
यमुना प्राधिकरण अफसर कहते है कि भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवाद बढ रहे है। कोर्ट में मामले होने के कारण काफी स्थानों पर विकास कार्य करने में दिक्कतें आ रही है। वहीं, लेकिन आवंटियों का सवाल है कि जब बुनियादी ढांचा तैयार नहीं था, तो फिर आवासीय योजनाएँ लॉन्च क्यों की गईं?
भविष्य की योजनाओं पर सवाल
यमुना प्राधिकरण की नई आवासीय योजनाओं की घोषणा से पहले पुराने सेक्टरों में विकास पूरा न होना, प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि बिना आधारभूत सुविधाओं के आवासीय योजनाएँ लाना निवेशकों का भरोसा कमजोर करता है।
असमंजस में आवंटी
यमुना प्राधिकरण की आवासीय योजनाएँ कागजों में भले ही आकर्षक हों, लेकिन जमीनी स्तर पर विकास की धीमी रफ्तार ने हजारों आवंटियों को असमंजस में डाल दिया है। अब देखना यह होगा कि प्राधिकरण कब तक इन योजनाओं को हकीकत में बदल पाता है और आवंटियों को राहत मिलती है या नहीं।

