पुलिस के अनुसार, आरोपी की पहचान अमेज़न डिलीवरी एजेंट के रूप में हुई है, जो इंस्टाग्राम पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर डॉक्टर से संपर्क में आया था। दोनों के बीच बातचीत शुरू होने के बाद आरोपी ने खुद को आर्मी लेफ्टिनेंट बताया और धीरे-धीरे पीड़िता का विश्वास जीत लिया। कुछ दिनों बाद, उसने डॉक्टर को मिलने के बहाने बुलाया और नशीला पदार्थ मिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। घटना की जानकारी मिलते ही पीड़िता ने तुरंत सफदरजंग अस्पताल के आसपास के थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कि गई।
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आरोपी के पास फर्जी आर्मी आईडी कार्ड और वर्दी बरामद हुई है, जिसका इस्तेमाल वह सोशल मीडिया पर अपनी पहचान मजबूत करने के लिए करता था। पूछताछ में आरोपी ने कबूल किया कि वह कई अन्य महिलाओं को भी इसी तरह फंसाने की कोशिश कर चुका था। पुलिस अब आरोपी के फोन और सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच कर रही है ताकि अन्य संभावित पीड़िताओं का पता लगाया जा सके।
यह घटना तब सामने आई जब पीड़िता ने सोमवार को अस्पताल के बाद के इलाके में आरोपी के साथ मिलने का फैसला किया। आरोपी ने उसे अपने फ्लैट पर बुलाया, जहां नशीला पदार्थ देकर बेहोश कर दिया और फिर दुष्कर्म किया। जागने पर पीड़िता ने भागकर पुलिस को सूचना दी। मेडिकल जांच में पीड़िता के शरीर में नशीले पदार्थों के अवशेष पाए गए हैं, जो आरोपी के खिलाफ मजबूत सबूत के रूप में काम आएंगे।
सफदरजंग अस्पताल प्रशासन ने इस घटना पर गहरी चिंता जताई है और डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए विशेष सलाह जारी की है। अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा, “हमारी डॉक्टरों को ऑनलाइन अजनबियों से सावधान रहने की सलाह दी जाती है। यह घटना पूरे मेडिकल कम्युनिटी के लिए चेतावनी है।” दूसरी ओर, महिला आयोग ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए पुलिस के साथ समन्वय करने का ऐलान किया है।
दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की यह ताजा घटना समाज में व्याप्त असुरक्षा को उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल्स की बढ़ती संख्या के कारण ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे ऑनलाइन दोस्ती में सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत दें। आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म), 328 (नशीला पदार्थ देकर अपराध) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। कोर्ट में पेशी के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
यह मामला न केवल कानूनी कार्रवाई की मांग करता है, बल्कि डिजिटल सुरक्षा जागरूकता अभियान को तेज करने की जरूरत भी बताता है। पीड़िता को मनोवैज्ञानिक सहायता और कानूनी मदद उपलब्ध कराई जा रही है, ताकि वह जल्द से जल्द सामान्य जीवन में लौट सके।

