नोएडा (Health News) । अगर शरीर में कहीं भी संक्रमण हुआ है, तो वह खून से दिमाग में पहुंचकर मेनिनजाइटिस कर सकता है। जब मौसम बदलता है तो इसकी आशंका अधिक रहती है। जिनकी इम्युनिटी कम होती है उनमें भी इसके होने की आशंका रहती है। यह बातें विश्व मेनिनजाइटिस दिवस पर फेलिक्स हॉस्पिटल में अयोजित कार्यक्रम में अस्पताल के सीएमडी डॉ. डीके गुप्ता कही।
चेयरमैन डॉ. डीके गुप्ता ने बताया कि मेनिनजाइटिस एक प्रकार का संक्रामक रोग है, जो मस्तिष्क के अंदर वाले हिस्से मेनिन्जेस में मौजूद फ्लूड सीएसएफ में संक्रमण से होता है। इस बीमारी के कारण हैं। शरीर में कहीं भी मसलन कान, नाक, दांत, फेफड़ों में संक्रमण है तो भी हो सकता है। यह बीमारी संबंधित अंगों से खून के माध्यम से मस्तिष्क में भी चली जाती है।
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अगर समय पर इलाज न मिले तो मरीज की जान भी जा सकती है। इसलिए संक्रमण का तत्काल इलाज लेना चाहिए। कम्युनिटी एक्वायड बैक्टीरियल बैक्टीरिया से होता है। यह संक्रमण जानलेवा हो सकता है। यह भीड़भाड़ वाले जगहों पर जाने से वहां के संक्रमित लोगों को खांसने-छींकने से भी फैल सकता है। भीड़ वाली जगह जाते हैं तो मास्क लगाएं। वहीं वायरल मेनिनजाइटिस वायरस से होता है। यह बैक्टीरियल संक्रमण जितना खतरनाक नहीं है। अगर इम्युनिटी अच्छी है तो इससे बचाव होता है। जबकि फंगल मेनिनजाइटिस फंगस हमारे शरीर में ही होते हैं। जब इम्युनिटी कम होती है तो हो जाता है। जैसे मधुमेह, एचआइवी और कैंसर पीड़ितों को भी हो सकता है।इसके अतरिक्त पैरासिटिक मेनिनजाइटिस यह पैरासाइट से होता है, जो दिमाग और तंत्रिकातंत्र पर प्रभाव डालता है। ये बहुत कम होता है। अमेबिक मेनिनजाइटिस होता है जो बहुत दुर्लभ होता है। यह गंदा पानी नाक में जाने से होता है। उधर गैर संक्रामक मेनिनजाइटिस यह किसी संक्रमण से नहीं बल्कि सिर पर चोट, कैंसर, बहुतब्रेन सर्जरी, कुछ प्रकार की दवाइयां या ड्रग्स आदि से होता है।