मुसलमानों के रहनुमा बनकर उनकी अगुवाई का दावा करने वाले केवल मुस्लिम वोट चाहते हैं। जब टिकट देने की बारी आती है तो कांग्रेस हो या आम आदमी पार्टी या फिर समाजवादी पार्टी सभी दल गैर मुसलमान से दूरी बनाकर दूसरो को ही टिकट देना बेहतर समझते हैं। गुजरात में हिंदुत्व राजनीति काफी आगे है, लेकिन मुस्लिम मतदाता भी कम नहीं है। यहां मुसलमानों की करीब 117 सीटों पर 10 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है। जहां किसी भी पार्टी के उम्मीदवार की किस्मत मुस्लिम मतदाता इधर-उधर कर सकते हैं। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, एआईएमआईएम से लेकर भाजपा तक मुस्लिम वोट पाने की चाह रखते हैं। लेकिन मुसलमान उम्मीदवार को टिकट देने से ये बड़े दल कतराते हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और आप ने कुल मिलाकर 500 उम्मीदवारों का ऐलान किया है। भाजपा सभी सीटों पर उम्मीदवार तय कर चुकी है। जिसमें नाममात्र मुस्लिम उम्मीदवार है। कांग्रेस ने 140 उम्मीदवारों में से महज 6 मुस्लिम उम्मीदवारों को ही टिकट दिया है। आम आदमी पार्टी में 157 सीटों में से केवल दो ही मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारने की घोषणा की है। तीनों दलों ने मिलाकर अब तक 8 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। ऐसा नहीं कि पहली बार गुजरात में मुस्लिम उम्मीदवारों को कम तर्जी दी जा रही है। कांग्रेस ने भी पिछले चुनाव में 10 से कम मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। 27 साल पहले 10 से अधिक मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया गया पार्टी को इसका सीधा फायदा मिला था। 1985 में कांग्रेस ने मुसलमानों को 11 टिकट दिये जिसमें 8 ने जीत हासिल की।
गुजरात में आप नही भाजपा को पंसद कर रहे मुसलमान
एक सर्वे में पता चला है कि गुजरात में मुस्लिम मतदाता आम आदमी पार्टी आप को पही बल्कि भाजपा को पंसद कर रहे है। जिस तरह दिल्ली में आप मुसलमानों के बीच पंसद के मामले में काफी आगे है लेकिन गुजरात में ऐसा नही है। हालांकि गुजरात में अरविंद केजरीवाल हिदूत्व का ही कार्ड खेल रहे है। जो कि भाजपा को सीधी टक्क्र दे रहा है।