Bharat Jodo Yatra : काग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को जमकर आमजन का प्यार मिल रहा है। सवाल ये है कि जिस तरह से दक्षिण भारत में रीजनल पार्टी के नेताओं ने दिल खोल कर राहुल का साथ दिया और साथ चलें लेकिन उत्तर भारत में रीजनल पार्टियां के नेता बच रहे है। सवाल है कि क्या जातिवाद इसकी वजह है? वही पहले ही दिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके पार्टी के अध्यक्ष एमके स्टालिन राहुल साथ नजर आए थे। उन्होंने राहुल गांधी को यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं और तिरंगा सौंपकर उनकी यात्रा के बड़े उद्देश्य को प्रतिबिंबित भी किया। इसके बाद से अब तक शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे और प्रियंका चतुर्वेदी, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले, डीएमके नेता कनीमोझी और नेशनल कांफ्रेंस नेता फारुक अब्दुल्ला भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ खड़े हुए थे।
अब उत्तर भारत के राजनीतिक दलों ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से अब तक दूरी बनाए रखी है। समाजवादी पार्टी, बसपा, आरएलडी, आम आदमी पार्टी (आप) और बिहार में बेहद प्रभावशाली जदयू ने यात्रा को नैतिक समर्थन तो दिया है, लेकिन उनके किसी नेता को अब तक यात्रा में राहुल गांधी के साथ खड़े नहीं देखा गया। इसका कारण क्या है? क्या केवल राहुल के साथ खड़े होने से इन राजनीतिक दलों को अपनी राजनीतिक जमीन कांग्रेस के हाथों गंवाने का डर है? तरह तरह के डर है मगर इसी बीच कुछ नेताओं को सरकारी ऐजंयिों का भी डर है।
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Bharat Jodo Yatra : राजनीति के जानकार कहते है कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का असली उद्देश्य 2024 में पार्टी की बेहतर पोजिशनिंग के लिए है। इसके जरिए कांग्रेस राहुल गांधी की छवि मजबूत करना चाहती है। लेकिन विपक्ष के कई नेता स्वयं विपक्षी खेमे का नेतृत्व करना चाहते हैं, वे राहुल के साथ खड़े होकर अभी से उन्हें विपक्ष के सर्वमान्य नेता के तौर पर अपनी स्वीकृति नहीं देना चाहते। यही कारण है कि इन नेताओं ने भारत जोड़ो यात्रा को अपना नैतिक समर्थन तो दिया है, लेकिन वे राहुल के साथ खड़े होने से बच रहे हैं। चाहे कुछ भी हो लकिन जिस प्रकार से राहुल के साथ आमजन लबालब दिखाई दे रही है उससे लगता है कि राहुल अपनी इस यात्रा में सफल हो रहे है।