चुनाव आयोग का दावा: 98% नामों का पुनरीक्षण पूरा, पारदर्शिता के लिए उठाया बड़ा कदम
Bihar Voter List Revision: पटना। बिहार में इस साल के अंत में संभावित विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग ने राज्य की मतदाता सूची को दुरुस्त करने की दिशा में बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। 22 वर्षों के अंतराल के बाद राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें आयोग ने अब तक की सबसे बड़ी वोटर क्लीनिंग ड्राइव को अंजाम दिया है।
Bihar Voter List Revision:
98.01% नामों का हो चुका है सत्यापन
बुधवार को आयोग ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से जानकारी साझा करते हुए बताया कि अब तक राज्य के 98.01 प्रतिशत मतदाताओं के नामों का पुनरीक्षण किया जा चुका है। यह कवायद विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को पारदर्शी, सटीक और त्रुटिरहित बनाने के मकसद से की जा रही है।
चौंकाने वाले आंकड़े: 48 लाख अपात्र मतदाता सूची से बाहर
चुनाव आयोग के अनुसार, इस अभियान में अब तक 20 लाख मृत मतदाताओं की पहचान की गई है। इसके अलावा, 28 लाख से अधिक मतदाता ऐसे पाए गए, जो अपने पंजीकृत पते से स्थायी रूप से पलायन कर गए हैं। साथ ही, 7 लाख मतदाता एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत मिले और 1 लाख मतदाताओं को आयोग ने “लापता” के रूप में चिह्नित किया है।
इतना ही नहीं, करीब 15 लाख ऐसे मतदाता भी सामने आए हैं, जिनके फार्म आयोग के पास वापस नहीं आए हैं, जिससे उनकी स्थिति अस्पष्ट बनी हुई है।
डिजिटलीकरण का नया अध्याय
आयोग ने बताया कि अब तक कुल 7.17 करोड़ मतदाता फार्म प्राप्त हुए हैं, जो कुल अनुमानित वोटर्स का 90.89% हिस्सा है। इन सभी फार्मों को डिजिटली रूप से संग्रहित और सत्यापित किया गया है, जिससे पारदर्शिता और सटीकता को सुनिश्चित किया जा सके।
क्यों अहम है यह पुनरीक्षण?
बिहार में पिछले दो दशकों में पहली बार इस स्तर पर मतदाता सूची का पुनरीक्षण हो रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य फर्जी, डुप्लिकेट, मृत, पलायन कर चुके और लापता वोटर्स को हटाकर सूची को स्वच्छ, निष्पक्ष और पारदर्शी बनाना है, ताकि चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर कोई सवाल न उठे।
राजनीतिक गर्मी: सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर राजनीतिक तापमान भी बढ़ गया है। विपक्षी दलों ने आयोग की मंशा और प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा दिया है। विशेष रूप से आयोग के 24 जून के निर्देशों को लेकर विरोध हुआ है, जिसके तहत बिहार से शुरू होकर यह प्रक्रिया देशभर में लागू की जानी है।
आयोग का बचाव
हालांकि, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में साफ कहा है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची को शुद्ध और सटीक बनाने के लिए है और इससे चुनाव में पारदर्शिता और विश्वास बढ़ेगा।
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