गुजरात हाईकोर्ट में आज मोरबी नगरपालिका को पुल ढहने के मामले में दायर एक जनहित याचिका के प्रति अनौपचारिक दृष्टिकोण के लिए कड़ी फटकार लगाई है। शुरुआत में इस मामले को हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की और राज्य सरकार से पूछा था कि बिना टेंडर निकाले संचालन एवं रखरखाव का ठेका क्यों दिया गया न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एजे की फर्स्ट डिवीजन में अदालत की विशेष सुनवाई के बावजूद जवाब दाखिल नहीं होने पर नगरपालिका की खिंचाई की। बेंच ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले को लापरवाही से ना लें। नगरपलिका को आज शाम 4ः30 बजे से पहले जवाब दाखिल करने कहां जाता है या फिर 100000 का जुर्माना लगाया जाएगा। किसी व्यक्ति विशेष पर कृपा क्यों की गई? यह सवाल भी अदालत ने उठाया है अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड ओरेवा समूह के साथ 2008 के एमओयू और 2022 के समझौते में फिटनेस प्रमाण पत्र के संबंध में शर्त लगाई थी यदि ऐसा था तो सक्षम प्राधिकार कौन था? मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री ने कहा कि यह समझौता सभा पढ़ने का है जिसमें कोई शर्त नहीं है राज्य सरकार की 10 साल के लिए उदारता क्यो?