Haryana News: स्कूलों से ड्राप आउट रोकने में सरकार विफल: कुमारी सैलजा
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Haryana News: स्कूलों से ड्राप आउट रोकने में सरकार विफल: कुमारी सैलजा

Haryana News: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य और हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार स्कूलों से लगातार हो रहे ड्राप आउट को रोकने में नाकाम साबित हुई है। अकेले सिरसा जिले में ही 9 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जो अपनी स्कूली शिक्षा को बीच में ही छोड़ने को मजबूर हैं। सरकार ने इन्हें फिर से स्कूलों में दाखिला देने की दिशा में भी कोई प्रयास नहीं किया। वहीं, स्कूली शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है, फिर भी गठबंधन सरकार मौन साधे हुए है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि हाल ही में जारी शिक्षा की वास्तविक स्थिति रिपोर्ट से पता चलता है कि सिरसा जिले में 14 से 18 साल तक की उम्र के 90.9 प्रतिशत बच्चे ही स्कूलों में पढ़ रहे हैं। बाकी, 9.1 प्रतिशत बच्चे स्कूल में आना बंद कर चुके हैं। इनमें से 13 प्रतिशत बच्चे दूसरी कक्षा के स्तर की किताब भी नहीं पढ़ पाते। इससे पता चलता है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई भगवान भरोसे है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट बताती है कि इनमें से 40 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें भाग भी करना नहीं आता। अंग्रेजी के मामले में तो इनकी स्थिति अत्यंत खराब है। क्योंकि, इनमें से 20 प्रतिशत बच्चे ऐसे मिले, जो अंग्रेजी की एक लाइन भी पूरी नहीं पढ़ पाए। कैरियर के चुनाव को लेकर भी ये बच्चे उतने जागरूक नजर नहीं आए, जितनी इस उम्र में होनी चाहिए। इन सब खामियों की जिम्मेदार सीधे तौर पर भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि चार साल के अंदर करीब 500 स्कूलों को बंद करने के बाद अब 20 या इससे कम संख्या वाले 832 प्राइमरी स्कूलों को मर्ज करने नाम पर बंद करने का षड्यंत्र प्रदेश सरकार ने रचना शुरू कर दिया है। बच्चों को शिक्षा के अधिक से अधिक अवसर उनके घर के नजदीक मिलें, ऐसे प्रयास गठबंधन सरकार ने किए ही नहीं। आबादी के मुताबिक नए स्कूल खोलने की बजाए पहले से चल रहे सरकारी स्कूलों को बंद करने की पुरजोर कोशिश हो रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों में 28 हजार से अधिक पद खाली पड़े हुए हैं। इससे साफ है कि बच्चों को शिक्षित करने के लिए नई भर्ती करने की बजाए राज्य सरकार देर-सवेर इन पदों को खत्म करने की साजिश रच सकती है। नियमित भर्ती की बजाए हरियाणा कौशल रोजगार निगम के मार्फत ठेके पर शिक्षक भर्ती करने की कार्रवाई तो पहले ही शुरू हो चुकी है।

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