घटना की जड़ 26 अक्टूबर को रायपुर के तेलीबांधा थाना क्षेत्र में हुई छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति से तोड़फोड़ से जुड़ी है। राज्योत्सव से ठीक पहले यह घटना होने पर पूरे प्रदेश में आक्रोश फैल गया। क्रांति सेना और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इसे राज्य की सांस्कृतिक अस्मिता पर हमला बताते हुए तत्काल प्रदर्शन शुरू कर दिया। संगठन ने आरोप लगाया कि सरकार स्थानीय संस्कृति की अनदेखी कर रही है, जबकि महापुरुषों जैसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और महाराजा अग्रसेन की मूर्तियों पर ऐसी कार्रवाई नहीं होती।
अमित बघेल ने एक वीडियो में इन महापुरुषों पर विवादित टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने कहा, “इनकी मूर्ति पर पेशाब क्यों नहीं होता?” यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल होते ही अग्रवाल समाज और सिंधी समाज में भारी रोष फैल गया। अग्रवाल समाज ने इसे अपनी आस्था पर सीधा प्रहार बताया, जबकि सिंधी समाज ने भगवान झूलेलाल के अपमान का मुद्दा उठाया। परिणामस्वरूप, 28 अक्टूबर को रायपुर के सिविल लाइन थाने में अमित बघेल के खिलाफ आईपीसी की धारा 295-ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का इरादा) के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
विरोध तेज होने पर अग्रवाल समाज के सदस्यों ने थाने का घेराव किया और कड़ी कार्रवाई की मांग की। सिंधी समाज के प्रतिनिधियों ने भी 29 अक्टूबर को सिविल लाइन थाने पहुंचकर ज्ञापन सौंपा, जिसमें बघेल की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की गई। प्रदेशभर में, खैरागढ़, मनेन्द्रगढ़ और सरायपाली जैसे क्षेत्रों में भी समाज के लोगों ने थानों का घेराव किया। अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के पदाधिकारियों ने इसे राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बताते हुए केंद्रीय कार्रवाई की मांग की है।
इन घटनाओं के बाद क्रांति सेना ने 31 अक्टूबर को रायपुर बंद का ऐलान किया। कार्यकर्ता दुकानें बंद करवाने निकले, लेकिन पुलिस ने सख्ती बरतते हुए अमित बघेल समेत 1,000 से अधिक लोगों को घरों में नजरबंद कर दिया। संगठन का दावा है कि यह बंद छत्तीसगढ़ महतारी मूर्ति तोड़फोड़ के दोषियों की गिरफ्तारी और बघेल के बयानों पर गलतफहमी दूर करने के लिए है।
पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी सुरक्षा बल तैनात किया है, और किसी भी हिंसा को रोकने के निर्देश दिए गए हैं।
क्रांति सेना के एक पदाधिकारी ने बताया, “हम राज्य की अस्मिता की रक्षा के लिए सड़कों पर हैं। सरकार को दोषियों को सजा देनी चाहिए।” वहीं, पुलिस अधिकारियों ने कहा कि हाउस अरेस्ट शांतिपूर्ण प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए है, और जांच जारी है। यह घटनाक्रम छत्तीसगढ़ की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर रहा है, जहां सांस्कृतिक और धार्मिक संवेदनशीलताएं सामने आ रही हैं।

