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UCC In Uttarakhand: उत्तराखंड में बिल पेश, शादी और तलाक से लेकर उत्तराधिकार तक बदल जाएंगे नियम

UCC In Uttarakhand: उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश कर दिया गया. यूसीसी विधेयक के लिए बुलाये गये विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह विधेयक पेश किया. यह विधेयक पेश करने के बाद सीएम धामी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक वीडियो भी पोस्ट किया. उन्होंने लिखा- विधानसभा में ऐतिहासिक “समान नागरिक संहिता विधेयक” पेश किया. मुख्यमंत्री द्वारा विधेयक पेश किये जाने के इस दौरान सत्तापक्ष के विधायकों ने ‘‘भारत माता की जय, वंदे मातरम और जय श्रीराम’’ के नारे भी लगाये. प्रदेश मंत्रिमंडल ने रविवार को यूसीसी मसौदे को स्वीकार करते हुए उसे विधेयक के रूप में सदन के पटल पर रखे जाने की मंजूरी दी थी. उधर,  विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार की मंशा पर संदेह है. बिल की कॉपी आधी अधूरी मिली है.

UCC In Uttarakhand:

बुजुर्ग मां-बाप के भरण-पोषण की पत्नी पर होगी जिम्मेदारी
कानून लागू होने के बाद नौकरीपेशा बेटे की मौत की स्थिति में बुजुर्ग मां-बाप के भरण-पोषण की पत्नी पर जिम्मेदारी होगी। उसे मुआवजा भी मिलेगा। पति की मौत की स्थिति में यदि पत्नी दोबारा करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा मां-बाप के साथ साझा किया जाएगा।

बिना रजिस्ट्रेशन, लिव इन रिलेशन में रहने पर अब होगी जेल
इसके साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप का वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। रजिस्ट्रेशन न कराने पर युगल को छह महीने का कारावास और 25 हजार का दंड या दोनों हो सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के तौर पर जो रसीद युगल को मिलेगी उसी के आधार पर उन्हें किराए पर घर, हॉस्टल या पीजी मिल सकेगा। यूसीसी में लिव इन रिलेशनशिप को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इसके मुताबिक, सिर्फ एक व्यस्क पुरुष व वयस्क महिला ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे। वे पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप या प्रोहिबिटेड डिग्रीस ऑफ रिलेशनशिप में नहीं होने चाहिए। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।

शादी के लिए कानूनी उम्र 21 साल होगी तय
विवाह की न्यूनतम उम्र कहीं तय तो कहीं तय नहीं है। एक धर्म में छोटी उम्र में भी लड़कियों की शादी हो जाती है। वे शारीरिक व मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होतीं। जबकि अन्य धर्मों में लड़कियों के 18 और लड़कों के लिए 21 वर्ष की उम्र लागू है। कानून बनने के बाद युवतियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय हो जाएगी।

बहुविवाह पर लगेगी रोक
कुछ कानून में बहु विवाह करने की छूट है। चूंकि हिंदू, ईसाई और पारसी के लिए दूसरा विवाह अपराध है और सात वर्ष की सजा का प्रावधान है। इसलिए कुछ लोग दूसरा विवाह करने के लिए धर्म बदल लेते हैं। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद बहुविवाह पर रोक लगेगी। बहुविवाह पर भी पूरी तरह से रोक लग जाएगी।

 

UCC के तहत  सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी
पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार मिलेगा.
लिव इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी है.
लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 माह की सजा होगी.
लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार है.
महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं है.
अनुसूचित जनजाति दायरे से बाहर हैं.
बहु विवाह पर रोक, पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं हो सकती है.
शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी बिना रजिस्ट्रेशन सुविधा नहीं है.
उत्तराधिकार में लड़कियों को बराबर का हक मिलेगा.

UCC लागू तो क्या होगा?
हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून होंगे.
जो कानून हिंदुओं के लिए, वही दूसरों के लिए भी हैं.
बिना तलाक एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे.
मुसलमानों को 4 शादी करने की छूट नहीं रहेगी.

UCC से क्या नहीं बदलेगा?
धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं है.
ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे.
खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर प्रभाव नहीं है.

UCC In Uttarakhand:

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