मेजर मोहित शर्मा
एक वीर सिपाही की अनसुनी कहानी
मेजर मोहित शर्मा का जन्म 1978 में हरियाणा के रोहतक में हुआ था। मात्र 17 साल की उम्र में उन्होंने 1995 में नेशनल डिफेंस अकादमी (एनडीए) में प्रवेश लिया और दिसंबर 1999 में इंडियन मिलिट्री अकादमी (आईएमए) से पास आउट होने के बाद मद्रास रेजिमेंट की 5वीं बटालियन में कमीशन प्राप्त किया। जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स में सेवा करने के बाद, उन्होंने विशेष बलों (स्पेशल फोर्सेज) में शामिल होने के लिए स्वेच्छा से आवेदन किया। कठिन प्रशिक्षण और प्रोबेशन पीरियड के बाद वे 1 पैराशूट बटालियन (स्पेशल फोर्सेज) में शामिल हो गए।
मेजर शर्मा का साहस उनकी सैन्य उपलब्धियों में साफ झलकता है। 2004 में, उन्होंने हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठन में घुसपैठ कर दो खूंखार आतंकवादियों को मार गिराया, जिसके लिए उन्हें सेना मेडल (गैलेंट्री) से सम्मानित किया गया। लेकिन उनकी सबसे बड़ी कुर्बानी 2009 में आई। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में विशेष बलों के साथ तैनात मेजर शर्मा एक गुप्त ऑपरेशन में शामिल हुए। इस ऑपरेशन में कई आतंकवादियों को मार गिराया गया, लेकिन वे खुद गंभीर रूप से घायल हो गए। अंततः, वे शहीद हो गए। उनके अदम्य साहस के लिए मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र—भारत का सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार—प्रदान किया गया। 26 जनवरी 2010 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उनके पत्नी मेजर रिशिमा शर्मा को यह सम्मान प्रदान किया। मेजर रिशिमा खुद सेना की अधिकारी हैं और मोहित की शहादत के बाद भी राष्ट्रसेवा में सक्रिय रहीं।
मेजर शर्मा की कहानी न केवल सैन्य इतिहास का हिस्सा है, बल्कि यह युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनी हुई है। उनकी पत्नी और परिवार ने हमेशा उनकी विरासत को संजोए रखा, लेकिन अब एक फिल्म ने इस विरासत पर सवालिया निशान लगा दिया है।
‘धुरंधर’ फिल्म: काल्पनिक या वास्तविक नायक पर आधारित?
फिल्म ‘धुरंधर’ के निर्देशक आदित्य धर हैं, जिन्होंने ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ जैसी हिट फिल्म बना चुके हैं। यह फिल्म पाकिस्तान में आतंकी नेटवर्क में घुसपैठ कर उसे ध्वस्त करने वाले एक स्पेशल फोर्सेज अधिकारी की कहानी पर आधारित बताई जा रही है। रणवीर सिंह मुख्य भूमिका में हैं, जबकि संजय दत्त, अक्षय खन्ना जैसे सितारे सहायक किरदारों में नजर आएंगे। फिल्म को ‘सच्ची घटनाओं से प्रेरित’ बताया गया है, लेकिन निर्देशक का कहना है कि यह पूरी तरह काल्पनिक है।
हालांकि, मेजर मोहित शर्मा के परिवार का दावा बिल्कुल उलट है। परिवार का कहना है कि रणवीर सिंह का किरदार उनके बेटे मेजर मोहित शर्मा की जिंदगी, व्यक्तित्व और साहसिक ऑपरेशनों पर आधारित है। सोशल मीडिया पर वायरल अटकलों के अनुसार, फिल्म के अन्य किरदार भी वास्तविक व्यक्तियों से प्रेरित हैं—जैसे संजय दत्त का रोल कराची पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट चौधरी असलम खान स्वाती (2014 में टीटीपी बम ब्लास्ट में शहीद) पर, अक्षय खन्ना का किरदार लयारी गैंग के सरदार अब्दुल रहमान बलोच (2009 में मारा गया) पर आधारित, और एक किरदार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से मिलता-जुलता। परिवार ने आरोप लगाया कि बिना उनकी अनुमति के मेजर शर्मा की कहानी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो उनकी स्मृति का अपमान है।
परिवार ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने, बेटे की विरासत और पर्सोना की रक्षा करने, तथा रिलीज से पहले निजी स्क्रीनिंग की मांग की गई। याचिका में स्पष्ट कहा गया, “फिल्म को मेजर मोहित शर्मा की जिंदगी पर आधारित दिखावा किया जा रहा है, जो परिवार की सहमति के बिना अनुचित है।”
फिल्ममेकर्स का पक्ष और कोर्ट का फैसला
फिल्ममेकर्स ने इन दावों का सिरे से खंडन किया है। निर्देशक आदित्य धर ने कहा, “धुरंधर पूरी तरह काल्पनिक फिल्म है। इसमें मेजर मोहित शर्मा की जिंदगी से कोई लेना-देना नहीं है। हां, यह सच्ची घटनाओं से प्रेरित है, लेकिन किसी वास्तविक व्यक्ति पर आधारित नहीं।” स्क्रीनराइटर और सह-निर्माता ने भी इनकार किया कि फिल्म को मेजर शर्मा से जोड़कर पेश किया जा रहा है।
1 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, लेकिन सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) को निर्देश दिए कि वह मामले के सभी पहलुओं—खासकर याचिकाकर्ताओं की चिंताओं—पर विचार करे। यदि जरूरी हो, तो सेंसर बोर्ड भारतीय सेना के संबंधित अधिकारियों को मामला रेफर कर सकता है। अंतिम निर्णय लेने से पहले यह कदम उठाया जाएगा।
व्यापक संदर्भ
यह विवाद बॉलीवुड में शहीदों की कहानियों के चित्रण को लेकर बढ़ते विवादों का हिस्सा है। ‘उरी’ और ‘छाबड़ हाउस’ जैसी फिल्में राष्ट्रवाद को बढ़ावा देती हैं, लेकिन जब वास्तविक नायकों की जिंदगी को काल्पनिक ढांचे में पिरोया जाता है, तो परिवारों की भावनाएं आहत होती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सिनेमा को राष्ट्रसेवा का सम्मान करते हुए पारदर्शिता बरतनी चाहिए। मेजर शर्मा के परिवार ने कहा, “हमारे बेटे की शहादत को सम्मान दें, लेकिन इसका दुरुपयोग न करें।”
फिल्म की रिलीज के साथ यह विवाद और गहरा सकता है। क्या ‘धुरंधर’ दर्शकों को एक नया राष्ट्रवादी एंगल देगी, या यह शहीदों की सच्ची कहानियों के लिए एक सबक बनेगी? समय ही बताएगा।

