केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2025 की वार्षिक रैंकिंग में गाज़ीपुर थाने को टॉप-3 में जगह दी है। 28 नवंबर 2025 को रायपुर में होने वाले 60वें डीजीपी-आईजीपी सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद थाना प्रभारी इंस्पेक्टर उपाध्याय बालाशंकरम को ट्रॉफी सौंपेंगे।
कैसे बदला थाना?
• दो साल पहले यहाँ 600 से ज़्यादा मामले लंबित थे, आज सिर्फ़ करीब 350।
• स्टाफ़ 110 से बढ़कर 135 हो गया है, अब तीन इंस्पेक्टर तैनात हैं।
• थाने के बाहर और अंदर जब्त गाड़ियाँ जमा रहती थीं; अब सबको पास के खाली प्लॉट में शिफ्ट कर दिया गया।
• इस साल अब तक दर्ज 9 हत्याओं में से 8 केस सुलझा लिए गए।
• थाना अब अंदर से साफ़-सुथरा और आमजन के लिए दोस्ताना है। महिलाओं के लिए अलग हेल्प डेस्क भी सक्रिय।
सबसे मुश्किल इलाका: खोड़ा कॉलोनी
गाज़ीपुर थाने का सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है खोड़ा कॉलोनी; जो आधी दिल्ली में और आधी गाजियाबाद में आती है। यहाँ पता ही नहीं चलता, गलियाँ संकरी, अंधेरा और अवैध निर्माण। पुलिस वाले बताते हैं, “यहाँ किसी को ढूँढना बहुत मुश्किल है, खासकर अगर वो अपराधी छिपना चाहता हो।” फिर भी इस साल की पहली हत्या से लेकर अब तक ज्यादातर बड़े केस सुलझा लिए गए।
रैंकिंग के मानदंड
गृह मंत्रालय पुलिस थानों की रैंकिंग कई पैमाने पर करता है:
• अपराध रोकथाम और पता लगाना
• केस निपटारे की गति
• जांच की गुणवत्ता
• सामुदायिक पुलिसिंग
• महिलाओं की शिकायतों का त्वरित निपटारा
• थाने की साफ़-सफाई और इंफ्रास्ट्रक्चर
• जनता का फीडबैक
नई आपराधिक क़ानूनों का भी असर
1 जुलाई 2024 से लागू नए आपराधिक क़ानूनों (BNSS) में FIR के 60-90 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल करना अनिवार्य है। इससे भी लंबित केस कम करने में मदद मिली है, लेकिन थाने के अधिकारी कहते हैं कि असली सफलता टीम वर्क और SHO बालाशंकरम की व्यक्तिगत निगरानी का नतीजा है।
एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्ते पर कहा, “हवा में बदबू इतनी है कि एयर प्यूरीफायर के फिल्टर हफ्ते भर में काले हो जाते हैं। छह महीने से ज़्यादा रहना सेहत के लिए ख़तरनाक है। फिर भी हमने यहाँ काम करके दिखाया।”
गाज़ीपुर पुलिस थाना यह साबित करता है कि सबसे मुश्किल परिस्थितियों में भी मेहनत और सिस्टमैटिक काम से असाधारण नतीजे हासिल किए जा सकते हैं।

