Supreme Cour: नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2001 में हुए एक मोटर दुर्घटना मामले में 20 वर्षीय शरद सिंह के परिवार को 60 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा देने का आदेश दिया है। शरद उस समय बी.कॉम अंतिम वर्ष के छात्र थे और एक कार की टक्कर से पूरी तरह से पैरालाइज हो गए थे। लंबे इलाज और बीमारी के बाद उनकी 2021 में मृत्यु हो गई।
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दुर्घटना और स्थायी विकलांगता
दुर्घटना में शरद की गर्दन की रीढ़ की हड्डी में गंभीर फ्रैक्चर हुआ और उन्हें 100 प्रतिशत स्थायी विकलांगता मिली। सुप्रीम कोर्ट ने उनके माता-पिता की अपील को स्वीकार करते हुए कहा कि दुर्घटना ने युवक के सपनों को छीन लिया।
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मेडिकल खर्च और बीमा विवाद
बीमा कंपनी ने कई लाख रुपये के बिलों को चुनौती दी। अदालत ने परिवार की व्याख्या स्वीकार की कि शरद को गोवा में शिफ्ट किया गया था ताकि दिल्ली की खराब जलवायु के कारण उनकी स्वास्थ्य समस्याएं न बढ़ें। अदालत ने 21 लाख रुपये मेडिकल खर्च के लिए बीमा कंपनी को मान्य किया।
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आय और भविष्य के नुकसान का आकलन
सुप्रीम कोर्ट ने शरद की मासिक आय 5,000 रुपये मानते हुए भविष्य की संभावनाओं को जोड़कर कुल आय हानि 15.12 लाख रुपये तय की। इसके अलावा देखभाल खर्च, पीड़ा, विवाह के अवसर का नुकसान और विकृति के लिए 14 लाख रुपये जोड़े गए।
कुल मुआवजा और भुगतान
अदालत ने कुल मुआवजा 40.34 लाख रुपये तय किया और 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित भुगतान का आदेश दिया। माता-पिता द्वारा किए गए अतिरिक्त मेडिकल खर्च के लिए 20 लाख रुपये भी दिए गए। इससे पहले उच्च न्यायालय ने 32.46 लाख रुपये मुआवजा तय किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाकर 60 लाख रुपये से अधिक कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि पूरा मुआवजा शरद की मां को चार महीने के भीतर भुगतान किया जाए, अन्यथा 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लागू होगा।
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