ब्रज में फिर उठी नॉन-वेज पर बैन की मांग, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बयान, मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया

Mathura/Demand for ban on non-veg News: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, जिन्हें बाबा बागेश्वर के नाम से जाना जाता है, ने हाल ही में ब्रज क्षेत्र में नॉन-वेज भोजन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग उठाई है। यह मांग उन्होंने मथुरा में एक धार्मिक सभा के दौरान रखी, जिसके बाद यह मुद्दा क्षेत्र में चर्चा का केंद्र बन गया है। शास्त्री ने कहा कि ब्रज, जो भगवान कृष्ण की पावन भूमि है, में मांसाहार का सेवन धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने इसे सनातन धर्म की भावनाओं का सम्मान करने और ब्रज की पवित्रता को बनाए रखने का एक कदम बताया।

बाबा बागेश्वर का बयान
धीरेंद्र शास्त्री ने अपने संबोधन में कहा, “ब्रज भगवान श्रीकृष्ण की लीला भूमि है। यहाँ मांसाहार का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। हमारी संस्कृति और धर्म में शाकाहार को महत्व दिया गया है। मैं सरकार और स्थानीय प्रशासन से अपील करता हूँ कि ब्रज में नॉन-वेज पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह मांग केवल धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर की जा रही है और इसका उद्देश्य किसी समुदाय को निशाना बनाना नहीं है।

मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया
इस मांग पर मथुरा और आसपास के क्षेत्रों में मुस्लिम समुदाय की ओर से मिश्रित प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। कुछ मुस्लिम नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है। मथुरा के एक स्थानीय मौलवी, हाजी अब्दुल रहमान ने कहा, “हर समुदाय को अपने खान-पान की आजादी है। नॉन-वेज खाना हमारी संस्कृति और परंपराओं का हिस्सा है। इसे बैन करना संविधान के खिलाफ है और इससे सामुदायिक तनाव बढ़ सकता है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के बयान सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
वहीं, कुछ अन्य मुस्लिम व्यक्तियों ने इस मुद्दे पर संयमित रुख अपनाया। मथुरा के व्यापारी मोहम्मद अली ने कहा, “हम ब्रज की धार्मिक महत्ता को समझते हैं और इसका सम्मान करते हैं। लेकिन इस तरह का बैन लागू करना व्यावहारिक नहीं होगा। इसके बजाय, आपसी समझ और संवाद से समाधान निकाला जाना चाहिए।”

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
इस मुद्दे ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी हलचल मच गई है। कुछ स्थानीय बीजेपी नेताओं ने बाबा बागेश्वर की मांग का समर्थन किया है, जबकि विपक्षी दलों, जैसे समाजवादी पार्टी और कांग्रेस, ने इसे धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास करार दिया है। समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेता रामगोपाल यादव ने कहा, “यह मांग संविधान के खिलाफ है और इसका उद्देश्य समाज में विभाजन पैदा करना है। सरकार को ऐसी मांगों पर ध्यान देने से पहले सभी समुदायों की भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए।”

सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ
ब्रज क्षेत्र, जिसमें मथुरा, वृंदावन, और गोवर्धन जैसे पवित्र स्थल शामिल हैं, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यहाँ शाकाहारी भोजन को धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से प्राथमिकता दी जाती है। हालांकि, क्षेत्र में मुस्लिम और अन्य समुदायों की भी अच्छी-खासी आबादी है, जो नॉन-वेज भोजन का सेवन करते हैं। शास्त्री की मांग ने इस संवेदनशील मुद्दे को और जटिल बना दिया है।

पिछले विवाद और बाबा बागेश्वर
धीरेंद्र शास्त्री पहले भी अपने बयानों के कारण विवादों में रहे हैं। हाल ही में, उन्होंने मथुरा में प्रेमानंद महाराज की रात्रि पदयात्रा का समर्थन करते हुए विरोध करने वालों को “दानव” कह दिया था, जिसके बाद ब्रजवासियों ने उनसे माफी मांगने की मांग की थी। बाद में उन्होंने माफी माँग ली थी। उनके इस नए बयान ने एक बार फिर सामाजिक और राजनीतिक बहस को हवा दी है।

आगे की राह
फिलहाल, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मांग पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि वह सभी समुदायों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस मुद्दे पर विचार करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी पक्षों के बीच व्यापक संवाद जरूरी है।
ब्रज में नॉन-वेज बैन की मांग ने एक बार फिर धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों को राजनीतिक रंग दे दिया है। यह देखना बाकी है कि यह मुद्दा सामाजिक सौहार्द को कैसे प्रभावित करता है और सरकार इसका समाधान कैसे निकालती है।

यह भी पढ़ें: गौचर भूमि को लेकर वेद नागर ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छा मृत्यु  

यहां से शेयर करें