पुराने दर्द को कम करने में सहायक है जनरेटिव थेरेपी : डॉ. अभिमन्यु

नोएडा। घुटने का दर्द एक आम शिकायत है जो सभी आयु के लोगों को प्रभावित करता है।  लेकिन कुछ स्वास्थ्य समस्याएं जो गंभीर घुटने का दर्द दे सकती हैं उनमें गठिया भी शामिल है। घुटने का दर्द शारीरिक गतिविधियों की कमी कारण भी हो सकता है। री जनरेटिव थेरेपी  के जरिये भी गठिया और जोडों दर्द का इलाज संभव है।  दर्द से छुटकारा पाने के लिए दवा लेना ही काफी नहीं होता। इसके अलावा भी कई ऐसी थेरेपी हैं, जो बिना दवा के ही आपको दर्द से मुक्ति दिला सकती हैं। इन्ही में शामिल है री जनरेटिव थेरेपी। आॅस्टियोआर्थराइटिस पुराने दर्द कम करने में सहायक है।

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फेलिक्स अस्पताल के डॉ. अभिमन्यु राणा बताते हैं कि अर्थराइटिस से संबंधित ज्यादातर समस्याएं बुजुर्ग लोगों में देखी जाती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सिर्फ बुजुर्ग लोग ही इससे प्रभावित हो सकते हैं। अब हमारे पास आॅस्टियो अर्थराइटिस से ग्रस्त ऐसे मरीज भी आ रहे हैं, जिनकी उम्र 30 से 40 साल के बीच है। आरामतलब जीवनशैली, मोटापा और जंक फूड्स खाना कुछ ऐसे कारक हैं जो युवा पीढ़ी में अर्थराइटिस के मामलों को बढ़ा रहे हैं। आॅस्टियोआर्थराइटिस गठिया का सबसे आम रूप है जो हड्डियों से संबंधित समस्याओं को जन्म दे सकता है। हड्डियों से संबंधित यह समस्या उम्र बढ़ने के साथ आम है और ज्यादातर घुटनों, कूल्हों, गर्दन और पीठ के निचले हिस्से को प्रभावित करती है।

जोड़ों का अकड़ना आॅस्टियोआर्थराइटिस का एक सामान्य लक्षण है। इसमें तेज और तीव्र दर्द होता है, जो हिलने के साथ और बढ़ता है। रुमेटीइड गठिया (आरए) भी जोड़ों से संबंधित एक अन्य समस्या है, लेकिन यह आॅस्टियोआर्थराइटिस की तरह पुराने जोड़ों के टूट-फूट के कारण विकसित नहीं होती है। बल्कि रुमेटीइड गठिया एक आॅटोइम्यून बीमारी है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली की खराबी के कारण होती है। इस स्थिति के सामान्य लक्षणों में जोड़ों में सूजन और जकड़न शामिल हैं। इस स्थिति से पीड़ित होने पर व्यक्ति को थकान, बुखार और अचानक वजन घटना जैसा अनुभव होता है। क्योंकि यह एक आॅटोइम्यून बीमारी है, इसलिए इसका कोई इलाज नहीं है। दवाइयों की मदद से इसके लक्षणों को मैनेज किया जाता है।

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गठिया से प्रभावित लोगों को कभी भी ज्यादा वसा युक्त भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
इसके अलावा ऐसी खाद्य सामग्री का भी सेवन नहीं करना चाहिए, जिससे गैस्ट्रिक समस्या पैदा हो क्यों इससे भी समस्या बढ़ सकती है। चलने, तैरने और योग जैसे कम प्रभाव वाले व्यायाम जोड़ों की गतिशीलता में सुधार और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। शरीर के वजन को नियंत्रित करने से भी गठिया की समस्या को कम किया जा सकता है।

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