new delhi news मंगलवार को दिल्ली के द्वारका स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) से लगभग 34 छात्रों को निष्कासित कर दिया गया, जिसके बाद छात्रों के परिजनों ने स्कूल के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। परिजनों का आरोप है कि स्कूल द्वारा अवैध रूप से फीस वृद्धि की गई थी, जिसे न देने पर उनके बच्चों को स्कूल से बाहर निकाल दिया गया। इस मामले को लेकर स्कूल परिसर के बाहर माहौल तनावपूर्ण बना रहा।
परिजनों के अनुसार, स्कूल ने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा अवैध घोषित की गई फीस वृद्धि को अनिवार्य बताया और न देने की स्थिति में बच्चों का नाम स्कूल से हटा दिया गया। गुस्साए परिजनों ने कहा कि स्कूल ने मंगलवार को गेट पर बाउंसर तक तैनात कर दिए ताकि वे अपने बच्चों से न मिल सकें। कई माता-पिता ने आरोप लगाया कि उन्हें स्कूल परिसर में प्रवेश तक नहीं करने दिया गया।
यह घटना तब हुई जब हाल ही में दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों में अनियंत्रित फीस वृद्धि को रोकने के उद्देश्य से एक मसौदा विधेयक को मंजूरी दी थी। इस विधेयक में स्कूल, जिला और राज्य स्तर पर शुल्क नियामक समितियां बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके अलावा, छात्रों को निष्कासित करने या प्रवेश से वंचित करने जैसे कृत्यों पर 50,000 रुपये तक का जुमार्ना लगाने का भी प्रावधान है।
हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी
परिजनों ने बताया कि 9 मई को स्कूल की तरफ से एक ईमेल के माध्यम से सूचना दी गई थी कि दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम 1973 के नियम 35 के तहत उनके बच्चों के नाम हटा दिए गए हैं। इस मुद्दे पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। कोर्ट ने शिक्षा विभाग को ऐसे स्कूलों पर नियमित जांच के आदेश दिए हैं। जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि छात्रों के साथ इस तरह का अमानवीय व्यवहार करने वाले स्कूल बंद कर देने लायक हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि फीस न जमा कर पाने की स्थिति में छात्रों को स्कूल से निकाला नहीं जा सकता और न ही उनकी पढ़ाई में रुकावट डाली जानी चाहिए।
शिक्षा विभाग की चुप्पी पर सवाल
परिजनों ने शिक्षा निदेशालय (डीओई) पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि डीओई द्वारा स्वीकृत 93,400 रुपये की सालाना फीस के बावजूद स्कूल 1,95,000 रुपये की मांग कर रहा है। अभिभावकों ने आरोप लगाया कि अप्रैल और मई के चेक स्कूल में जमा किए गए थे, लेकिन उन्हें कैश नहीं किया गया और गैर-भुगतान का आरोप लगाकर बच्चों का नाम काट दिया गया।
परिजनों का आक्रोश (
प्रदर्शन कर रहे परिजनों में दिव्या मत्ते ने बताया कि किसी तरह मंगलवार को उन्होंने अपने बेटे को स्कूल में दाखिल कराया, लेकिन उसे तुरंत कक्षा छोड़ने का आदेश दिया गया। जब उसने इनकार किया, तो कक्षा अध्यापिका ने उसे शारीरिक रूप से बाहर निकाल दिया। दिव्या ने आगे बताया कि बाद में उसे स्कूल बस में बैठाकर बिना किसी सूचना के दो घंटे बाद छोड़ दिया गया।
एक अन्य अभिभावक पिंकी पांडे ने आरोप लगाया कि स्कूल ने अप्रैल से ही शिक्षा निदेशालय द्वारा स्वीकृत अधिकृत शुल्क लेना बंद कर दिया और बाद में गैर-भुगतान का आरोप लगाकर छात्रों का नाम काट दिया। पिंकी ने कहा कि हमने अप्रैल और मई के चेक जमा किए थे, लेकिन स्कूल ने उन्हें कभी क्लियर नहीं किया। इसके बाद उन्होंने कहा कि हमने भुगतान नहीं किया और हमारे बच्चों को बाहर निकाल दिया।
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