Noida Traffic:गौतमबुध नगर उत्तर प्रदेश का एक जिला है और इस जिले में शहर है नोएडा। जिस पर यूपी की ही नहीं बल्कि पूरे देश की नजरें टिकी रहती हैं। नोएडा दिल्ली से सटा हुआ है, इसलिए यहां सुरक्षा व्यवस्था यानी पुलिस विभाग को दिल्ली की तर्ज पर देखा जाता है। दिल्ली की तर्ज पर कमिश्नरी व्यवस्था भी लागू हो चुकी है, लेकिन विभाग के पास आधी अधूरी सुविधाएं होने के साथ-साथ फोर्स भी पूरा नहीं है। जिसके चलते सुरक्षा व्यवस्था उतनी चाक-चैबंद नहीं हो पाती जितनी दिल्ली में रहती हैै।
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सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए ड्रिंक एंड ड्राइव के मामले पर अंकुश लगाने की बेहद जरूरत है। मगर विभाग के पास ना तो चैकिंग करने के लिए पर्याप्त फोर्स होता है और ना ही ब्रेथ एनालाइजर हैं। गौतम बुद्ध नगर जिले में कुल ट्रैफिक पुलिस के पास 14 ब्रेथ एनालाइजर है। आबकारी विभाग के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो केवल 31 दिसंबर की रात जिले में 9 करोड़ से अधिक की शराब बिकी। जबकि पूरे साल में 140 करोड़ रुपए की शराब बिकती है। ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों पर निगाह दौड़ाई जाए तो 2022 में सिर्फ 868 लोगों को ही नशे की हालत में वाहन चलाते वक्त पकड़ा गया है।
Noida Traffic: जिनके चालान हुए और अब 2023 में ढाई महीने में केवल 56 लोगों को ही ट्रैफिक पुलिस ने नशे की हालत में पकड़ा है। दरअसल बिना मशीन के ट्रैफिक पुलिस विभाग पकड़े भी तो कैसे पकड़े। यदि सेक्टर 18 के आसपास ही सही तरीके से प्रतिदिन चेकिंग की जाए तो नशे की हालत में वाहन चलाते हुए कई कई दर्जन लोग प्रतिदिन पकड़े जाएंगे। क्योंकि यहां गार्डन गैलरिया मॉल और सेक्टर 18 में रेस्टोरेंट्स और पब है। जहां से शराब पीकर लोग यानी वाहन चालक निकलते हैं। गौतम बुध नगर में कुल 3 ट्रैफिक इंस्पेक्टर हैं जबकि 64 ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर हैं। इसके अलावा करीब 400 सिपाही हैं। इस डीसीपी ट्रैफिक अनिल कुमार यादव का कहना है कि पुलिस के पास मशीनें हैं जरूरत पड़ने पर उनसे मदद लेते हैं मशीनें खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। छह मशीनें खरीदने का प्रस्ताव भेजा गया है।
कई सड़को पर जाम ही जाम
Noida Traffic:नोएडा में ट्रैफिक की बात करें तो एम्स से नोएडा तक सफर सिग्नल सिग्नल फ्री हुआ, लेकिन नोएडा में वाहनों की संख्या बढ़ गई है। आश्रम फ्लाईओवर के शुरू होने से दिल्ली की ट्रैफिक व्यवस्था तो सुधरी मगर नोएडा में जाम ही जाम लगा रहता है। डीएनडी और चिल्ला मार्ग को लिंक रोड के रूप में प्रयोग किया जाता है। जिसके चलते यहां वाहनों का दबाव अधिक है। ऑफिस आर्स में यहां यातायात का अधिक दबाव रहता है। वही ओखला बैराज पर भी ट्रैफिक इस कदर होता है कि 10 किलोमीटर का सफर घंटों में पूरा हो पाता है।