इतिहास में पहली बार 3 राज्य हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश विवादित मुद्दों को दरकिनार कर लोकतंत्र की मजबूती के संकल्प के साथ एक मंच पर एकजुट हुए। चंडीगढ़ के सेक्टर 3 स्थित हरियाणा निवास में तीनों राज्यों के विधान सभा अध्यक्षों ने परस्पर संवाद और एक-दूसरे के यहां हो रहे नवाचारी प्रयोगों से सीखने का आग्रह किया। अवसर था अगले माह मुंबई में होने वाले राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन भारत की तैयारियों की जानकारी देने के लिए हरियाणा विधान सभा की ओर से आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस का। प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुणे स्थित एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट के संस्थापक व इस सम्मेलन के समन्वयक राहुल वी. कराड ने राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय सम्मेलन 15 जून से शुरू होगा, जिसके लिए देश के सभी विधायकों और विधान परिषद सदस्यों को निमंत्रण भेजा गया है।
इससे पूर्व हरियाणा विधान सभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने पंजाब विधान सभा के अध्यक्ष स. कुलतार सिंह संधवा, हिमाचल प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया और राहुल वी. कराड का स्वागत किया।
हरियाणा विधान सभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन का उद्देश्य इस देश और यहां के लोकतंत्र को मजबूत करना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन देशभर के विधायकों के परस्पर संवाद का सबसे बड़ा मंच बनेगा, जिससे हम आने वाली चुनौतियों का समाधान निकालना भी एक दूसरे से सीख सकेंगे। उन्होंने कहा कि इससे युवा पीढ़ी में नेताओं और राजनीति के बारे में सकारात्मक भावना विकसित होगी।
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इस अवसर पर पंजाब विधान सभा के अध्यक्ष स. कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि देश भर के विधायकों को एक मंच पर एकत्रित करना किसी सपने से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि कोई भी नेता लोगों की कृपा से जनप्रतिनिधि बनता है। इसलिए हमें सभी जनप्रतिनिधियों के प्रति सकारात्मक भावना रखनी होगी। उन्होंने कहा कि युवाओं में राजनीति के प्रति उदासीनता देश के लिए शुभ संकेत नहीं है।
हिमाचल प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि यह सम्मेलन दलगत हितों से ऊपर देशहित में सोचने के लिए प्रेरित कर रहा है। उन्होंने सम्मेलन की तैयारियों के लिए एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट प्रबंधन की सराहना की। उन्होंने कहा कि सभी विधायकों को इस सम्मेलन का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए।
सम्मेलन के संयोजक राहुल वी. कराड ने कहा कि सम्मेलन में शामिल होने के लिए देश भर से करीब 1800 विधायक और विधान परिषदों के सदस्य पंजीकरण करवा चुके हैं, इनमें हरियाणा के 41, पंजाब के 48 और हिमाचल प्रदेश के 36 विधायक शामिल हैं। उन्होंने शेष विधायकों से 20 मई तक पंजीकरण करवाने की अपील की है।
राहुल वी. कराड ने कहा कि इस सम्मेलन का उद्देश्य विधायकों में आपसी संवाद और विधायी प्रभावशीलता बढ़ाना है। इसके लिए विधायकों के लिए सामूहिक सत्रों के अलावा विचार-मंथन के लिए समानांतर सत्र भी होंगे। यह सम्मेलन विधायकों के सांस्कृतिक संवाद को रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत करने के लिए बड़ा मंच प्रदान करेगा। राज्यों में हो रहे नवाचारी विधायी प्रयोगों को प्रदर्शित करने के लिए मंडप तैयार किए जा रहे हैं। सम्मेलन में राष्ट्रीय और वैश्विक नेताओं की भागीदारी लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करेगी।
उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन से सुशासन के लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रथाओं को बढ़ावा देकर विधायी निकायों की प्रभावशीलता और स्वायत्तता को आगे बढ़ाने के लिए भी प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए प्रादेशिक और दलगत हितों से परे सांझा मंच विकसित हो रहा है। इस दौरान कानून बनाने और नीति निर्माण में विधायकों की भूमिका बढ़ाने के लिए कौशल विकसित करने पर जोर रहेगा।
सम्मेलन में हरियाणा के विधायक वरुण चौधरी, रणधीर सिंह गोलन, पंजाब के विधायक मंजीत सिंह बिलासपुर, हरियाणा विधान सभा के सचिव राजेंद्र कुमार नांदल, पंजाब के सचिव सुरेंद्र पाल समेत अनेक अधिकारी मौजूद रहे।