क्या आप जानते है ब्रिटेन के नए पीएम कीर स्टार्मर के जीवन का सफर
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क्या आप जानते है ब्रिटेन के नए पीएम कीर स्टार्मर के जीवन का सफर

ब्रिटेन में आम चुनाव समपन्न होने के नतीजे आ चुके हैं। लेबर पार्टी ने 14 साल से देश की सत्ता पर काबिज कंजर्वेटिव पार्टी को करारी शिकस्त दी है। लेबर पार्टी को संसद की 650 में से 410 सीटें मिली हैं, जो बहुमत के 326 के आंकड़े से काफी अधिक है. ऐसा होते ही साफ हो गया कि भारतीय मूल के ऋषि सुनक अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे। चुनाव में उनको हराने वाले लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर अब ब्रिटेन के 58वें प्रधानमंत्री बनेंगे। इस मौके पर आइए जानते हैं कि कीर स्टार्मर कौन हैं, रेड लाइट एरिया में एजुकेशन से पॉलिटिक्स तक, उनकी कहानी काफी दिलचस्प है।

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चुनावों में मिली बंपर जीत से कीर स्टार्मर गदगद हैं। इस मौके पर उन्होंने देश की जनता को शुक्रिया कहा है. वोटर्स को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, परिवर्तन यहीं से शुरू होता है, क्योंकि यह आपका लोकतंत्र, आपका समुदाय और आपका भविष्य है। आपने मतदान किया है और अब हमारे लिए काम करने का समय है। हालांकि, कीर स्टार्मर के लिए प्रधानमंत्री पद की कुर्सी कई चुनौतियां लेकर आएगी। उनको भी आर्थिक मोर्च पर उन्हीं चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिनका सामना पीएम बनते ही ऋषि सुनक को करना पड़ा था। सत्ता संभालते ही स्टार्मर को कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जिनसे देश वर्तमान में जूझ रहा है।

पढ़ाई में तेज रहे स्टार्मर

कीर स्टार्मर का जन्म 1962 में लंदन में हुआ था। वो सरे के ऑक्सटेड शहर में पले बढ़े। उनके पिता रोडनी स्टार्मर टूलमेकर और उनकी मां जोसफिन एनएचएस हॉस्पिटल में नर्स थी। ऐसे में उनका बचपन मिडिल क्लास फैमिली में बीता। स्टार्मर के पिता रोडने स्टार्मर लेफ्टिस्ट थे, जिसके चलते उन्होंने लेबर पार्टी के फाउंडर कीर हार्डी के नाम पर अपने बेटे का नाम कीर स्टार्मर रखा। कीर स्टार्मर बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में तेज हैं। 11वीं तक की पढ़ाई के बाद उन्होंने ग्रामर स्कूल में दाखिला लिया, जहां उनको ग्रामर स्कूल का सुपरबॉय कहा जाता था। उनको फुटबॉल खेलने और म्यूजिक सुनने का बहुत शौक है।

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पिता के साथ अच्छे नहीं थे संबंध

कीर स्टार्मर के उनके पिता के साथ अच्छे संबंध नहीं थे. वो इस बात का जिक्र कई इंटव्यू में कर चुके हैं। वो बताते हैं कि उनके पिता गुस्सैल और चिड़चिड़े स्वभाव के थे। जरा-जरा सी बातों पर उनको डांटते थे। उनका अधिक लगाव उनकी मां से था, जिनको एक दुर्लभ बीमारी स्टिल्स थी। इस बीमारी से पीड़ित लोगों की हड्डियां बहुत कमजोर हो जाती हैं और जरा सा दबाव पड़ने पर वो टूट जाती हैं. स्टार्मर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनकी मां की बीमारी की वजह से उनका बचपन बहुत बुरा बीता।

कम उम्र में आ गए थे पॉलिटिक्स

कीर स्टार्मर छोटी उम्र से ही पॉलिटिक्स में आ गए थे। 16 साल की उम्र में वो लेबर पार्टी की यूथ विंग श्यंग सोशलिस्टश् में शामिल हो गए. इस दौरान वो अपनी पढ़ाई भी कर रहे थे। इसकी वजह थी बचपन से ही उनको देश की राजनीति में रूचि होना था। कीर स्टार्मर काफी पढ़े-लिखे हैं। उन्होंने लीड्स यूनिवर्सिटी से लॉ में ग्रेजुएट जबकि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से सिविल लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। पढ़ाई के दौरान उन्होंने काफी दिक्कतों का सामना किया। अधिकांश पैसा मां के इलाज पर खर्च हो जाता था. जब वो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे, तब उनके पास ज्यादा पैसे नहीं थे। इसके चलते उन्हें वैश्यालय की छत पर बने कमरे में रहना पड़ा था। इसी किराए के कमरे में पढ़ाई कर स्टार्मर ने अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की।

 

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