Greater Noida: जनसुनवाई में पहुंचे किसान 25 किसानों पर केस दर्ज
Greater Noida:अथॉरिटी में मंगलवार को जनसुनवाई दिवस पर अपनी मांगों को लेकर पहुंचे किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई। एफआईआर को लेकर किसानों व अधिवक्ताओं में आक्रोश है। किसान नेता एडवोकेट डॉ रुपेश वर्मा ने बताया कि मंगलवार दिवस को जन सुनवाई के दौरान जब किसान ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी( Greater Noida Authority) के अधिकारियों से मुलाकात करने गए तो पर्ची होने के बावजूद भी अथॉरिटी के अधिकारियों ने किसानों से मिलने से मना कर दिया। गेट पर मौजूद गार्ड ने किसानों की अधिकारियों से मिलने की मांग को ठुकरा दिया। तब किसानों ने गार्ड से कहा कि आप एक तरफ हट जाइए और सभा कक्ष में बैठे अधिकारियों से मुलाकात की और मौके पर मौजूद एसीओ अमनदीप डूली और आनंद वर्धन को किसानों को हो रही समस्या के बारे में अवगत कराया। अधिकारियों ने जल्द ही समस्याओं का निस्तारण करने का वादा किया। लेकिन वीरवार को हमें जानकारी मिली कि हमारे खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज की है।
अथॉरिटी के ACEOअमनदीप डूली ने स्पष्ट कहा की एफ आईआर मैंने नहीं कराई है। साथ ही बताया कि मैं अभी एक मीटिंग में व्यस्त हूं इस मामले में ज्यादा बातचीत नहीं कर सकता।
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Greater Noida:कैलाशपुर निवासी सिक्योरिटी गार्ड नरेंद्र भाटी ने बताया कि किसानों ने जन सुनवाई के दौरान अधिकारियों से भेंट करने की बात उनसे कही। जब इस मामले में उसने अधिकारियों से पूछा तो अधिकारियों ने सभी किसानों से मिलने से इनकार कर दिया। मैंने अधिकारियों की बात किसानों को बताई लेकिन किसानों ने एक न सुनी और बिना परमिशन के वे अधिकारियों के सभा कक्ष में प्रवेश कर गए। उन्होंने श्रीचंद से धक्का-मुक्की भी की।
किसान नेता वीर सिंह और तेजपाल सिंह ने कहा कि कि जब से नई सीईओ आई है तब से किसानों के मिलने का कोई समय तय नहीं हो रहा है। किसानों से मिलने का कोई उपयुक्त स्थान भी अथॉरिटी ने नहीं बनाया है। जबकि इससे पहले सीईओ खुद सभाकक्ष में आकर किसानों की समस्या सुनते थे। इस मामले को लेकर जब किसान मंगल दिवस पर पहुंचे तो उनकी मांगे सुनने की जगह उन पर रिपोर्ट दर्ज कर ली गई। किसान एफआईआर से डरने वाले नहीं है अथॉरिटी की तानाशाही का डटकर मुकाबला करेंगे।
क्या कहते हैं अधिवक्ता
अधिवक्ता अनिल भाटी ने बताया कि पुलिस ने आईपीसी के सेक्शन 147 332 353 504 और 506 व आपराधिक कानून संशोधन 1932 सेक्शन 7 के तहत मामला दर्ज किया। यह सभी धाराएं बेबुनियाद हैं क्योंकि यह सभी धाराएं बलवा, शांति और लोक सेवक के कार्य में बाधा डालने के विरोध में लगाई जाती है। किसानों ने ना तो बलवा किया ना, शांति भंग की और ना ही किसी लोक सेवक के कार्य में बाधा डाली।