हरमनप्रीत कौर की अनकही कहानी, वर्ल्ड कप जीत के बाद बदल गया जीवन

Indian Women’s Cricket Team News: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर ने एक न्यूज़ एजेंसी के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ को दिए अपने पहले एक्सक्लूसिव ‘टेल-ऑल’ इंटरव्यू में अपनी जिंदगी के उन पहलुओं को बयां किया, जो अब तक सिर्फ उनके दिल में कैद थे। विश्व कप की ऐतिहासिक जीत के ठीक 12 दिन बाद यह इंटरव्यू हुआ, जिसमें हरमनप्रीत ने अपनी आशंकाओं, खुशियों, डर और उन्माद को खुलकर साझा किया।

उन्होंने बताया कि भारत की पहली महिला विश्व कप विजेता टीम की कप्तानी करना उनके लिए क्या मायने रखता है और इस जीत ने उनकी जिंदगी व टीम को हमेशा के लिए कैसे बदल दिया।

यह इंटरव्यू पीटीआई वीडियो पर जल्द ही उपलब्ध होगा, लेकिन इसके कुछ चुनिंदा अंशों ने ही क्रिकेटप्रेमियों में हलचल मचा दी है। हरमनप्रीत ने इंटरव्यू के दौरान भावुक होकर कहा, “मेरी जिंदगी पूरी तरह बदल गई है। हमारी टीम इस पल का इंतजार कई सालों से कर रही थी… यह मेरे लिए दुनिया ही बदलने जैसा है।” उन्होंने फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लिया गया उस ऐतिहासिक कैच का जिक्र किया, जिसने भारत को 52 रनों से जीत दिलाई। “मैंने उस हाइलाइट को हजारों बार देखा है।

शब्दों में बयां करना मुश्किल है, लेकिन घुटने की चोट के बावजूद मैं उछल पड़ी। खेल में डूब जाना ही इसकी ताकत है।”

नीली जर्सी का सपना
हरमनप्रीत ने अपनी शुरुआती जिंदगी के संघर्षों पर खुलकर बात की। पंजाब के मोगा में पैदा हुईं हरमनप्रीत को क्रिकेट का शौक बचपन से ही था, लेकिन लड़कियों के लिए यह खेल आसान नहीं था। “मैंने भारत के लिए खेलने का सपना तब देखा था, जब मुझे महिला क्रिकेट के बारे में कुछ पता भी नहीं था। टीवी पर मैच देखते ही नीली जर्सी पर अपना नाम लिखने की धुन सवार हो गई। दोस्त मजाक उड़ाते, कहते ‘तू लड़की है, कैसे खेलेगी?’ लेकिन पिता हमेशा सांत्वना देते। उन्होंने मुझे उम्मीद दी कि हां, मैं कर सकती हूं।”

उन्होंने एक मजेदार किस्सा भी साझा किया। जन्म के दिन ही उनके पिता ने अस्पताल जाते वक्त एक ओवरसाइज शर्ट खरीदी, जिस पर बल्लेबाज शॉट मारते हुए की तस्वीर बनी थी और लिखा था ‘गुड बैटिंग’। “दादी ने तो डांटा भी कि नवजात बच्चे के लिए इतनी बड़ी शर्ट क्यों? लेकिन जब मैंने देखी, तो लगा जैसे यह मेरी किस्मत लिखी थी।” पहली मैच फीस मिलने पर उन्होंने गर्व से पिता को चेक सौंपा और कहा, “यह मेरी पहली कमाई है। उस पल मुझे लगा, दुनिया की सबसे अमीर इंसान हूं।”

ट्रोल्स को बनाया ताकत
हरमनप्रीत ने 2017 विश्व कप फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ 9 रनों से हार के दर्द को याद किया, जब टीम सिर्फ एक शॉट दूर थी। “हमने सारी आलोचना को सकारात्मक लिया। लोग इसलिए ट्रोल कर रहे थे क्योंकि उनकी उम्मीदें ऊंची थीं। हम कोच के साथ बैठे, कहा कि हम इससे बेहतर हैं। इंग्लैंड मैच के बाद मीम्स और ट्रोल्स आए, लेकिन हमने सोचा- यह मैच तो हो चुका, अब आगे बढ़ो।” सेंट्रल जोन के खिलाफ हार पर भी उन्होंने कहा, “हम चार रनों से हारे थे। लेकिन हमने खुद को साबित किया कि हम इससे कहीं बेहतर खेल सकते हैं।”

सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया पर जीत को उन्होंने ‘बदला’ नहीं, बल्कि ‘तैयारी’ बताया। “2017 में ट्रॉफी हाथ में लगी लग रही थी, लेकिन चूक गए। उसके बाद हमने द्विपक्षीय सीरीज जीतीं, क्लच मोमेंट्स के लिए मानसिक तैयारी की।”

महिलाओं के क्रिकेट का नया दौर
3 नवंबर 2025 को नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर भारत ने अपना पहला महिला ओडीआई विश्व कप जीता। यह जीत 2005 और 2017 की असफलताओं के बाद आई, जब टीम फाइनल में पहुंची लेकिन ट्रॉफी नहीं ले सकी। हरमनप्रीत ने कहा, “बहुत गर्व है। शब्दों में बयां नहीं कर सकती। हमने सालों की मेहनत का लाइन क्रॉस किया। अब महिला क्रिकेट को और गंभीरता से लिया जाएगा।”

इस जीत ने न सिर्फ टीम को बदला, बल्कि पूरे देश में महिला क्रिकेट को नई ऊंचाई दी। पूर्व खिलाड़ी पूनम रावत ने कहा, “लड़कों के ताने ‘लड़कियां क्रिकेट नहीं खेल सकतीं’ अब चुप हो गए। हरमनप्रीत ने साबित कर दिया।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में पीएम ने टीम से कहा कि स्कूलों में जाकर छात्राओं को प्रेरित करें। चेन्नई में सम्मानित होने पर हरमनप्रीत बोलीं, “टेस्ट क्रिकेट मेरा पसंदीदा फॉर्मेट है। वीरेंद्र सहवाग मेरी प्रेरणा हैं।”

प्रतिभाओं को बढ़ावा
हरमनप्रीत ने जोर दिया कि अब लड़कियों की प्रतिभा पूल को बढ़ाना जरूरी है। “मैंने घर की महिलाओं- दादी-मां से सीखा कि बिना शिकायत के सब कुछ देकर सपने पूरे करो। विरासत यही है- प्रभाव डालना और वापस देना।” कोच यदविंदर सिंह सोढ़ी ने भी कहा कि यह जीत भारतीय महिला क्रिकेट के लिए मील का पत्थर है।

यह इंटरव्यू न सिर्फ हरमनप्रीत की व्यक्तिगत यात्रा है, बल्कि लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा। पीटीआई के इस एक्सक्लूसिव से पता चलता है कि विश्व कप जीत ने सिर्फ ट्रॉफी नहीं, बल्कि सपनों को भी साकार किया है।

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