नोएडा के रियल एस्टेट बाजार में स्थिरता का अभाव: जानिए खरीद-फरोख्त क्यों हो रही कम

Noida property Bazar slowdown: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में रियल एस्टेट के एक प्रमुख केंद्र, नोएडा में प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त में लगातार अस्थिरता देखने को मिल रही है। प्रॉपर्टी ख़रीदने के लिए जो लोगों में जोश दिखता था वो काम हो रहा है। जिसके पीछे सबसे बड़ा कारण है प्राधिकरण की नीतियां जिससे लोग अब परेशान होने लगे हैं।  बीते कुछ समय से, शहर के कई हिस्सों में खरीद-बरोख्त में शिथिलता (Slowdown) आई है, जिसने घर खरीदारों और निवेशकों दोनों की चिंता बढ़ा दी है। हालांकि कुछ पॉश और स्थापित क्षेत्रों में कीमतें आसमान छू रही हैं, वहीं कई उभरते और पुराने क्षेत्रों में लेनदेन में कमी दर्ज की गई है।
चलिए बताते हैं नोएडा में आख़िर ऐसा क्या हुआ जो प्रॉपर्टी बाज़ार इतना मंदा हो गया है। प्रमुख कारण विस्तार से:
प्राधिकरण का धारा 10 नोटिस

नोएडा प्राधिकरण द्वारा बनाए गए जनता LIG MIG और HIG फ़्लैट्स मालिकों को धारा 10 का नोटिस दिया जाता है इस नोटिस का मतलब होता है कि किसी भी फ़्लैट मालिक ने थोड़ा सा भी अतिरिक्त बनाया है तो वो पूरी तरह अवैध है जब तक धारा का नोटिस फ़्लैट की फ़ाइल से नहीं हटेगा तब तक उस फ़्लैट को ट्रांसफर मेमोरेंडम यानी TM नहीं कराया जा सकता। उसके लिए लोगों को चक्कर काटने पड़ते हैं और प्राधिकरण में अधिकारियों और कर्मचारियों से साँठ गाँठ भी करनी पड़ती है तभी जाकर धारा 10 का नोटिस सकता है और फिर प्रॉपर्टी का TM होता है।
रजिस्ट्री और अवैध निर्माण का संकट
अवैध निर्माण पर कार्रवाई: नोएडा प्राधिकरण ने हाल ही में सलारपुर, भंगेल और हाजीपुर जैसे कई गाँवों की जमीन के 46 खसरा नंबरों पर अवैध रूप से बनी संपत्तियों की खरीद-फरोख्त के खिलाफ सख्त चेतावनी जारी की है। प्राधिकरण ने इन निर्माणों पर कभी भी ध्वस्तीकरण (Demolition) या सीलिंग की कार्रवाई करने की बात कही है।
खरीदारों में डर: इस तरह की चेतावनी और प्राधिकरण की कार्रवाई के कारण आम जनता में वित्तीय नुकसान का डर बैठ गया है, जिससे लोग इन क्षेत्रों में निवेश करने से कतरा रहे हैं।
रियल्टी सेक्टर में कानूनी और वित्तीय जटिलताएँ
बिल्डर-बायर्स विवाद (Registry Crisis): कई बिल्डरों द्वारा अथॉरिटी को देय बकाया राशि के भुगतान न करने के कारण हजारों फ्लैटों की रजिस्ट्री अटकी हुई है। बिना रजिस्ट्री के, खरीदारों को अपनी संपत्ति का कानूनी मालिकाना हक़ नहीं मिल पा रहा है, जो बाजार को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।
देरी से डिलीवरी: कई परियोजनाओं में समय पर कब्ज़ा (Possession) न मिलना और गुणवत्ता संबंधी शिकायतें भी खरीदारों के भरोसे को कम कर रही हैं।
प्राधिकरण का सख्त रुख: प्राधिकरण उन खाली पड़े प्लॉटों के आवंटन को भी रद्द कर रहा है, जिन पर 12 साल बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। यह कदम निवेशकों पर दबाव डाल रहा है और बाजार में अनिश्चितता पैदा कर रहा है।
 संपत्ति की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि
महंगी होती प्रॉपर्टी: पिछले डेढ़ दशक में, नोएडा में प्रॉपर्टी की दरें चार गुना तक बढ़ गई हैं। मौजूदा समय में, अच्छे सेक्टर्स में आवंटन दरें ₹1,75,000 प्रति वर्ग मीटर तक पहुँच गई हैं, जबकि बाजार में कीमतें इससे भी अधिक हैं।
* बढ़ी हुई आवंटन दरें: नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों द्वारा आवंटन दरों में की गई वृद्धि से स्टांप ड्यूटी और संपत्ति का कुल मूल्य बढ़ गया है, जिससे आम आदमी के लिए घर खरीदना कठिन हो गया है।
मांग में बदलाव और मंदी का असर
इन्वेंटरी का जमाव: कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, नोएडा में अभी भी अनसोल्ड इन्वेंटरी (न बिके हुए मकानों) का एक बड़ा भंडार है। मांग की तुलना में सप्लाई अधिक होने के कारण भी बाजार में शिथिलता है।
निवेशकों की अनुपस्थिति: अतीत में, नोएडा का बाजार निवेशकों पर बहुत अधिक निर्भर था, लेकिन समय पर डिलीवरी न होने, मूल्य वृद्धि की धीमी गति और बाहर निकलने की खराब संभावनाओं के कारण निवेशक अब इस बाजार से दूरी बना रहे हैं।
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता: वैश्विक और घरेलू आर्थिक मंदी की आशंकाओं के चलते भी खरीदार सतर्क (cautious) हो गए हैं और बड़े निवेश से बच रहे हैं।
बाजार का भविष्य: मिला-जुला रुझान
विशेषज्ञों का मानना है कि जेवर एयरपोर्ट और बेहतर कनेक्टिविटी जैसे बुनियादी ढांचों के विकास से कुछ क्षेत्रों (विशेषकर यमुना एक्सप्रेसवे से सटे) में भविष्य में तेजी आ सकती है। हालांकि, जब तक रजिस्ट्री और अवैध निर्माण जैसी कानूनी जटिलताओं को दूर नहीं किया जाता, तब तक पूरे नोएडा के रियल एस्टेट बाजार में व्यापक स्थिरता आना मुश्किल है।

 

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