नोएडा में बिल्डरों ने जनता के पैसे का दुरुपयोग किया है। अब एक के बाद एक बिल्डरों की कलई खुल रही है। इनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) ने उन्नति फॉर्च्यून ग्रुप पर शिकंजा कसा है। करीब 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्तियां अटैच कर दी हैं। ईडी सेक्टर-119 स्थित द अरण्या सोसाइटी में फ्लैट बायर्स का पैसा के डायवर्जन की जांच हो रही है। बिल्डर ने खरीदारों से ली गई रकम का इस्तेमाल निर्माण कार्य में नहीं कर फंड डायवर्ट कर दिए थे। ऐसा माना जा रहा है कि बिल्डर ने अपनी ऐश में पैसा खर्च करने के साथ साथ दूसरे स्थानों पर इस पैसे का इस्तेमाल किया है। जिसके चलते यहां फ्लैट बायर्स की रजिस्ट्री के लिए अभी ओर इंतजार करना होगा।
126.5 करोड़ रुपये का फंड डायवर्जन का खुलासा
बता दें कि अब तक की जांच में परियोजना में 126.5 करोड़ रुपये का फंड डायवर्जन की बात सामने आई है। यह फंड डायवर्जन वर्ष 2011 से लेकर वर्ष 2019 के बीच बिल्डर समूह की तरफ से किया गया। इस वजह से मौके पर फ्लैट समेत अन्य निर्माण कार्य अधूरे रहे। यही नहीं बिल्डर ने प्राधिकरण का बकाया भी जमा नहीं किया। इससे प्रोजेक्ट में जो फ्लैट बने उनमें से अधिकतर बायर्स की रजिस्ट्री भी नहीं हो पाई। अब बिल्डर की संपत्तियां अटैच होने के बाद परियोजना के फ्लैट खरीदारों के लिए हल निकलने की उम्मीद जगी है।
ग्रुप के प्रमोटर अनिल मिठास के ठिकानों पर हुई थी छापेमारी
ईडी ने उन्नति फॉर्च्यून ग्रुप के प्रमोटर अनिल मिठास को 16 अप्रैल को कई ठिकानों पर छापा मारने के बाद गिरफ्तार किया था। अनिल मिठास अभी न्यायिक हिरासत में है। ईडी की जांच में इस प्रोजेक्ट में किया गया फंड डायवर्जन साफ तौर पर उजागर हुआ है। जांच में सामने आया है कि प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदारों से 522.9 करोड़ रुपये परियोजना में जुटाए गए। इस राशि में ज्यादातर हिस्सा बिल्डर ने परियोजना में न लगाकर शेयर मार्केट में निवेश किया। इसके अलावा बांड खरीदने, लोन और निर्माण सामग्री के अग्रिम भुगतान, सिक्योरिटी के नाम पर राशि निकाली गई।
नोएडा प्राधिकरण का 200 करोड़ रुपये से अधिक है बकाया
द अरण्या सोसाइटी के 2,594 वर्गमीटर का प्लॉट नोएडा प्राधिकरण से आईवीआरसीएल इंफ्रा एंड प्रोजेक्ट लिमेटेड के नाम पर आवंटित हुआ था। बगैर प्लॉट अपने नाम करवाए करार के आधार पर उन्नति फॉर्च्यून ग्रुप ने यहां पर परियोजना लांच की थी। इस पर दो बार 8 अक्तूबर 2007 व 7 मार्च 2013 में कुल 1155 फ्लैटों व 70 विला का नक्शा पास करवाया गया। विला बनाए गए या नहीं इसकी सूचना प्राधिकरण को नहीं दी गई। जमीन पर 200 करोड़ का बकाया था।
यह भी पढ़ें: बड़ी खबरः नोएडा में जिन घरों में रहते हैं अफसर और कर्मचारी, गिर सकते हैं कभी भी!

