थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने प्रधानमंत्री पेतोंगतार्न शिनावात्रा को, हून सेन को “अंकल” कहकर संबोधित किया था, पद से हटाया गया

Bangkok News: थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने शुक्रवार, 29 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री पेतोंगतार्न शिनावात्रा को एक साल के शासन के बाद नैतिकता उल्लंघन के लिए पद से हटा दिया गया है। यह फैसला शिनावात्रा राजनीतिक परिवार के लिए एक और बड़ा झटका है, जो देश की राजनीति में दो दशकों से अधिक समय से प्रभावशाली रहा है। इस फैसले से थाईलैंड में नई राजनीतिक अस्थिरता की आशंका बढ़ गई है।

अदालत ने पेतोंगतार्न को कंबोडिया के पूर्व नेता हून सेन के साथ जून 2025 में हुई एक टेलीफोन बातचीत के लीक हुए ऑडियो के आधार पर दोषी पाया। इस बातचीत में पेतोंगतार्न ने हून सेन को “अंकल” कहकर संबोधित किया और एक थाई सैन्य कमांडर की आलोचना की, जिसे राष्ट्रीय हितों के खिलाफ माना गया। अदालत ने 6-3 के बहुमत से फैसला सुनाया कि पेतोंगतार्न ने संवैधानिक नैतिक मानकों का उल्लंघन किया, जो प्रधानमंत्री पद की गरिमा और राष्ट्रीय गौरव को कम करता है। यह फैसला अंतिम है और इसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती।

इससे पहले, जुलाई 2025 में अदालत ने पेतोंगतार्न को उसी लीक हुए फोन कॉल के कारण अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था। इस कॉल में उनके द्वारा की गई टिप्पणियों ने थाईलैंड में व्यापक विवाद खड़ा किया, क्योंकि इसे कंबोडिया के प्रति अत्यधिक नरम रवैया और थाई सेना के खिलाफ अपमानजनक माना गया। इस विवाद के बाद उनकी गठबंधन सरकार से एक प्रमुख सहयोगी दल, भुमजयथाई पार्टी, ने समर्थन वापस ले लिया, जिससे उनकी सरकार बहुमत के लिए संघर्ष कर रही थी।

39 वर्षीय पेतोंगतार्न, जो थाईलैंड की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री थीं, शिनावात्रा परिवार की चौथी सदस्य हैं, जिन्होंने यह पद संभाला। उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा और चाची यिंगलक शिनावात्रा भी पहले प्रधानमंत्री रह चुके हैं, लेकिन दोनों को सैन्य तख्तापलट या अदालती फैसलों के कारण हटा दिया गया था। पेतोंगतार्न का राजनीतिक अनुभव सीमित था, और उनकी लोकप्रियता भी हाल के महीनों में तेजी से घटी, जून में उनकी स्वीकृति रेटिंग 30.9% से गिरकर 9.2% हो गई।
इस फैसले के बाद संसद को नया प्रधानमंत्री चुनने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी, लेकिन यह प्रक्रिया जटिल हो सकती है, क्योंकि पेतोंगतार्न की पार्टी, फ्यू थाई, अब कमजोर गठबंधन के साथ सत्ता में है। संभावित उम्मीदवारों में फ्यू थाई के चाइकसेम नितिसिरी, पूर्व प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओ-चा, और अनुतिन चार्नविराकुल शामिल हैं, जिनकी पार्टी ने हाल ही में गठबंधन से समर्थन वापस लिया था।

यह घटना थाईलैंड की अस्थिर राजनीतिक स्थिति को और उजागर करती है, जहां संवैधानिक अदालत और सैन्य-समर्थित रूढ़िवादी ताकतें लंबे समय से शिनावात्रा परिवार और उनके समर्थकों के खिलाफ शक्ति का उपयोग करती रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला देश में नई अशांति और संसदीय चुनौतियों को जन्म दे सकता है, खासकर तब जब अर्थव्यवस्था सुस्त है और जनता में सुधारों की मांग बढ़ रही है।

पेतोंगतार्न ने लीक हुए कॉल के लिए माफी मांगते हुए कहा था कि उनका इरादा युद्ध को टालना और शांति बनाए रखना था। फिर भी, अदालत ने उनके कार्यों को राष्ट्रीय हितों के खिलाफ माना। इस बीच, उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा को हाल ही में एक अलग मामले में राजशाही के अपमान के आरोप से बरी किया गया था, लेकिन वे सितंबर में एक अन्य कानूनी सुनवाई का सामना करेंगे।

थाईलैंड की राजनीति में शिनावात्रा परिवार का प्रभाव लंबे समय से विवादास्पद रहा है। उनकी लोकलुभावन नीतियों ने उन्हें व्यापक जन समर्थन दिलाया, लेकिन रूढ़िवादी और शाही समर्थक प्रतिष्ठान के साथ उनका टकराव बार-बार सरकारों के पतन का कारण बना है। यह नवीनतम फैसला उस चल रहे सत्ता संघर्ष को और तेज कर सकता है, जिसने थाईलैंड की राजनीति को दो दशकों से अस्थिर रखा है।

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